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हाशिये का समाज

Jalore Kand : जालोर में शिक्षक की पिटाई के बाद दलित छात्र की मौत मामले में तेज हुई सियासत, कांग्रेसी सीएम गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने

Janjwar Desk
17 Aug 2022 1:51 PM IST
Jalore Kand : जालोर में शिक्षक की पिटाई के बाद दलित छात्र की मौत मामले में तेज हुई सियासत, कांग्रेसी सीएम गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने
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जालोर में शिक्षक की पिटाई के बाद दलित छात्र की मौत मामले में तेज हुई सियासत, कांग्रेसी सीएम गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने

Dalit Boy Indra kumar Meghwal death case : दलित छात्र की मौत से आहत होकर 15 अगस्त को गहलोत सरकार के विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद यह केस और ज्यादा गरमा गया। इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया ...

Dalit Boy Indra kumar Meghwal death case : राजस्थान के जालोर के सुराणा गांव के निजी स्कूल में टीचर छैल सिंह की पिटाई से हुई दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल की मौत के बाद यहां बीते 4-5 दिनों से नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ है। दलित छात्र की पिटाई से हुई मौत का यह मसला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में बना हुआ है। इसके चलते फिलहाल सुराणा गांव राजस्थान की राजनीति का केंद्र बना हुआ है।

दलित छात्र की मौत से आहत होकर 15 अगस्त को गहलोत सरकार के विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद यह केस और ज्यादा गरमा गया। इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है। राजस्थान के जालोर में दलित छात्र की मौत राज्य में कांग्रेस बनाम कांग्रेस संघर्ष की नवीनतम परिघटना बन गई है।

गौरतलब है कि जालोर जिले के सुराणा गांव के एक निजी स्कूल की 9 वर्षीय छात्र इंद्र मेघवाल को 20 जुलाई को पीने के पानी के बर्तन को कथित तौर पर छूने पर उसके शिक्षक ने पीटा था। लड़के ने 13 अगस्त को अहमदाबाद के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।

इस घटना ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। विडंबना यह है कि विपक्ष से ज्यादा कांग्रेस का एक तबका ही है, जिसने राज्य में अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है। गहलोत पर दबाव बनाते हुए कांग्रेस के एक विधायक पानाचंद मेघवाल और बारां नगर परिषद के 12 पार्टी पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया है। पार्षदों ने राज्य में दलितों और वंचित वर्गों पर हो रहे अत्याचार पर दुख जताया है।

गहलोत की परेशानी को बढ़ाने के लिए उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट ने सरकार पर हमला करने के लिए परोक्ष रूप से कटाक्ष किया। गहलोत के खिलाफ असफल विद्रोह का नेतृत्व करने वाले पायलट ने अपनी सरकार के लिए एक कड़ा संदेश दिया कि दलित समुदाय का विश्वास जीतने के लिए संवाद करें।

उन्होंने कहा, 'ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। हमें ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की जरूरत है। केवल कानून, भाषण और कार्य पर्याप्त नहीं हैं। हमें उन्हें कड़ा संदेश देना होगा कि हम उनमें विश्वास जगाने के लिए उनके साथ हैं।'

पायलट ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और कहा, 'आजादी के 75 साल बाद भी हमारे सिस्टम में इस तरह का भेदभाव हो रहा है। यह हम सभी के आत्मनिरीक्षण का विषय है। छात्र की मौत ने कई सवाल खड़े किए हैं।'

उन्होंने कहा, 'ऐसी घटनाओं के प्रति जीरो टॉलरेंस होना चाहिए। हमें कार्रवाई करने के लिए अगली घटना की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। हमें ऐसी विचारधारा को हराने के लिए कदम उठाने होंगे। दलितों पर अत्याचार करने के बाद कोई बच नहीं सकता।' वहीं गहलोत ने पार्टी के कुछ नेताओं पर कार्यकर्ताओं को भड़काने का आरोप लगाया।

बकौल् गहलोत, हमारे कुछ लोग नेता कार्यकर्ताओं को यह कहकर भड़काते हैं कि उनका सम्मान किया जाना चाहिए। यह एक जुमला बन गया है। क्या आपने कभी कार्यकर्ताओं का सम्मान किया है? क्या आप यह भी जानते हैं कि सम्मान क्या है? मुख्यमंत्री ने पायलट पर परोक्ष हमले में कहा।

सीएम ने कहा, हम सम्मान पाकर एक कार्यकर्ता से नेता बने हैं। पायलट ने अक्सर पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मान का मुद्दा उठाया है। हालांकि दोनों नेताओं ने नाम नहीं लिया, लेकिन जो संदेश भेजा गया वह स्पष्ट था।

16 अगस्त को पायलट त्वचा रोग से प्रभावित जिलों की स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित सर्वदलीय आभासी बैठक से अनुपस्थित रहे। जब से कांग्रेस आलाकमान पायलट को गहलोत सरकार के खिलाफ विद्रोह को समाप्त करने के लिए मनाने में कामयाब रहा, तब से दोनों नेता कई मुद्दों पर आमने.सामने टकराव की मुद्रा में हैं।

राजस्थान में अगले साल चुनाव होने हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए बेताब कांग्रेस के लिए जुबानी जंग के संकेत अच्छे नहीं हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ ही ऐसे दो राज्य हैं, जहां पर सबसे पुरानी पार्टी अपने दम पर शासन करती है। हालांकि, दोनों राज्यों में पार्टी को नेतृत्व की खींचतान का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में महाराष्‍ट्र में महागठबंधन की सबसे पुरानी पार्टी हार गई थी, लेकिन संयोग से बिहार में एक और गठबंधन सरकार को मिला।

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