कृषि कानूनों के खिलाफ कुंडली बॉर्डर पर किसान ने की आत्महत्या, अबतक 21 किसानों की मौत
जनज्वार ब्यूरो। किसान आंदोलन को आज 21वां दिन है। किसान कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी मांगो पर अड़े हुए हैं। इस आंदोलन के बीच अबतक बीस किसानों की मौत हो चुकी है। वहीं अब खबर सामने आ रही है कि एक किसान ने कुंडली बॉर्डर पर कथित तौर पर आत्महत्या कर दी है। खबरों की मानें तो उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की है।
जानकारी के मुताबिक किसान की पहचान करनाल के संत राम सिंह के रूप में हुई है। आत्महत्या से पहले किसान ने कथित तौर पर एक सुसाइड नोट भी लिखा है। यह पंजाबी भाषा में लिखा गया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने उनकी आत्महत्या को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए अपने ट्वीट में लिखा, 'कुंडली बार्डर पर किसानों के लिए संघर्षरत करनाल के संत राम सिंह की आत्महत्या बेहद दुखद है। विनम्र श्रद्धांजलि! मोदी जी, शीतलहर के बीच किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ को तत्काल छोड़िए। ये राजहठ आत्मघाती है क्योंकि ये देश की आत्मा-अन्नदाता की जान का दुश्मन बन बैठा है।'
कुंडली बार्डर पर किसानों के लिए संघर्षरत करनाल के संत राम सिंह की आत्महत्या बेहद दुखद है। विनम्र श्रद्धांजलि!
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 16, 2020
मोदी जी, शीतलहर के बीच किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ को तत्काल छोड़िए।
ये राजहठ आत्मघाती है क्योंकि ये देश की आत्मा-अन्नदाता की जान का दुश्मन बन बैठा है।#किसान_आंदोलन pic.twitter.com/DnD9zxuvWx
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के अध्यक्ष मनजिंदरर सिंह सिरसा ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'दिल बहुत दुखी है आप को ये बताते हुए कि संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली। इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले,आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती।'
दिल बहुत दुखी है आप को ये बताते हुए कि संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा को देखते हुए आत्महत्या कर ली। इस आंदोलन ने पूरे देश की आत्मा झकझोर कर रख दी है। मेरी वाहेगुरु से अरदास है कि उनकी आत्मा को शांति मिले
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) December 16, 2020
आप सभी से संयम बनाकर रखने की विनती 🙏🏻 pic.twitter.com/DyYyGmWgGg
बता दें कि सितंबर 2020 में केंद्र की मोदी सरकार ने तीन कृषि विधेयकों को पारित किया था। इसके बाद से खासतौर पर पंजाब और हरियाणा के किसान अपने-अपने राज्यों में प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन जब उनकी कोई सुनवाई न हुई तो किसान संगठनों ने दिल्ली कूच करने का फैसला किया। तब से किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार मौखिक तौर पर यह एमएसपी पहले की तरह जारी रखने की बात कर रही है लेकिन लिखित तौर पर नहीं। सरकार केवल कानून में संशोधन करने को तैयार है लेकिन किसान इन कानूनों में संशोधन नहीं बल्कि इन कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
इसके बाद से सरकार और किसान संगठनों के बीच पांच राउंड की वार्ता हो चुकी है। लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर बड़ी संख्या में डटे हुए हैं, दिल्ली में पहुंचने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।