Patna news : बिहार के चौसा में किसानों के साथ हुआ धोखा, प्रशासन की मिलीभगत से कंपनी कर रही है जबरदस्ती
Patna news : बिहार के चौसा में किसानों के साथ हुआ धोखा, प्रशासन की मिलीभगत से कंपनी कर रही है जबरदस्ती
आलोक कुमार की रिपोर्ट
बिहार में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व में बनी गठबंधन सरकार में महागठबंधन को कंधा देकर मजबूती से चलाने वालों में कांग्रेस और माले भी है। बक्सर जिला के चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के भू अधिग्रहण में किसानों व भू स्वामियों के आंदोलन में पुलिसिया बर्बरता और आगजनी व हिंसा के मामले पर बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने गम्भीरता से संज्ञान लेते हुए तीन विधायकों की जांच समिति का गठन किया है.वहीं माले के द्वारा उच्चस्तरीय टीम से घटना के तमाम पहलुओं की जांच कर ली गई।
चौसा पावर प्लांट जमीन अधिग्रहण विवाद मामले को लेकर कांग्रेस ने बनाई 3 सदस्यीय जांच समिति
बक्सर जिला के चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के भू अधिग्रहण में किसानों व भू स्वामियों के आंदोलन में हुए मंगलवार को पुलिसिया बर्बरता और आगजनी व हिंसा के मामले पर बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने गम्भीरता से संज्ञान लेते हुए तीन विधायकों की जांच समिति का गठन किया है। इस जांच समिति में बक्सर सदर से कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, राजपुर विधायक विश्वनाथ राम और औरंगाबाद विधायक आनन्द शंकर सिंह को शामिल किया गया है।
जांच करके अविलंब रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह को सौंपेंगे
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने बताया कि बक्सर जिलान्तर्गत चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के उचित मुआवजे की मांग पर 85 दिनों से धरना दे रहे किसानों के द्वारा जारी प्रदर्शन के क्रम में चौसा के बनारपुर गांव के किसानों के घरों में मंगलवार 10 जनवरी को आधी रात में पुलिस ने पुरुष, महिलाओं और बच्चों को लाठी-डंडे से बर्बर पिटाई की थी और इसके बाद तीन लोगों को उनके घर से पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया गया था।
इस घटना के कारण स्थानीय किसानों ने आक्रोशित होकर पावर प्लांट को क्षतिग्रस्त किया। इस घटना की जाँच करने हेतु बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी द्वारा जाँच कमिटी गठन की गई है, जो इस मामले की जांच कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह के समक्ष अविलंब रिपोर्ट जमा करेंगे।
चौसा में किसानों के साथ हुआ धोखा, प्रशासन की मिलीभगत से कंपनी कर रही है जबरदस्ती
बक्सर के चौसा में किसानों पर बर्बर पुलिस दमन और उसके बाद किसान आंदोलन के उग्र हो जाने की घटना के तमाम पहलुओं की माले की उच्चस्तरीय टीम ने जांच की। जांच टीम में माले के डुमरांव विधायक अजीत कुशवाहा के साथ-साथ जगनारायण शर्मा, नीरज कुमार और शिवजी राम शामिल थे।
चौसा में निर्मित हो रहा थर्मल पावर प्लांट एनटीपीसी का प्रोजेक्ट है। वह अपनी सहयोगी कंपनी एसजीवीएन के जरिए निर्माण कार्य चला रही है। इसके लिए 2010-11 में ही लगभग एक हजार एकड़ जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। तय हुआ था कि 36 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का मुआवजा मिलेगा, लेकिन अपने वादे से मुकरते हुए सरकार महज 28 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने लगी। किसानों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। 50 प्रतिशत से अधिक किसानों ने मुआवजा नहीं लिया।
मुआवजे के साथ-साथ कंपनी के सीएसआर फंड से इलाके में स्कूल, होटल एवं रोजी-रोजगार के संसाधन बढ़ाने तथा नौकरी में स्थानीय लोगों को वरीयता देने का भी वायदा किया गया था। तभी जाकर किसानों ने एग्रीमेंट पर दस्तख्त किए थे, लेकिन एग्रीमेंट के बाद कम्पनी अपनी बात से मुकर गई. यहां तक कि लोगों पर जुल्म करना शुरू कर दिया। सभी कर्मियों की बहाली अन्य प्रदेशों से की गई।
किसानों का आरोप है कि सीएसआर फंड नेताओं व अधिकारियों की चापलूसी और उन्हें खुश करने में कंपनी ने पानी की तरह बहाया। कई अधिकारियों को नजराने के तौर पर लाखों की सौगात दी गई। किसानों पर जिस अधिकारी द्वारा जितना अधिक जुल्म हुआ उसे कम्पनी द्वारा उतनी सुविधा उपलब्ध कराई गई।
पुनः कम्पनी द्वारा 2022 में रेलवे पाइप लाइन के लिए किसानों की लगभग 250 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की कार्रवाई शुरू हुई। किसानों ने पुराने बकाए और कंपनी द्वारा किए गए वादों को पूरा करने के साथ-साथ इस बार के भूमि अधिग्रहण के लिए वर्तमान दर पर मुआवजे की मांग उठानी शुरू कर दी। इसी मुद्दे को लेकर वे विगत 2 महीने से आंदोलन कर रहे थे।
इसी दौरान अचानक 10 जनवरी की रात बनारपुर में पुलिस का छापा पड़ा। माले विधायक अजीत कुशवाहा ने डीआईजी व एसपी से इस बाबत प्रश्न पूछा कि आखिर किसके कहने पर यह पुलिस कार्रवाई हुई? डीआईजी व एसपी दोनों मुकर गए और उन्होंने कहा कि ऐसा कोई आदेश उनके कार्यालय से जारी नहीं हुआ है। वे सारा दोष चौसा थाना प्रभारी के मत्थे मढ़ गए। इसी घटना के बाद किसानों का प्रदर्शन हिंसक हुआ था। अतः इसकी पूरी जिम्मेदारी व जवाबदेही प्रशासन की बनती है।
चूंकि यह योजना केंद्र सरकार की है, इसलिए वह अपनी जिम्मेवारी से बच नहीं सकती। किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाली भाजपा सरकार यह बताए कि आखिर वह किसानों के साथ किए गए वादों को पूरा क्यों नहीं कर रही है? जांच टीम को ग्रामीणों ने यह भी बताया कि स्थानीय भाजपा सांसद अश्विनी चौबे भी अपने लोगों को कंपनी में ठेका दिलवाने का काम करते हैं।
भाकपा-माले किसान आंदोलन की उपर्युक्त सभी मांगों का समर्थन करते हुए दमन की घटना के जिम्मेवार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करती है। प्रशासन को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीके से खुश करके कंपनी किसानों का गला घोट रही है। यह बेहद संगीन मामला है। अतः इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।