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योगीराज : दर्जनों कोरोना मरीजों को अपने पैसों से ऑक्सीजन दिला जान बचाने वाले युवक के खिलाफ FIR
कोरोना के चरम पर अस्पतालों के बाहर का ये हो गया था ये आम दृश्य
जनज्वार। कोरोना की मौतें और संख्या लगातार रिकॉर्ड कायम कर रही हैं। पिछले 24 घंटे में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 4 लाख पार कर चुका है और मौतों में भी बढ़ोतरी जारी है। ऑक्सीजन और इलाज के बिना मरने वालों की संख्या 50 प्रतिशत से भी ज्यादा बतायी जा रही है। ऐसे में कुछ लोग जो निजी प्रयासों से जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं, हमारी सरकारें उन्हीं के खिलाफ एक्शन ले लेती है।
अब ऐसा ही मामला योगी आदित्यनाथ के यूपी में सामने आया है। यहां जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ रहे लोगों पर भी स्वास्थ्य विभाग नकेल कस रहा है। यूपी के जौनपुर में अब तक दर्जनों मरीजों को अपने पैसे से ऑक्सीजन मुहैया कराकर जान बचाने वाले एम्बुलेंस मालिक विक्की अग्रहरि पर यूपी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
नगर कोतवाली में सीएमएस की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कराया गया है और एम्बुलेंस मालिक विक्की अग्रहरि की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार उसके घर पर दबिश दे रही है। आरोप लगाया गया है कि एंबुलेंस मालिक कोरोना महामारी फैला रहा था।
मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक जौनपुर के जिला अस्पताल में मरीजों का तांता लगा था। अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण मरीजों का इलाज पर समय पर नहीं हो पा रहा था। मरीजों को असहाय हालत में जमीन पर तड़पता देख नगर के अहियापुर मोहल्ले का रहने वाला प्राइवेट एम्बुलेंस संचालक विक्की अग्रहरि खुद अपने स्तर से ऑक्सीजन की व्यवस्था करके मरीजों को ऑक्सीजन देने लगा।
विक्की का कहना है कि उसने 27 से 28 मरीजों को ऑक्सीजन देकर उनकी जान बचायी। यह खबर जब मीडिया में सुर्खियां बनीं तो जौनपुर जिला अस्पताल की पोल खुल गयी। कहा जा रहा है कि अपनी किरकिरी होने से नाराज सीएमएस ने 30 अप्रैल की देर शाम नगर कोतवाली में महामारी फ़ैलाने का मुकदमा दर्ज करा दिया।
इस घटना के बार में डीएम मनीष कुमार वर्मा ने मीडिया से कहा कि पूरे मामले की जांच करायी जाएगी। सीएमएस की इस कार्रवाई के परिप्रेक्ष्य में देखना होगा कि जिलाधिकारी व सीएमओ साहब आरोपित का सम्मान करवाते हैं या फिर उसे जेल भेजेंगे।
विक्की अग्रहरि और उसके दो अज्ञात साथियों के खिलाफ धारा 144 और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन, महामारी फैलाने सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर दिया। सीएमएस डॉ. अनिल शर्मा का कहना था कि ओपीडी पर्ची काउंटर के बगल में मरीजों को लेटाकर युवक ऑक्सीजन दे रहा था, जबकि वह न तो इसके लिए अधिकृत था और न ही उसके पास कोई डिग्री है। यह मरीजों की जान से खिलवाड़ करना था। हमारे अस्पताल प्रशासन की छवि खराब करने के लिए ऐसा किया गया था।