Dehradun news : ग्रेड पे पर सस्पेंड हुए पुलिसकर्मी तो वायरल होने लगी CM धामी की पुरानी चिट्ठी, परिजन गुस्से में
Dehradun news : विधानसभा चुनाव से पूर्व पुलिसकर्मियों के ग्रेड पे के मामले में ठंडा पड़ा आंदोलन अब फिर जोर पकड़ने लगा है। पुलिसकर्मियों के परिजनों ने इस मामले में सोमवार 1 अगस्त को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया तो पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) ने देर रात ही तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया। इसी के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की वह चिट्ठी वायरल होनी शुरू हो गई है, जिसमें वह बतौर विधायक अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से पुलिसकर्मियों को ग्रेड पे दिए जाने की बात कर रहे हैं।
यहां बता दे कि पुलिसकर्मियों के वेतन में विसंगतियों के चलते उत्तराखंड में 2001 बैच के पुलिसकर्मी अपने लिए 4600 रुपए ग्रेड पे की मांग कर रहें हैं। साल 2022 विधानसभा चुनाव से पहले पुलिसकर्मियों के परिजन ग्रेड-पे को लेकर खुलकर सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। पिछली सरकार के मुख्यमंत्री ने रिजर्व पुलिस लाइन में पुलिस स्मृति दिवस पर मंच से वर्ष 2001 बैच के पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की भी की थी। जिसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था, लेकिन सीएम की घोषणा के उलट सरकार ने ग्रेड पे की जगह दो लाख रुपये का शासनादेश जारी कर दिया था। पुलिसकर्मी इसे अपने साथ विश्वासघात बता रहे हैं। विधानसभा चुनाव तक यह मामला ठंडे बस्ते में रहा। लेकिन कांवड़ मेला निपटते ही पुलिसकर्मी इस मामले में सक्रिय हो उठे। पुलिसकर्मियों के इंटर्नल वाट्सअप ग्रुप में इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं होने लगी।
सोमवार 1 अगस्त को राजधानी देहरादून के प्रेस क्लब स्थित उज्जवला रेस्टोरेंट में पुलिस के परिजनों ने पुलिस के ग्रेड-पे को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें कई पुलिसकर्मियों के परिजन शामिल हुए थे। इस प्रेस कांफ्रेंस में पुलिसकर्मियों के परिजनों ने ग्रेड पे लागू करने की मांग की थी। पुलिसकर्मियों के परिजनों ने सरकार को एक सप्ताह की मोहलत देते हुए 4600 रुपए का ग्रेड पे लागू न किए जाने की सूरत में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी थी। लेकिन पुलिस विभाग की तरफ से इस प्रेस कांफ्रेंस को पुलिसकर्मियों की अनुशासनहीनता मानते हुए तीन पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया।
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा ग्रेड-पे मामले में जिन तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया है उसमें कुलदीप भंडारी, दिनेश चंद्र और हरेंद्र रावत है। इन पुलिसकर्मियों में एक पुलिसकर्मी चमोली जिले से हैं, दूसरा पुलिसकर्मी उत्तरकाशी जिले से है और तीसरे पुलिसकर्मी की तैनाती देहरादून के ही पुलिस मुख्यालय में है। विभाग की ओर से इन पुलिसकर्मियों के परिजनों पर प्रेस कांफ्रेंस में शामिल होने का इल्जाम लगाया गया है। तीनो पुलिसकर्मियों को पुलिस आचार संहिता नियमावली तोड़ने का दोषी पाए जाने पर सस्पेंड किया गया है।
पुलिस मुख्यालय से इस संबंध में बयान जारी किया है कि पुलिसकर्मियों के परिजनों की ओर से 4600 ग्रेड पे के संबंध में प्रेसवार्ता की गई है। वह सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली की धारा 5 (2) एवम 24 (क) का उल्लंघन है। इस क्रम में चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। पुलिस महानिदेशक की ओर से पुलिसकर्मियों के स्वजन को भी समझाया गया है कि जो भी पुलिसकर्मी अनुशासनहीनता करेगा या उसके स्वजन नियमों का उल्लंघन करेंगे, उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
विभाग की ओर से निलंबन का आदेश जारी होने के बाद पुलिसकर्मियों के परिजन शकुंतला रावत, आशी भंडारी और उर्मिला चंद ने पुलिस मुख्यालय में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से मुलाकात कर की। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने रिजर्व पुलिस लाइन में पुलिस स्मृति दिवस पर मंच से वर्ष 2001 बैच के पुलिसकर्मियों को 4600 ग्रेड पे देने की घोषणा की थी। चुनाव होने के बाद इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। पुलिसकर्मियों के परिजनों का कहना है कि सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है। सीएम की घोषणा के उलट सरकार ने दो लाख रुपये का शासनादेश जारी कर दिया।
इधर पुलिस मुख्यालय से इन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने का आदेश जारी होने के बाद वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की वह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल होनी शुरू हो गई है जिसमें 16 मई 2021 को वह बतौर विधायक तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पुलिसकर्मियों को ग्रेड पे दिए जाने की मांग का समर्थन कर रहे हैं। इस वायरल हो रही चिट्ठी के मुताबिक उस समय धामी द्वारा अपने पत्र में तत्कालीन मुख्यमंत्री को लिखा गया था कि पुलिस विभाग में वर्ष 2001 व 2002 के आरक्षियों के वेतन विसंगति में छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के पश्चात पुलिस विभाग में 16 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण होने पर पुलिस आरक्षियों को 4600 ग्रेड पे दिया जा रहा था जिसे सातवें वेतन आयोग के लागू होने से पूर्व ही पूर्ववर्ती सरकार द्वारा एम.ए.सी.पी.एस 2017 के आधार पर 20 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण होने पर 4600 ग्रेड पे दिये जाने के आदेश निर्गत किये गये थे, जो पूर्व पुलिस कार्मिकों को यथावत प्रदान किया जा रहा है।
वर्ष 2001 में भर्ती पुलिस कार्मिकों को वर्ष 2020 माह अक्टूबर में 20 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होने पर शासन द्वारा उक्त कार्मिकों को 4600 के स्थान पर 2800 ग्रेड पे दिये जाने के आदेश निर्गत किये गये है जो कि अन्यायपूर्ण प्रतीत होता है। महोदय जैसा कि आप भलिभांति विदित है कोविड-19 जैसी वैश्विक माहमारी के शुरुवाती दिनों से ही समस्त पुलिस कार्मिक मनोबल के साथ बिना भय के अपनी सेवाएं पूर्ण निष्ठाभाव से दे रहे है। ऐसी स्थिती में यदि ऐसे आदेश निर्गत किये जायेंगे जो नियमानुसार नहीं है तो समस्त पुलिस कार्मिक जो इस भयावह माहमारी में अपनी सेवाएं दे रहे है, उनके मनोबल एवं उत्साह में विपरित प्रभाव पड़ेगा। अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि पुलिस कार्मिकों की सेवाओं को देखते हुए 20 वर्ष की संतोषजनक सेवा के पश्चात 4600 ग्रेड पे दिये जाने हेतु सम्बन्धित को आदेशित करने की कृपा करेंगे।
ऐसे में अब पुलिसकर्मियों का कहना है कि जिस मांग को धामी विधायक रहते हुए जायज मान रहे थे, मुख्यमंत्री बनने के बाद उसी मांग को लेकर उनके कार्यकाल में पुलिसकर्मियों का निलंबन होना दुर्भाग्यपूर्ण है। दूसरी तरफ पुलिसकर्मियों के परिजनों ने भी इस कार्रवाई को तानाशाही बताते हुए आंदोलन जारी रखने की बात कही है।