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UP : मिर्जापुर में छेड़खानी से परेशान नाबालिग आदिवासी छात्रा ने खुद को किया आग के हवाले, इलाज के दौरान मौत
छेड़खानी से परेशान आदिवासी नाबालिग लड़की ने की आत्महत्या, पुलिस उसके दादाजी से पूछताछ करते हुए
संतोष देव गिरि की रिपोर्ट
जनज्वार, मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एक और बड़ा मामला सामने आया है, जहां आदिवासी समाज की एक 15 वर्षीय छात्रा ने दबंग मनचलों की छेड़खानी और रोज-रोज की फब्तियां कसे जाने से तंग आकर आत्महत्या करने का कठोर निर्णय ले लिया और घर के बंद कमरे में मिट्टी का तेल छिड़ककर खुद को आग के हवाले कर दिया।
गंभीर रूप से झुलसी बच्ची को परिजनों द्वारा जिला मंडलीय अस्पताल में दाखिल कराया गया था, जहां उसने इलाज के दौरान कल 23 नवंबर को दम तोड़ दिया।
ज्योति के दादा की तहरीर पर थाना लालगंज पर अभियोग पंजीकृत कर अभियुक्त को हिरासत में लेकर अग्रेतर विधिक कार्यवाही की जा रही है। वहीं घटनास्थल का मंगलवार 24 नवंबर को निरीक्षण जिलाधिकारी मिर्जापुर सुशील कुमार पटेल एवं पुलिस अधीक्षक मिर्जापुर अवधेश कुमार सिंह द्वारा किया गया। उक्त निरीक्षण के दौरान पीड़ित के परिवार शोक संवेदना व्यक्त करते हुए क्षेत्राधिकारी लालगंज व प्रभारी निरीक्षक लालगंज को कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया गया।
सामने आ रही जानकारी के अनुसार लालगंज थाना क्षेत्र के नेवढ़िया गांव निवासी रामविलास कोल की 15 वर्षीय बेटी ज्योति कुमारी गांव के समीप में ही स्थित विंध्यवासिनी इंटर कॉलेज दीपनगर में कक्षा 9 की छात्रा थी, जो कालेज के ही समीप में एक कोचिंग सेंटर में कोचिंग भी पढ़ने जाते थी।
परिजनों का आरोप है कि कॉलेज और कोचिंग आते जाते समय गांव के ही कुछ युवक अश्लील कमेंट करने के साथ ही उसे बेजा ढंग से परेशान किया करते थे, जिसकी शिकायत भी वह परिजनों से अक्सर किया करती थी। पहले तो परिजनों ने इसे हल्के में लिया, लेकिन रोज-रोज बेटी की परेशानी को देखकर परिजनों ने गांव के कुछ लोगों के जरिए उन युवकों के परिजनों से भी इस बात की शिकायत की थी, बावजूद इसके युवकों के रवैए में कोई सुधार नहीं आया। अंततः वही हुआ जिसका लोगों को भय था।
रोज-रोज की मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर ज्योति ने 22 नवंबर 2020 को दिन में 3 बजे परिजन जब काम पर गए हुए थे, उसी समय घर के एक कमरे में खुद को बंद कर मिट्टी का तेल छिड़क आग लगा ली। आस-पड़ोस के लोगों को जैसे ही आहट हुई उन्होंने शोर मचा दिया, जिस पर परिजन और पड़ोस के लोगों ने किसी प्रकार उसे बुरी तरह से झुलस जाने की अवस्था में पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटेहरा ले गए, जहां उसकी हालत गंभीर देखकर चिकित्सकों ने मंडलीय अस्पताल मिर्जापुर के लिए रेफर कर दिया।
मंडलीय अस्पताल में जीवन और मौत के बीच जूझते हुए ज्योति ने आखिरकार सोमवार 23 नवंबर की शाम को दम तोड़ दिया। ज्योति की मौत से परिजनों का जहां बुरा हाल हो उठा है, वहीं पुलिस की भी परेशानी बढ़ गई है। हालांकि पुलिस ने इस मामले में मृत्यु पूर्व ज्योति के दिए गए बयान के आधार पर 2 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
ज्योति की मौत ने "पढ़े बेटियां, बढ़े बेटियां" के अभियान पर भी सवाल खड़े किये हैं? केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार बेटियों को बढ़ाने और आत्मनिर्भर करने की बात तो खूब करती है, लेकिन इसके इतर देखा जाए तो बालिकाएं और महिलाएं खुले में महफूज नहीं है दुराचार, बलात्कार, छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाएं कानून व्यवस्था के नाम पर बदनुमा धब्बा साबित होने के साथ ही साथ सरकार के इस अभियान को भी धूल धूषित कर दे रही हैं।
आश्चर्य की बात है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बालिकाओं, महिलाओं की सुरक्षा के लिए चलाया गया ऐंटी रोमियो अभियान भी ऐसे लोगों पर नकेल कसने में विफल साबित हो रहा है। यह अभियान महज कागजों में संचालित हो रहा है। यदि हम बात करें मिर्जापुर नगर की तो अकेले नगर क्षेत्र में ही गली, मोहल्ले से लेकर चौक, चौराहों पर मनचलों को आसानी से घूमते हुए देखा जा सकता है। कहीं पैदल तो कहीं बाइक से यह फर्राटे मार रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों की बात ही अलग है। इस अभियान के विफलता का ही परिणाम है कि ज्योति को अपनी जान दे देनी पड़ी है। हालांकि इस मामले में मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार सिंह अपने बयान में कहते हैं कि इस मामले में पुलिस दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करेगी तथा जिले में इस अभियान को गति देते हुए कड़ाई से कार्रवाई की जाएगी।