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UP के विवादित नवेली पॉवर प्लांट में पिलर के नीचे दबा मजदूर घंटों तड़पता रहा, समय पर इलाज न मिलने से हुई मौत
मजदूर की मौत के बाद प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन करते कर्मचारी
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, कानपुर। कानपुर के निकट घाटमपुर में बन रहा नवेली पॉवर प्लांट अपने शुरू होने के कुछ ही महीनो बाद से विवादों में घिरता रहा है। वेतन में अनियमितता को लेकर मजदूर पहले से ही आक्रोशित चल रहे हैं, तो वहीं आज गुरुवार 24 सितंबर को एक मजदूर की फिर से मौत हो गई। जिसके बाद मामला और भी अधिक गर्म हो गया।
निर्माणाधीन नवेली पॉवर में काम कर रहे मजदूरों के प्रति कन्ट्रक्शन कंपनी का रवैया बहुत ही खराब होता चला जा रहा है। मजदूर परिवार के भरण पोषण के लिए दूर—दूर से काम करने आता है और मजदूरों के प्रति कन्ट्रक्शन कंपनी अपनी लापरवाही करने में बाज नहीं आती है। ताजा मामला ये है कि ओवरटाइम पर काम कर रहे एक मजदूर की पिलर के अचानक ढहने दबकर मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार मजदूर गंभीर रूप से घायल मौके पर ही कई घण्टों तक तड़पता रहा। घायल मजदूर को उपचार के लिए ले जाना तक उचित नहीं समझा और जिम्मेदार कन्ट्रक्शन कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी मौके से ही नदारद हो गए। मौके पर काम कर रहे मजदूरों ने घायल मजदूर को घाटमपुर सीएचसी में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद मजदूर की हालत नाजुक देखते हुए हैलट कानपुर के लिए रेफर कर दिया। इलाज के दौरान मजदूर की मौत हो गई।
इसके बाद आक्रोशित साथी मजदूरों ने कन्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की व हंगामा काटा। मजदूरों का कहना है कि जब तक कन्ट्रक्शन कंपनी मजदूरों के प्रति जिम्मेदार नहीं होती है, हम लोग काम पर वापस नही जाएंगे। साथ ही मृतक मजदूर के परिजनों को उचित मुआवजा व परिवार के सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग करते रहे।
मौके पर पहुँचे भारी पुलिस बल के साथ उप जिलाधिकारी ने मजदूरों को समझा बुझा कर शांत कराया और कन्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक कर पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दिलाने का आश्वासन दिया है।
पहले भी मर चुके हैं कई मजदूर
यहाँ काम शुरू होने के बाद अब तक कई मजदूरों के मरने की बातें सामने आती रही हैं। यहां एक बार मजदूर की मौत के बाद बवाल हुआ था, जिसमें साथी मजदूरों का आरोप था कि नवेली पावर प्लांट के अधिकारियो ने उसके शव को जमीन में दफना कर छिपा दिया है। जब यह सूचना ग्रामीणों को मिली तो हजारों की संख्या में ग्रामीण भी पावर प्लांट पर पहुँच गए। मजदूर और ग्रामीणों ने अधिकारियों पर पथराव कर दिया। ग्रामीणों ने पुलिस पर भी पथराव शुरू कर दिया था, जिसके बाद पुलिस को जान बचाकर भागना पड़ा था।
समय से वेतन ना मिलने की समस्या
निर्माणाधीन नवेली पावर प्लांट के कर्मचारियों का वेतन प्रत्येक माह की 7 तारीख तक ठेकेदारों द्वारा दे दिया जाता था, लेकिन पिछले कुछ महीनों यानी जुलाई के बाद अगस्त से समस्याएं पैदा होनी शुरू हो गईं। दूसरे राज्यों से आकर यहाँ काम कर रहे मजदूरों ने कई दफा हड़ताल तक की, लेकिन समस्या जस की तस रही। वर्करों के सामने भुखमरी की स्थित पैदा हो गयी है। कम्पनी के तमाम कर्मचारियों का यहाँ तक कहना है कि उन्हें ब्याज में रुपये लेकर अपने परिवार का भरण पोषण की व्यवस्था करनी पड़ रही है, जिससे कम्पनी के कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता रहा और काम रोक कर हड़तालें होती रहती हैं।
कानपुर से 60 किलोमीटर दूर 1980 मेगा वाट का पावर प्लांट बनाया जा रहा है। तहसील घाटमपुर सजेती थाना क्षेत्र स्थित यमुना नदी के किनारे लहुरिमाऊ गाँव के पास इस पावर प्लांट के निर्माण का कार्य चल रहा है और जमीन का समतलीकरण किया जा रहा है। यह काम एक बीजीआर कम्पनी करा रही है। 14 मई 2020 को घाटमपुर स्थित नवेली पावर प्लांट में बाहर से लौटकर गांवों में आए स्थानीय युवकों को काम देने के लिए चयन प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। इस पूरी तरह से तापीय आधार पर बनने वाले पावर हाउस में 17.30 हजार करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
अखिलेश ने किया था शिलान्यास
उत्तर प्रदेश में जली उत्पादन की आवश्कता के लिए 2012 में घाटमपुर के नवेली गांव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पावर प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। इस अवसर पर तत्कालीन कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कोयला उपलब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन सरकारी बाधाओं के चलते ही इस योजना को 2012 से शुरू नहीं किया जा सका था और अब इस को हरी झंडी मिलने के बाद से प्रदेश को 13 पंचवर्षीय योजना में पावर सप्लाई मिलने की उम्मीद बंधी है।