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हाशिये का समाज

पूर्व IPS का आरोप : धाँगर आदिवासी विरोधी है योगी सरकार, केंद्र सरकार रोके इस अन्याय को

Janjwar Desk
25 Jun 2021 9:33 AM GMT
पूर्व IPS का आरोप : धाँगर आदिवासी विरोधी है योगी सरकार, केंद्र सरकार रोके इस अन्याय को
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tribal file photo

UP सरकार के पोर्टल पर इसको बदल कर हिन्दी में धनगर कर दिया गया है, जिसके फलस्वरूप सोनभद्र/चंदौली जिले की धंगड़ जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र मिलना बंद हो गया है, इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जाति के पाल गड़रिया जाति की धनगर गोत्र वाली उपजाति को हिन्दी तथा अंग्रेजी में धनगर (अनुसूचित जाति) के प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं....

लखनऊ, जनज्वार। 'उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की सूची में धंगड़ (धाँगर) से धनगर में परिवर्तन अवैधानिक तथा धाँगर विरोधी है।' योगी सरकार यह बात आईपीएस (सेवानिवृत्त) और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस आर दारापुरी ने कही।

उन्होंने कहा है कि आज 25 जून को इस संबंध में अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार, प्रमुख सचिव, समाज कल्याण, उत्तर प्रदेश तथा सचिव, समाज कल्याण एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार को आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की तरफ से एक पत्र भेजा गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की सूची के क्रम संख्या 27 पर धंगड़ (Dhangar) जाति के नाम को परिवर्तित कर धनगर करने की अवैधानिक कार्रवाई को तुरंत रद्द करने, इसकी जांच करा कर दोषी को दंडित करने तथा अंग्रेजी में Dhangar (धनगर) की आड़ में अपात्रों को जारी किए जा रहे/ किए गए अनुसूचित जाति के जाति प्रमाण पत्रों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के NIC वेब पोर्टल पर इसको बदल कर हिन्दी में धनगर कर दिया गया है, जिसके फलस्वरूप सोनभद्र/चंदौली जिले की धंगड़ जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र मिलना बंद हो गया है। इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जाति के पाल गड़रिया जाति की धनगर गोत्र वाली उपजाति को हिन्दी तथा अंग्रेजी में धनगर (अनुसूचित जाति) के प्रमाणपत्र जारी किए जा रहे हैं, जोकि पूर्णतया अवैधानिक है।

एसआर दारापुरी के मुताबिक, संविधान के अनुच्छेद 341 के अंतर्गत अनुसूचित जाति की सूची में परिवर्तन करने का अधिकार केवल भारत के राष्ट्रपति महोदय को ही है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति सूची में धंगड़ से धनगर का किया गया परिवर्तन पूर्णतया अवैधानिक है। यह भी उल्लेखनीय है कि समाज कल्याण विभाग की वेबसाइट पर इस प्रकार का परिवर्तन करने संबंधी कोई भी शासनादेश उपलब्ध नहीं है। अतः अध्यक्ष राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग,भारत सरकार से इस मामले की जांच करवाने कि उक्त परिवर्तन किस आदेश द्वारा तथा किस स्तर पर किया गया है तथा दोषी को उक्त अवैधानिक कार्य के लिए दंडित कराने की कार्रवाही करने की मांग भी की गई है।

उपरोक्त जाति नाम परिवर्तन के संबंध में पत्र में यह भी लिखा गया है कि पिछले वर्ष समाज कल्याण विभाग द्वारा अंग्रेजी में भी जाति प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश का सरकार की सांठगांठ से राजनीतिक लाभ के लिए खुला दुरुपयोग किया जा रहा है तथा उत्तर प्रदेश की पिछड़ी जाति पाल गड़रिया की धनगर गोत्र वाली उपजाति को अंग्रेजी में Dhangar के रूप में अनुसूचित जाति (धनगर) के प्रमाण पत्र जारी किया जा रहे हैं। इसलिए अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार से यह अनुरोध भी किया गया है कि वह यह स्पष्टीकरण भी जारी करें कि अंग्रेजी में Dhangar जाति का प्रमाण पत्र केवल उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की हिन्दी सूची के क्रमांक 27 पर अंकित धंगड़ जाति के व्यक्तियों को ही देय है, जोकि मुख्यतया सोनभद्र तथा चंदौली जिलों में रहती है।

इस संबंध में उनका ध्यान दो वर्ष पूर्व इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा एक रिट याचिका में दिए गए निर्देश कि अनुसूचित जाति का लाभ केवल अनुसूचित जाति की सूची में दर्ज जातियों को ही दिया जाए, की ओर भी आकर्षित किया गया है, परंतु इसके बावजूद इसका लाभ जानबूझ कर अपात्र जातियों को दिया जा रहा है जोकि केवल अवैधानिक ही नहीं बल्कि अन्यायकारी भी है। इससे यह भी स्पष्ट है कि योगी सरकार आदिवासी जाति धाँगर विरोधी है, क्योंकि इस परिवर्तन से उनको अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र मिलना बंद हो गया है।

इसके अतिरिक्त एक दूसरे पत्र में अध्यक्ष, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की सूचि में क्रमांक 27 पर अंकित 'Dhangar' जाति के हिंदी नाम 'धंगड़' को सही करके 'धांगर' करने के सम्बन्ध में भी लिखा गया है, क्योंकि इस जाति का सही नाम धाँगर है न कि धंगड़।

आईपीएफ ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तथा समाज कल्याण एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार को इस अति महत्वपूर्ण मामले को तुरंत देखने तथा धंगड़ जाति के साथ हो रहे अन्याय को रोकने की मांग की है अन्यथा इसके विरुद्ध जनआन्दोलन आयोजित किया जाएगा तथा इस मामले को उच्च न्यायालय में भी ले जाया जाएगा।

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