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आंदोलन

Digital India Reality : मोदी के डिजिटल इंडिया में भी झांसी में 500 लोगों की आबादी वाला पुरैना गांव डूबा है घोर अंधेरे में

Janjwar Desk
2 July 2022 10:32 AM GMT
Digital India Reality : मोदी के डिजिटल इंडिया में भी झांसी में 500 लोगों की आबादी वाला पुरैना गांव डूबा है घोर अंधेरे में
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Digital India Reality : मोदी के डिजिटल इंडिया में भी झांसी में 500 लोगों की आबादी वाला पुरैना गांव डूबा है घोर अंधेरे में

Digital India Reality: आज इंडिया डिजिटल युग में आ चुका है और सरकारें दावा करती हैं कि कोई भी गांव बिजलीविहीन नहीं है, मगर सरकार के इन्हीं दावों को मुंह चिढ़ा रहा है योगी के उत्तर प्रदेश स्थित झांसी का पुरैना गांव।

Digital India Reality: आज इंडिया डिजिटल युग में आ चुका है और सरकारें दावा करती हैं कि कोई भी गांव बिजलीविहीन नहीं है, मगर सरकार के इन्हीं दावों को मुंह चिढ़ा रहा है योगी के उत्तर प्रदेश स्थित झांसी का पुरैना गांव। तकरीबन 500 लोगों की आबादी वाला यह गांव आज भी अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर है, ऐसा तब है जबकि ग्रामीण लंबे समय से बिजली की मांग कर रहे हैं।

गौरतलब है कि योगीराज में बिजलीविहीन इस गांव की समस्या को लेकर 1 जुलाई को उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के बैनर तले जनपद झांसी ब्लाक बंगला कटेरा के गांव पुरैना में विशाल किसान पंचायत आयोजित हुई। किसान कांग्रेस की पंचायत में किसानों ने अपनी अपनी पीड़ा रखी और कहा कि हमें भी बिजली, पानी, सरकारी योजनाएं मिलनी चाहिए। जब से गांव में पैदा हुए हैं बिजली नहीं मिल रही।

बिजली न होने से से इस गांव के लड़कों की शादी में बड़ी मुश्किल आ रही है। तमाम अड़चनों को पार कर शादियां होती भी हैं तो बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं, रात के अंधेरे में सांप बिच्छू का खतरा बना रहता है।

किसान अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहते हैं, सरकार ने मिट्टी का तेल भी बंद कर दिया है। खाने वाले तेल या डीजल से दिया जला कर हम जीवन यापन कर रहे हैं।

गांव के ही एक किसान कहते हैं, 'बिजली ना होने से हम लोग अंधेरे में जी रहे हैं। मोबाइल चार्ज नहीं कर पाते, दूर गांव में जाकर चार्ज करना पड़ता है। इस भीषण गर्मी में टीवी, फ्रिज, कूलर और पंखे जैसी मूलभूत सुविधायें हम लोगों को नहीं मिल पाती। हमारी योगी सरकार से गुजारिश है कि हमारे गांव में बिजली तत्काल पहुंचाये।'

गांव में बिजली लाने के लिए सर्वसम्मति से गांववालों ने आंदोलन की रणनीति बनाई है। ग्रामीण किसान मोतीलाल कहते हैं, 'जब से पैदा हुए आज तक गांव में लाइट नहीं आई। लाइट ना होने से हमारे लड़कों की शादियों में तमाम अड़चनें आती हैं। जिनकी शादियां हो भी जाती हैं, उन्हें दहेज में जो सामान मिलता है उसे रखे रखे जंग लग जाता है।'

अन्य ग्रामीण बताते हैं, हमारे गांव के बगल में एक तालाब है, जहां पर सांप बिच्छू निकलते हैं। इससे ग्रामीणों की जानमाल का खतरा बना रहता है। गांव अंधेरे में डूबा रहता है इसलिए बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते। यहां की सारी व्यवस्था चौपट है, मगर सरकार है कि सुन नहीं रही।

जब से पैदा हुए आज तक गांव में लाइट नहीं आई। लाइट ना होने से हमारे लड़कों की शादियों में तमाम अड़चनें आती हैं

महिला किसान सुमन देवी व्यथित होकर कहती हैं, 'बिजली न होने से हमारे गांव में कोई अपनी लड़की की शादी नहीं करना चाहता है। कोई रिश्ता लेकर आता भी है तो बिजली न होने की बात सुनकर वापस चला जाता है। जिनकी शादियां हो जाती हैं उन्हें दहेज में जो इलेक्ट्रॉनिक सामान मिलता है उसका उपयोग नहीं होता।'

उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिव नारायण सिंह परिहार ने किसानों की पीड़ा सुनते हुए कहा, जहां एक ओर प्रधानमंत्री मोदी जी कह रहे हैं कि गांव गांव विद्युत पहुंचा दी गई है, लेकिन इस गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची। 500 आबादी वाला यह गांव पुरेना आज भी अंधेरे में जीवन जी रहा है। डिजिटल इंडिया की बात करने वालों की सबसे बड़ी नाकामी इस गांव में बिजली ना पहुंचना है। अगर 15 दिनों में इस गांव में बिजली नहीं पहुंची तो गांव में विद्युत विभाग मऊरानीपुर का किसान कांग्रेस घेराव करेगी।

सरकार ने मिट्टी का तेल भी बंद कर दिया है। खाने वाले तेल या डीजल से दिया जला कर हम जीवन यापन कर रहे हैं

विशाल किसान पंचायत में गोपाल दास, मोतीलाल मुखिया, राम रतन, तिजु, सुकैई, तेजू, गोरेलाल, धनीराम, जितेंद्र यादव, हरदास, जुगल किशोर, रविंद्र कुमार, राजाराम, मुन्नालाल, राजू, पप्पू, नरेश, श्रीवास, जगदीश, दयाराम, सोनू, सतीश, रामस्वरूप, मनोज, कालीचरण, धनाराम, अजुधी, हरिराम, मायाराम, किशन, मातादीन, सीताराम, गुलाई, दीपचंद, भैयालाल, अशोक, रामकुमार बसोराश् लखन प्रभु, अरविंद, प्रेम, कमलेश, भरत यादव, शेखर राज बडोनिया, प्यारेलाल बेधड़क, किशोरी लाल यादव, नंदराम सिंह खंगार, रामाधार निषाद, बिहारी सिंह तोमर, हरिश चंद्र मिश्रा, रामसखी, सुमन देवी, पार्वती, मीना, हीरा देवी, ज्ञान देवी, अंगूरी देवी, हरगु देवी, राजकुमारी, गिरजा देवी, मीरा देवी, प्रीति देवी, क्रांति देवी, फूला देवी, उर्मिला देवी, पूनम देवी, जयंती देवी, शांति देवी, जमुना देवी, रानी देवी समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।

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