- Home
- /
- हाशिये का समाज
- /
- UP पुलिस और मीडिया पर...
UP पुलिस और मीडिया पर हाईकोर्ट का बड़ा तमाचा, इस्लाम अपनाने वाली रेनू की सुरक्षा के दिये निर्देश
रेनू गंगवार की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश
जनज्वार। धर्मांतरण की राजनीति के बीच खुद की मर्जी से इस्लाम कबूलने वाली रेनू गंगवार ने दिल्ली हाईकोर्ट से अपनी जान की गुहार लगाते हुए कहा था कि धर्म बदलने के बाद यूपी पुलिस, मीडिया और तमाम धार्मिक संगठन उसके पीछे पड़े गये हैं। अब इस मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी सुरक्षा के निर्देश दिये हैं।
रेनू गंगवार उर्फ आयशा अल्वी नाम की युवती ने आरोप लगाया है कि जब से उसने स्वेच्छा से इस्लाम धर्म अपनाया है, तब से लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस, मीडिया तथा धार्मिक समूहों पर उसने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि ये समूह धर्मांतरण के बाद से उसके पीछे पड़े हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की रहने वाली और दिल्ली में काम करने वाली रेनू गंगवार उर्फ आयशा अल्वी ने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा के साथ-साथ निजता के अधिकार की भी मांग हाईकोर्ट के सामने रखी थी। इस्लाम अपनाने वाली रेनू गंगवार उर्फ आयशा अल्वी ने अपनी याचिका में कोर्ट से गुजारिश की थी कि धर्म परिवर्तन के कारण उसे और उसके परिवार को जमकर निशाना बनाया जा रहा है। मीडिया जहां उनके बारे में दुर्भावनापूर्ण सामग्री छाप रहा है, वहीं तरह तरह से जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट में दर्ज अपनी याचिका में रेनू गंगवार उर्फ आयशा अल्वी ने कहा था कि वह वयस्क है और संविधान उसे अपना धर्म चुनने का अधिकार देता है। वह जिस धर्म को मानने का, चुनने का निर्णय लेती है उसके लिए उन्हें प्रताड़ित नहीं किया जा सकता, उसे किसी भी तरह से निशाना नहीं बनाया जा सकता।
दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने रेनू अल्वी उर्फ आयशा अल्वी के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस से युवती की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता युवती है और उसने अपनी सुरक्षा के संबंध में आशंकाएं व्यक्त की हैं।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि पांच जुलाई को नियमित पीठ द्वारा मामले की सुनवाई किए जाने तक दिल्ली पुलिस आयुक्त और जामिया नगर थाने के एसएचओ को युवती की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएं।
रेनू गंगवार उर्फ आयशा अल्वी को किस तरह सुरक्षा दी जाएगी, यह दिल्ली पुलिस पर छोड़ते हुए अदालत ने साफ किया कि वह याचिका में कही गई बातों के सही होने पर कोई नजरिया जाहिर नहीं कर रही है। अदालत ने कहा कि वह फिलहाल याचिका पर नोटिस जारी नहीं कर रही है और मामले को नियमित पीठ देखेगी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से समीर वशिष्ठ ने युवती के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि रेनू गंगवार याचिका में दिए गए पते पर नहीं मिली और यहां तक कि उनका मोबाइल फोन भी बंद था। इस वजह से पुलिस अधिकारी उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे। वहीं युवती की वकील तान्य अग्रवाल ने बताया कि डर और आशंकाओं के कारण धर्म परिवर्तन करने वाली रेनू को बार-बार अपना आवास बदलना पड़ा है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की निवासी और दिल्ली में काम करने वाली युवती ने अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा के साथ-साथ निजता के अधिकार का भी दिल्ली हाईकोर्ट से आग्रह किया था।युवती ने अपनी याचिका में कहा था कि अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म अपनाने के कारण उनके और उनके परिवार को निशाना बनाया जा रहा है और मीडिया में उसके बारे में दुर्भावनापूर्ण सामग्री छापी जा रही है। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।
वकील कमलेश कुमार मिश्रा और नितिन कुमार नायक के माध्यम से दायर की गयी याचिका में युवती ने कहा कि वह वयस्क है और संविधान उन्हें अपना धर्म चुनने का अधिकार देता है। वह जिस धर्म को मानने का, चुनने का निर्णय लेती है उसके लिए उन्हें प्रताड़ित नहीं किया जा सकता, उन्हें निशाना नहीं बनाया जा सकता।
याचिका के अनुसार रेणु गंगवार उर्फ आयशा अल्वी ने 27 मई को दिल्ली में इस्लाम धर्म अपनाया था और 23 जून से जब वह शाहजहांपुर में थी उनके पास मीडियाकर्मियों के फोन लगातार आने लगे।
युवती ने कहा कि उनकी इजाजत के बगैर मीडियाकर्मी उनके घर आ गए और उनकी तस्वीरें, वीडियो लेने लगे और उन्हें धमकी भरे फोन भी आने लगे कि धर्म परिवर्तन की खबर मीडिया में छापी जाएगी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उनसे पैसे भी मांगे गए।
युवती के मुताबिक उनके खिलाफ खबर न छापे जाने की एवज में एक ने उनसे जबरदस्ती 20,000 रुपये लिये थे, जबकि कुछ और लोगों ने भी उनसे पैसे उगाहने की कोशिश की थी।
24 जून को रेनू गंगवार उर्फ आयशा अल्वी ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से भी इसकी शिकायत की थी और अपनी सुरक्षा की गुहार लगाते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त, जामिया नगर थाने के एसएचओ, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश सरकार को पक्षकार बनाया था।