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आंदोलन

CAA : होर्डिंग, गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर, रासुका से लड़ता-भिड़ता मऊ

Janjwar Desk
17 Dec 2020 10:03 PM IST
CAA : होर्डिंग, गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर, रासुका से लड़ता-भिड़ता मऊ
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नागरिकता आंदोलन यानी CAA के खिलाफ चले आंदोलन के एक साल पर मऊ में हुए जोर-जुल्म़ पर रिहाई मंच ने जारी की रिपोर्ट, सामने आई कई अनकही जुल्मो-सितम की कहानियां...

लखनऊ, जनज्वार। रिहाई मंच ने नागरिकता आंदोलन यानी सीएए आंदोलन के खिलाफ चले आंदोलन के एक साल होने पर रिपोर्ट जारी करते हुए मऊ में रासुका के तहत कैद लोगों की रिहाई की मांग की है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दिसंबर 2019 में नागरिकता कानूनों में संशोधन के खिलाफ असम में विरोध शुरु हुआ। इसके बाद जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, दिल्ली में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्र-छात्राओं पर पुलिसिया दमन हुआ।

इसके खिलाफ 15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी विरोध हुआ। इसी कड़ी में 16 दिसंबर को मऊ शहर में भी व्यापक तौर पर विरोध दर्ज किया गया। यूपी में मऊ पहला जिला था जहां से आम जनता इस असंवैधानिक नागरिकता कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरी जिसके बाद देखते-देखते पूरा सूबा आंदोलन में शामिल हो गया।

आन्दोलन की बढ़ती व्यापकता से डर कर योगी सरकार ने गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर, रासुका जैसे हथियार इस्तेमाल किए। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, मोहम्मद इमरान, आदिल, एडवोकेट विनोद यादव, अवधेश यादव, मोहम्मद कासिम, आबिद और मुन्ना शामिल थे।

मऊ के थाना दक्षिण टोला में 17 दिसंबर 2019 को एफआईआर नंबर 246 में 24 धाराओं में 61 लोगों, एफआईआर नंबर 247 में 20 धाराओं में 72 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर हुई। एफआईआर नंबर 249 और 250 के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया। थाना कोतवाली में 17 दिसंबर को एफआईआर नंबर 590 के तहत 11 धाराओं में 90 लोगों के खिलाफ नामजद और 1 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। थाना दक्षिण टोला में एफआईआर नंबर 106 में उ0प्र0 गिरोहबंद समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, (गैंगेस्टर एक्ट) 1986 के तहत 22 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। मऊ में छह व्यक्तियों के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गई।

रिहाई मंच ने कहा कि रासुका के आर्डर के पांच दिन के भीतर सरकार आरोपी को सूचित करती है कि उसे एनएसए में निरुद्ध किया गया है। यह भी बताया जाता है कि किन आधार पर निरुद्ध किया गया है और कब तक के लिए निरुद्ध किया गया है। आरोपी को वह तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं जिससे वो अपना रिप्रेजेंटेशन उस निरुद्धी के खिलाफ दे सके। यह कानून है, पर यहां तो डीएम ने आरोपियों के घर वालों को बस इतनी सूचना भेज दी कि आपके बेटे को एनएसए में निरुद्ध किया गया है। लेकिन यह सूचना नहीं कि किस तारीख को निरुद्ध किया है और कितने दिन के लिए। निरुद्ध किए जाने का आधार भी नहीं बताया गया। आम तौर पर हजार-पांच सौ पेज का दस्तावेज होता है जिसके आधार पर आरोपी जवाब दाखिल करता है।

21 जून 2020 को बाइस व्यक्तियों के खिलाफ गैंगेस्टर लगाते हुए पच्चीस हजार का ईनाम भी घोषित कर दिया गया। एफआईआर नंबर 0106, उ0 प्र0 गिरोहबंद समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण अधिनियम) 1986 के तहत कहा गया है कि आसिफ चंदन एक शातिर किस्म का अपराधी है जो गैंग बनाकर दंगा करने व कराने के अपराध में शामिल है और दंगा जैसे अपराध कारित करके आर्थिक, भौतिक, दुनियावी लाभ प्राप्त करते हैं।

फैजान, मजहर मेजर, इम्तियाज नोमानी, ओबादा उर्फ ओहाटा, सरफराज, अल्तमस सभासद, अनीस, जावेद उर्फ नाटे, इशहाक, आमिर होंडा, खुर्शीद कमाल, दिलीप पाण्डेय, आमिर, मुनव्वर मुर्गा, शाकिर लारी, जैद, खालिद, शहरयार, अफजाल उर्फ गुड्डू, वहाब, अनस को आसिफ चंदन के गिरोह का सक्रिय सदस्य बताया। यह भी कहा कि इनके भय एवं आतंक के कारण जनता का कोई भी व्यक्ति एफआईआर लिखाने व गवाही देने का साहस नहीं करता है।


कोरोना काल की वजह से न्यायालय न खुलने और परिजनों को पुलिसिया उत्पीड़न से बचाने के लिए 19 लोग थाने में हाजिर हो गए, लेकिन बाद में पुलिस ने अलग-अलग जगह से सभी की गिरफ्तारी का दावा कर दिया और 22 जून को एसपी ने 25-25 हजार का ईनाम घोषित कर दिया। इम्तियाज नोमानी थाने में हाजिर हुए थे, लेकिन उनकी गिरफ्तारी की इस तस्वीर के साथ खबर बनाई गई- जिसमें वह दो पुलिस वालों के बीच हैं और लिखा है पकड़ा गया 25 हजार का ईनामी बदमाश। पुलिस ने आसिफ चंदन के बड़े भाई, इम्तियाज नोमानी के 70 वर्षीय बुजुर्ग पिता मौलाना शमशाद को घर से उठाया और थाने में भाई और बेटे को बुलाने का दबाव बनाया।

ओबादा हारिस, सरफराज, अल्तमस, इम्जियाज नोमानी ने हाईकोर्ट से गैंगेस्टर मामले में गिरफ्तारी पर स्टे लिया। 6 अगस्त के करीब ओबादा, अल्तमस समासद, इम्तियाज नोमानी, अनीस, फैजान आकिब, मजहर मेजर, असिफ चंदन, आमिर होण्डा, इशहाक खान, मुनव्वर मुर्गा, सरफराज, राशिद उर्फ मुन्ना समेत 12 के खिलाफ गुण्डा एक्ट की कार्रवाई की गई। अल्तमस सभासद, अनीस, राशिद उर्फ मुन्ना को हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद जिला बदर घोषित कर दिया गया। मीडिया के अनुसार मुख्तार अंसारी के नाम पर 10 से अधिक लोगों पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई, जिसमें अल्तमस सभासद, अनीस और राशिद का भी नाम है जो नागरिकता को लेकर चले आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमे में नामित थे।

इस कार्रवाई में जाहिद, मसूद, मोहर सिंह, जुल्फेकार कुरैशी, तारिक, आमिर हमजा का भी नाम है हालांकि उनका नाम उस आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों में नहीं था। पुलिस ने मीडिया से कहा कि मुख्तार के बाइस सहयोगियों के खिलाफ गुंडा एक्ट, 12 को जिला बदर, 10 के खिलाफ कार्रवाई हुई है। 26 लाइसेंस को चिन्हित कर निलंबित, 19 शस्त्रों को निरस्त और पांच के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।

3 सितंबर को मजहर मेजर, अनीस, इशहाक, मुनव्वर मुर्गा को जिला कचहरी से जमानत मिलने के बाद रिहाई होते ही कुछ वक्त में मालूम चला कि आसिफ चंदन, फैजान आकिब, आमिर होण्डा, अनस, अब्दुल वहाब को रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया है। जो सूचना सामने आई उसके अनुसार इशहाक और मुनव्वर मुर्गा के खिलाफ भी रासुका लगाने की तैयारी थी, पर जेल से उनकी रिहाई हो गई थी। इस वजह से रासुका की नोटिस तामील नहीं हो पाई।

16 दिसंबर को मिर्जाहादिपुरा चैराहे के पास से एक ही परिवार के मसूद, आरिफ, शाहिद और नौशाद को पुलिस ने उठा लिया। जुर्म बस इतना कि इनका घर सड़क किनारे था। पुलिस ने आरोप लगाया कि इनके घर से पत्थरबाजी हुई। लोग कहते हैं कि फौजी गेट के पास एक नाबालिग बच्चे की गिरफ्तारी कर 55 दिन जेल में रखा।

प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार 16/12/19 को करीब 14:30 बजे नब्बे व लगभग 600 अज्ञात व्यक्ति चैराहे के पास सड़क पर एनसीआर/सीएबी के विरोध में नारेबाजी कर रहे थे, हाथों में लाठी-डंडे थे। सभी व्यक्तियों को सार्वजनिक मार्ग खाली करने, आवागमन को बाधित न करने तथा बिना किसी वैधानिक अनुमति के विरोध प्रदर्शन/जुलूस/धरना किए जाने से मना किया गया। किंतु वे लोग पुलिस बल व आने-जाने वालों को गाली गलौज व जानमाल की धमकी देने लगे। इस कृत्य से लोगों में भगदड़ मच गई। लोग अपनी दुकानें बंद कर भागने लगे। अपने घरों के दरवाजे बंद कर छिपने लगे। कुछ देर के लिए वहां अराजकता का माहौल पैदा हो गया। आपराधिक षडयंत्र करके एनसीआर/सीएबी के विरुद्ध जुलूस, प्रदर्शन व धरना का कार्यक्रम हुआ।

1 फरवरी 2020 को कहा गया कि मामला संज्ञेय अपराध से संबधित है। अभियुक्तगण की गिरफ्तारी का पर्याप्त प्रयास किया गया। आसिफ चंदन उर्फ मोहम्मद आसिफ, फैजान, मजहर मेजर, इम्तियाज नोमानी, ओबादा उर्फ ओहादा, सरफराज, अल्तमस सभासद, अनीस, जावेद उर्फ नाटे, इशहाक, आमिर होण्डा, मंजर कमाल, खुर्शीद कमाल, दिलीप पाण्डेय, आमिर, जैदुल उर्फ जैदी, साकिर लारी, जैद, अजमल, खालिद, शहरयार, असलम, अफजल उर्फ गुन्डा के विरुद्ध गैर जमानती अधिपत्र जारी हो।

नवंबर 2020 में नागरिकता विरोधी आंदोलन में मऊ शहर की कोतवाली पुलिस ने अपराध संख्या 590/19 में 77 अन्य का नाम शामिल किया। इनमें 43 कोतवाली क्षेत्र के और 34 व्यक्ति थाना दक्षिण टोला क्षेत्र के हैं। इनके ऊपर भी 147, 148, 186, 188, 189, 341, 353, 504, 506, 120 बी, 7 सीएलए एक्ट धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए हैं।

रिपोर्ट लिखने के अन्तिम दौर में जानकारी मिली कि मोहम्मद शहरयार के नाम से दर्ज मुकदमे के नाम पर भिखारीपुरा निवासी मोहम्मद साकिब पर कार्रवाई की जा रही है। साकिब को मुहल्ले में लोग साकिब या बाबू के नाम से जानते हैं। उनका नाम शहरयार नहीं। उन पर भी गैंगेस्टर और गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। जिस दिन जेल से रिहा होने वाले थे, उसी दिन उन पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई। इस तरह मऊ में छह लोगों पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। जिनके नाम- आसिफ चंदन, आकिब फैजान, अनस, मुहम्मद साकिब, आमिर होण्डा, अब्दुल वहाब हैं।

आंदोलनकारियों पर पुलिसिया होर्डिंग वार

16 दिसंबर के बाद मऊ में तीन बार आरोपियों के नाम पर होर्डिंग लगाकर आंदोलनकारियों की छवि खराब करने की कोशिश की गई। 20 दिसंबर के आसपास 110 लोगों की पहली होर्डिंग लगी, फेसबुक से फोटो निकालकर। दूसरी होर्डिंग 28 जनवरी को 36 लोगों के खिलाफ और फरवरी में तीसरी 22 लोगों के खिलाफ नाॅन बेलेबल वारंट जारी किए जाने के बाद। नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर मऊ में पांच मुकदमे दर्ज किए गए जिसमें चार 17 दिसंबर 2019 को और एक गैंगेस्टर का 21 जून 2020 को। 17 दिसंबर को दर्ज मुकदमा कितना सच है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक ही व्यक्ति पर एक ही समय दो थानों में मुकदमा दर्ज हुआ।

गैंगस्टर एक्ट, गुण्डा एक्ट और रासुका के तहत कैद आसिफ चंदन

मऊ के मिर्जाहादीपुरा में चिरैयाकोट रोड के निवासी एमआईएम के जिलाध्यक्ष आसिफ चंदन पर भी गैंगेस्टर एक्ट, गुण्डा एक्ट और रासुका के तहत कार्रवाई हुई। डीएम ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने इस बावत उनके पिता अखलाक चंदन को 3 सितंबर 2020 को पत्र भेजा। इसमें कहा गया कि आपके लड़के को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 3 (2) के अंतर्गत निरुद्ध किया गया है जो वर्तमान समय में जनपद कारागार, जनपद मऊ में निरुद्ध है।

38 वर्षीय आसिफ के पिता उसके बच्चों के लिए फिक्रमंद हैं, कहते हैं कि क्या हाल होगा उनका। घटना के दिन तो आसिफ शाहगंज, जौनपुर में था। पुलिसिया दहशत से दो महीना घर बंद रहा। उनका एक मैरिज हाल था जिसे पुलिस पहले ही सीज कर चुकी है। उन्हें लगता है कि एमआईएम के जिलाध्यक्ष बनने की वजह से आसिफ निशाने पर आए। दो महीने पहले ही वह जिलाध्यक्ष बना था। गंभीर रुप से बीमार आसिफ की मां का इलाज चल रहा है। इलाज के लिए उन्हें लाने ले जाने का काम आसिफ के ही जिम्मे था। ऐसे में उसकी मां का इलाज रुक सा गया है।

आसिफ के एक लड़की और दो लड़के हैं। आसिफ के पिता कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के मेंबर रहे हैं। शहर में सांप्रदायिक तनाव हो या कोई प्राकृतिक आपदा, वे हर वक्त जनता के साथ खड़े रहे और जिलाधिकारी ने उन्हें नंबर वन शहरी का भी खिताब दिया।

रासुका का मतलब पूछने पर सिर हिलाकर ना कहते हुए कहते हैं, 2005 में हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक तनाव के बीच उनके मोहल्ले में चार-पांच हिंदू दुकानदार फंस गए थे। वे उन्हें अपने घर ले आए, लेकिन दुकानदार उन पर यकीन नहीं कर पा रहे थे। खैर, वो प्रशासन से मिले और उस वक्त की चेयरमैन राना खातून से भी। आखिरकार पुलिस वाले आए और उन दुकानदारों को ले गए।

आसिफ के भाई मोहम्मद शाहिद कहते हैं कि 17 दिसंबर को पीछे का दरवाजा तोड़कर पुलिस घर में घुसी थी- आप समझ सकते हैं कि तब कैसी दहशत रही होगी। उनके चंदन मैरिज हाल के अंदर कुछ निर्माण हुआ था। इस बहाने सिटी मजिस्ट्रेट ने नोटिस दी। दो साल से चल रहे इस हाल पर बैंक लोन भी है जिसकी वजह से परिवार आर्थिक तौर पर भी टूट गया है। इस बीच उनके सीज मैरिज हाल में तीन-तीन बार चोरी भी हो चुकी है। वहां वे जा नहीं सकते, लेकिन चोर जा सकते हैं, क्या दिन आ गए हैं। 16 दिसंबर के मामले में वे अंतरिम जमानत पर थे। 22 जून 2020 की शाम पांच बजे सीओ आए, आसिफ नहीं मिला तो उसे लेकर चले गए और आसिफ को हाजिर होने के लिए कह गए। शाम 7 बजे आसिफ दक्षिण टोला थाने में हाजिर हुए। गैंगेस्टर के तहत गिरफ्तार करने के बाद उनके ऊपर गुण्डा एक्ट और तीन सितंबर को रासुका के तहत कार्रवाई की गई।


28 जनवरी 2020 को मैरिज हाल को गिरवाने का नोटिस आया, जिसमें कहा गया कि जहांगीराबाद स्थित इस भवन का निर्माण बिना अनुमति के किया गया है। नगर मजिस्ट्रेट/नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र, मऊनाथ भंजन मऊ ने 30 जनवरी 2020 को आदेश दिया कि मैरिज हाल का संचालन अवैध रुप से किया गया। इसे रोकने के लिए आवश्यक कार्यवाही किया जाना उचित प्रतीत होता है। मैरिज हाल अवैध रुप से बिना अनुमति निर्मित है तथा उसका संचालन विधि विरुद्ध है। इसलिए मैरिज हाल को तत्काल प्रभाव से आरबीओ एक्ट 195 की धारा 10 (2) के तहत सील किया जाता है, जबकि परिजनों का कहना है कि मैरिज हाल का जो भी टैक्स होता था उसे दिया जाता रहा है।

कानून का छात्र रासुका के शिकंजे में

मऊ के लच्छीपुरा के रहने वाले 24 वर्षीय फैजान के पिता मुनव्वर अली बताते हैं कि फैजान शिब्ली नेशनल कालेज आजमगढ़ में कानून का छात्र है। उन्हें 3 सितंबर की तारीख का डीएम का पत्र मिला, जिसमें सूचित किया गया था कि फैजान को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम- 1980 की धारा 3(2) के अन्तर्गत निरुद्ध किया गया है जो वर्तमान में जनपद कारागार, जनपद मऊ में निरुद्ध है। मुनव्वर डीएम-कप्तान सबसे मिले, कहा कि अगर कोई सुबूत हो तो दें।

इस मामले में मुनव्वर का भी नाम पुलिस ने दर्ज किया है। 21 जून रात 9 बजे दरोगा दक्षिण टोला आए और गाली-फक्कड़ दिया। घर में उनकी पत्नी और दो बच्चियां थीं। बेटे की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबाव बना रही थी। दूसरे दिन सुबह 8 बजे थाने ले जाकर फैजान को हाजिर करवा दिया। वहां आसिफ चंदन मौजूद थे। मुनव्वर अली, मुनव्वर रजाई के नाम से जाने जाते हैं। लच्छीपुरा में ही उनकी रजाई-गद्दे की दुकान है।

पुलिस के बुलावे पर थाने गया 'अनस' तो लगा ​दिया गैंगेस्टर और एनएसए

मऊ के ही मलिक ताहिरपुरा मुहल्ले के रहने वाले मोहम्मद अनस के पिता मोहम्मद रिजवान बताते हैं कि उस दिन 17 दिसंबर को मेवालाल चैराहे के पास था तो नगर कोतवाल राम सिंह गाड़ी से आए और उसे उठा ले गए। यह 16 दिसबंर के वाकए के दूसरे दिन की बात है। पहले उसे मिर्जाहादीपुरा तक गए जुलूस में शामिल बताया गया, फिर सरकारी बस और बिजली विभाग की संपत्ति को क्षति पहुंचाने का भी मुकदमा पंजीकृत किया गया। डेढ़ महीने से ज्यादा वह जेल में रहा।

जून 2020 में फिर पुलिस आई और कहा कि अनस को थाने भेजिए। क्या करते, उसे भेजा गया। अब मालूम पड़ा कि उस पर रासुका लगा दिया गया। जेल में ही उससे हस्ताक्षर करवा लिए गए थे। चार भाई और दो बहन वाले अनस के पिता साड़ी का व्यवसाय करते हैं जो मऊ में आम है।

मोहल्ले के लोग बताते हैं कि आज भी पुलिस आती है, मोबाइल में लड़कों के फोटो दिखाकर उनके बारे में पूछताछ करती है। उन्हें सचमुच पकड़ने या कि दहशत फैलाने के लिए- इसका कोई जवाब उनके पास नहीं। इसी मोहल्ले के इसरारुल हक का भी नाम 16 दिसंबर की घटना में पुलिस ने बताया, हालांकि वह सउदी में रहते हैं। उनके बेटे मोहम्मद नासिर ने उनका टिकट वगैरह दिखाया तब जाकर पुलिस मानी। मोहल्ले वालों का कहना है कि कुछ लोग पुलिस को नाम दे रहे हैं, जिससे उनके निजी हित सध सकें और उनके विरोधी निपट सकें।

मोहम्मद अनस के भाई मोहम्मद अलकमा शिब्ली नेशनल कालेज आजमगढ़ से बीकॉम कर रहे हैं। बताते हैं कि पहली बार भाई चौंसठ दिन जेल में रहे। सेशन कोर्ट से जमानत मिली। अब्बा भाई की बहुत चिंता करते हैं। अब्बा हार्ट पेशेंट हैं। 21 जून को पुलिस आई, भाई को थाने बुलाया तो वह शाम 6 बजे चले गए। वकील साहब ने कहा था कि जब भी पुलिस बुलाए तो चले जाना तो चले गए। नहीं मालूम था कि उनपर गैंगेस्टर लगेगा। अब तो एनएसए भी लग गया। जैसा कि मालूम पड़ा पांच सौ पेज पर उनके अंगूठे के निशान लिए गए हैं। 4 सितंबर की शाम 5 बजे पुलिस ने आकर रासुका की नोटिस थमा दी। रासुका के संबन्ध में कोई और दस्तावेज नहीं दिए।

आमिर होण्डा पर भी लगा रासुका

भिखारीपुरा के रहने वाले आमिर होण्डो के वालिद शब्बीर अहमद को दिल का दौरा पड़ा और वे चल बसे। वो कम्युनिस्ट नाम से जाने जाते थे। आमिर पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है, और वो जेल में बंद हैं। शायद बेटे की चिंता ने उनकी जान ले ली।

मऊ के श्याम बाजार में 24 वर्षीय आमिर के भाई मंजर कमाल से बात हुई। वे बताते हैं कि 16 दिसंबर के मामले में उनके भाई ने अरेस्ट स्टे ले लिया था। दो बार उनका पोस्टर भी निकाला गया। दिन में चार बजे पुलिस ने आकर उनको हाजिर होने को कहा। अखबार से पता चला कि उन पर गैंगेस्टर की कार्रवाई की गई है। 22 जून की सुबह वह कोतवाली में हाजिर हुए। तीन भाई एक बहन वाले आमिर होण्डा की साड़ी की एजेंसी है। वो सप्लायर एजेंट हैं। 3 सितंबर को जेल में कुछ लोग उनके पास एनएसए की कार्रवाई के लिए पहुंचे। दूसरे दिन चार बजे पुलिस वालों ने रासुका की नोटिस दी। इसके अलावा और कोई कागज नहीं दिया।

औबैदा हारिस- गैंगस्टर, पर हाईकोर्ट से स्टे पर मुश्किलें कम नहीं

मिर्जाहादीपुरा के औबैदा हारिस फिलहाल गैंगेस्टर के बाद हाईकोर्ट से स्टे पर बाहर हैं। बताते हैं कि उनके घर पुलिस ने छापा मारा तो घर की आलमारी तक देखी कि कहीं इसमें न छिपा हूं। गैंगेस्टर के बाद पुलिस लगातार उनके घर पर आकर दबाव बनाती थी। परिजनों से गाली-गलौज करती थी। हमारे पास कानूनी तौर पर न्यायालय जाने का अधिकार है। पर पुलिस की कोशिश थी कि हम खुद को उनके हवाले कर दें। हमने न्यायालय का रास्ता अपनाया और जिस तरह से 16 दिसंबर के बाद के मुकदमो में अंतरिम जमानत मिली वैसे ही हाईकोर्ट से गैंगेस्टर पर स्टे मिल गया। उनके सह आरोपियों पर एनएसए और जिलाबदर की कार्रवाई को देखते हुए उन्हें लगता है कि अभी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं।


मुख्तार अंसारी से जोड़कर 'अल्तमस' सभासद पर गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट फिर जिलाबदर

अस्तुपुरा मोहल्ला निवासी और जनपद के 'मऊ बचाओ बाहरी भगाओ' अभियान के अगुवा रहे एवं आम आदमी पार्टी से जुड़े अल्तमस सभासद को जिलाबदर कर दिया गया है।

आसपास के लोग कहते हैं, 16 दिसंबर के बाद अगली रात पुलिस ने उनके घर ढाई बजे के करीब दबिश दी। सात जीप में 35-40 पुलिस वाले थे। एक महीने बाद 2 फरवरी को उनको अग्रिम जमानत मिल गई। फरवरी के अंत में शायद 25 फरवरी को दरोगा नजर अब्बास ने पूछताछ के लिए उन्हें बुलाया तो वे चले गए। पुलिस ने उनसे घर, रिश्तेदारों और यह तक कि दोस्तों का भी ब्योरा लिया। यह सब पूछा कि किन-किन मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करता हूं। 6-7 फरवरी में सम्पत्ति के मुकदमो में कोर्ट में आपत्ति दी।

अल्तमस बताते हैं, कोरोना काल आया तो सभासद और नागरिक के बतौर जनता की सहायता में लग गए। जून में मजहर को पुलिस का फोन आता है। उनके साथ वालों का नाम पूछते हुए जिसमें मेरा नाम भी था सीओ आफिस बुलाया गया। मालूम चला कि गैंगेस्टर के तहत उनको निरुद्ध कर दिया गया है। उसी दिन वार्ड में कोरोना पीड़ित मिलने के बाद वहां की व्यवस्था देखने में लग गया। 23 जून की शाम साढ़े 6 बजे सिटी मजिस्ट्रेट साहब आए और कोतवाली की पुलिस भी आ गई। पुलिस के रुख को देखकर मुझे लगा कि वह जनसेवा नहीं बल्कि मुझे तलाश कर रही है। मेरे पास कोर्ट का रास्ता था। ऐसे में मैं वहां से हट गया।

अल्तमस आगे कहते हैं, 2 जुलाई को दिन में 11 बजे के करीब पुलिस ने मेरे घर दबिश दी। मम्मी-पापा को धमकाया और घर में रखे पेड़-पौधे तक तोड़ डाले। बार-बार बातचीत में पेड़ों की बात दोहराने से अल्तमस के उनके प्रति प्रेम को समझा जा सकता है। पुलिस ने कहा कि अभी तो बस इतना कर रहे हैं, आगे और भी बहुत कुछ करेंगे। गैंगेस्टर के खिलाफ वह हाईकोर्ट गए जहां से 31 अगस्त को अरेस्ट स्टे आर्डर मिल गया। उनके ऊपर गुण्डा एक्ट भी लगा। 10 अगस्त को डेट थी। जब वे वहां पहुंचे तो मालूम चला कि फाइल आर्डर में चली गई। ऐसे में प्रार्थना पत्र लेकर जिलाधिकारी से मुलाकात की फिर भी मुझे फाइल नहीं दी गई। 18 अगस्त को नकल निकलवाई तो मालूम चला कि 10 अगस्त को ही उनको जिलाबदर घोषित कर दिया गया है।

12 फरवरी 2020 के हस्ताक्षर से क्राइम ब्रांच मऊ, नीरज पाठक ने अल्तमस सभासद को नोटिस भेजी जिसमें कहा गया कि मुकदमा अपराध संख्या 590/19 थाना कोतवाली नगर, 246/19 दक्षिण टोला, 247/19 दक्षिण टोला, 249/19, 250/19 दक्षिण टोला में वे वांछित अभियुक्त हैं। इन मुकदमों में न्यायालय से एनबीडब्लू जारी किया गया है। इसमें न्यायालय द्वारा कुछ शर्तों के अधीन अंतरिम जमानत प्रदान की गई है। आदेश था कि 13 फरवरी 2020 को सुबह 10 बजे थाना दक्षिण टोला पर उपस्थित होकर अभिकथन अंकित कराएं कि निर्धारित दिनांक व समय व स्थान पर उपस्थित नहीं होने की दशा में इसे माननीय न्यायालय के शर्तों का उल्लंघन मानते हुए आपके विरुद्ध अग्रिम वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।

पांच बहन तीन भाई वाले अल्तमस को सबसे बड़ा दुःख इस बात का है कि उनको मुख्तार अंसारी का आदमी कहकर गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर किया जा रहा है। ऐसे में एक सामाजिक आदमी क्या सामजिक कार्य करेगा?

सरफराज पर एक समय पर दो जगहों पर मुकदमा फिर गैंगेस्टर, गुण्डा एक्ट

मऊ के मुस्तफाबाद के 34 वर्षीय सरफराज बताते हैं कि 15 दिसंबर को जामिया और एएमयू के छात्रों के दमन के विरोध में शहर के युवाओं ने जुलूस निकाला था। लोग बाजार चौक सदर से खीरी बाग में एकत्र हुए और मिर्जाहादीपुरा गए। थाना कोतवाली और दक्षिण टोला थानों में मुकदमे दर्ज हुए। दक्षिण टोला में तोड़फोड़ और आगजनी का मुकदमा दर्ज हुआ। उनके नाम से कोई मुकदमा नहीं था पर पुलिस उनके घर आती थी।

एसएसपी ने कहा था कि किसी निर्दोष को नहीं फंसाया जाएगा और अगर किसी का नाम आ गया है तो वह आकर शिकायत करे। तो सरफराज ने प्रार्थना पत्र देकर खुद को निर्दोष बताया। उसके बाद उनके नाम, वल्दियत और मोहल्ले के नाम से नोटिस आने लगी। ठीक यही कहानी ओबादा हारिस की भी है। अजीब बात है कि निर्दोष होने का प्रार्थना पत्र दिए जाने के बाद उन्हें पुख्ता तौर पर दोषी मान लिया गया और वल्दियत और सही पते के साथ नोटिस आ गई। यानी पुलिस का निशाना तय था।

सरफराज कहते हैं कि उनके खिलाफ 2 बजकर 46 मिनट पर कोतवाली और मिर्जाहादीपुरा थाने में मामला दर्ज हुआ। उनका सवाल है कि आखिर एक आदमी एक समय पर दो जगहों पर कैसे रह सकता है। खैर, एनबीडब्लू आने के बाद 5 मार्च 2020 को अग्रिम जमानत और गैंगेस्टर मामले में भी हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। उन्हें क्षतिपूर्ति की भी नोटिस मिली और उनपर भी पच्चीस हजार का ईनाम घोषित किया गया। गैंगेस्टर की कार्रवाई के बाद वे हाईकोर्ट गए तो न्यायालय ने चार्जशीट और ठोस सुबूत मांगते हुए 31 जुलाई 2020 को उनकी गिरफ्तारी पर स्टे लगा दिया। उसके बाद 6 अगस्त को गुण्डा एक्ट लगा दिया।

इम्तियाज नोमानी के पिता मौलवी शमशाद अहमद ने पुलिस वालों से कहा- मास्टर हूं, बच्चों को ऐसी तालीम नहीं दी, किसने दी!

मऊ के डोमनपुरा, गोलवा के रहने वाले इम्तियाज नोमानी के अब्बा मौलवी शमशाद अहमद बताते हैं कि उस दिन जैसे ही मालूम चला कि पुलिस आ रही है वे तेजी से घर लौटे। तब तक पुलिस आ गई। चिल्लाते-धमकाते हुए कहा कि थाने चलना होगा। बदतमीजी से बात किए जाने पर उन्होंने कहा कि मास्टर हूं, बच्चों को ऐसी तालीम तो दी नहीं, किसने ये तालीम दी। तब वे कुछ शांत हुए। मुझे वो घर के अंदर नहीं जाने दे रहे थे। बड़ी मुश्किल से उन्हें कुर्ता लेने की इजाजत मिली।

उस वक्त सरफराज दरोगा थाना दक्षिण टोला वाले थे। वे लगातार इम्तियाज को बुलाने को कह रहे थे जबकि वो शहर में नहीं था। जमाल अर्पन समेत शहर के कुछ लोगों ने वक्त मांगा और पहली जुलाई को वह थाने में हाजिर हो गया। हाजिर होने के बाद एक अखबार की खबर से इम्तियाज के पिता नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि दो सिपाहियों के बीच दिखाकर इम्तियाज के बारे में लिखा गया कि वह 25 हजार का ईनामी बदमाश था और उसकी पुलिस ने गिरफ्तारी की। जबकि वादे के मुताबिक उसने सरेण्डर किया था। इम्तियाज के दो बेटी और 2 बेटे हैं। उनके ऊपर भी गुण्डा ऐक्ट लगा है। फिलहाल इम्तियाज जेल से रिहा हो गए हैं।


गया था थाने, पुलिस ने दिखाया ढेकुलियाघाट पुल से गिरफ्तारी- मजहर मेजर

मऊ के औरंगाबाद, ईदगाह रोड के रहने वाले मजहर मेजर के दो बच्चे हैं। वो एक दिन पहले जेल से छूट कर आए थे जब उनके घर हमारी मुलाकात हुई। दो महीने से ज्यादा जेल काटकर आए मजहर से बच्चे लिपटे पड़े थे। 16 दिसंबर को हुए नागरिकता विरोधी आंदोलन के बाद 25-26 दिसंबर को पुलिस आई और सीधे उनके घर में घुस गई जहां वे अपने और अपने भाई के परिवार के साथ रहते हैं। एक दिन बाद औरंगाबाद स्थित उनकी प्रिंटिग की दुकान में भी पुलिस आ धमकी। दो दिन बाद फिर आई और फिर पुलिस का रुटीन हो गया था कि रात के अंधेरे में घर के सामने आकर टार्च मारना और चले जाना। इस कार्रवाई का अंदाजा उसके दिल से पूछना चाहिए, जिसके घर आकर पुलिस दहशत फैलाकर चली गई हो। अंतरिम जमानत के बाद उनको थोड़ी राहत मिली।

21 जून को दिन में 1 बजकर 45 मिनट पर मेजर को फोन आया कि सीओ साहब मीटिंग लेना चाहते हैं। मालूम चला कि दिलीप पाण्डेय, अफजल, गुड्डू, अनस को पुलिस ने उठा लिया है। 22 जून की सुबह 10 बजे अधिवक्ता दरोगा सिंह ने एक अन्य शहरयार के साथ थाने में उन्हें हाजिर करवा दिया। पर पुलिस ने इन सबकी गिरफ्तारी ढेकुलियाघाट पुल के पास से दिखाई। इसके एक दिन पहले 9 लोगों की भी गिरफ्तारी यहीं से दिखाई गई थी। बातचीत में वे कहते हैं कि जज साहिबा ने पुलिस से इस बारे में कहा कि आखिर एक ही जगह से सब गिरफ्तारी कैसे हो रही है।

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