Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

Dehradun news : हैलंग की घसियारी मंदोदरी का नशे में धुत्त, दंगा और उपद्रव के आरोप में किया था पुलिस ने चालान

Janjwar Desk
2 Aug 2022 6:48 PM IST
Dehradun news : हैलंग की घसियारी मंदोदरी का नशे में धुत्त, दंगा और उपद्रव के आरोप में किया था पुलिस ने चालान
x

हैलंग की घसियारी मंदोदरी का नशे में धुत्त, दंगा और उपद्रव के आरोप में किया था पुलिस ने चालान

Dehradun news : सीआईएसएफ़ और पुलिस तब भी इन महिलाओं की घास छीन रही थी, जबकि यह महिलाएं चारागाह बचाने, परियोजना निर्माता कंपनी-टीएचडीसी द्वारा अवैध रूप से पेड़ काटने और अवैध रूप से मलबा निस्तारण का विरोध कर रही थी...

Dehradun news : चमोली जिले के हैलंग गांव में 15 जुलाई को घास लाने वाली महिला मंदोदरी देवी पुलिस की नजर में नशे में धुत्त, दंगा करने और उपद्रव फैलाने की आरोपी निकली। पुलिस ने मंदोदरी को थाने ले जाकर जिस धारा के तहत उनका ढाई सौ रुपए का चालान करके छोड़ा है, उसकी यही कानूनी व्याख्या है।

घास का गट्ठर छीनने के बहाने उत्तराखंडी अस्मिता को ललकार रही जिला चमोली की पुलिस मंदोदरी देवी हैलंग से पकड़कर जोशीमठ थाने ले गई थी। पुलिसकर्मियों की छः घंटे की हिरासत के बाद पुलिस ने मंदोदरी देवी का उत्तराखंड पुलिस एक्ट की धारा 81 क के तहत ढाई सौ रुपए का चालान करने के बाद छोड़ा था। उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 में इस धारा की व्याख्या नशे में धुत्त होकर उत्पात करने, दंगा करने या जनता में उपद्रव फैलाने के रूप में की गई है। अब इस मामले में भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने मुख्यमंत्री सहित गृह विभाग और डीजीपी उत्तराखंड को पत्र भेजकर मंदोदरी देवी का चालान करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

हैलंग से दूर पुलिस स्टेशन ले जाकर किया गया यह चालान कानूनी रूप से गलत है

भेजे गए पत्र में मैखुरी ने इसके अलावा एक और कानूनी पहलू को उठाते हुए कहा कि अधिनियम के अनुसार ढाई सौ रुपए का जुर्माना घटनास्थल यानी हैलैंग के मौके पर ही किया जा सकता था। हैलंग से दूर पुलिस स्टेशन ले जाकर किया गया यह चालान कानूनी रूप से गलत है। इंद्रेश ने अधिकारियों को भेजे हुए पत्र में कहा है कि 15 जुलाई 2022 को चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक के हेलंग में घास लाती महिला से सीआईएसएफ़ तथा उत्तराखंड पुलिस के द्वारा घास छीनने की घटना का वीडियो वाइरल हुआ है।

यह बेहद अफसोसजनक है कि महिलाओं की कुर्बानियों से बने राज्य में महिलाओं से सरेआम सीआईएसएफ़ और पुलिस तब भी इन महिलाओं की घास छीन रही थी, जबकि यह महिलाएं चारागाह बचाने, परियोजना निर्माता कंपनी-टीएचडीसी द्वारा अवैध रूप से पेड़ काटने और अवैध रूप से मलबा निस्तारण का विरोध कर रही थी। पुलिस द्वारा घास छीनने के बाद इन महिलाओं को स्थानीय प्रशासन के आदेश पर हिरासत में महिलाओं को जोशीमठ, कोतवाली ले जा कर छह घंटे बैठाकर उत्तराखंड पुलिस अधिनियम,2007 की धारा 81 के तहत 250-250 रुपये का चालान करके छोड़ा गया।

इन महिलाओं का उत्तराखंड पुलिस एक्ट की जिस धारा 81 में चालान किया गया है वह एक्ट के दायरे से बाहर जा कर की गयी कार्यवाही है। 81 पुलिस एक्ट के (क) सेक्शन में नशे में धुत्त तथा दंगा या जनता में उपद्रव करते हुये पाया जाने पर तथा सेक्शन (ख) में पुलिस, अग्निशमन दल या किसी अन्य आवश्यक सेवा को झूठा आलार्म लगाकर गुमराह करने या जान-बूझकर अफवाह फैलाने पर कार्यवाही का प्रावधान है।

महिलाओं का उत्तराखंड पुलिस एक्ट की जिस धारा 81 में चालान किया गया है वह एक्ट के दायरे से बाहर जा कर की गयी कार्यवाही है

हेलंग के मामले में बिन्दु संख्या (ख) तो लागू ही नहीं होता तो जाहिर है कि बिन्दु संख्या (क) के तहत चालान किया गया है। लेकिन पुलिस ने इस बिन्दु पर भी कैसे चालान किया? यह महिलाएं नशे में धुत्त हो कर दंगा नहीं कर रही थी। अपने जंगल और चारागाह बचाने को नशे में धुत्त हो कर दंगा करने की श्रेणी में तो नहीं रखा जा सकता है। बिंदु (क) का दूसरा भाग "जनता में उपद्रव करते हुए पाये जाने पर" भी इन महिलाओं पर इसलिए लागू नहीं होता कि टीएचडीसी के अफसरों से लेकर जिलाधिकारी चमोली तक कह रहे हैं कि इन महिलाओं के साथ कोई नहीं है तो जनता में उपद्रव ये कैसे फैला सकती हैं?

जहां तक ढाई सौ रुपए के चालान की बात है तो उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के धारा 81 की उपधारा 3 कहती है कि "इस धारा में उल्लिखित अपराधों का, इस निमित्त विशेष रूप से सशक्त पुलिस अधिकारियों द्वारा, विहित न्यूनतम राशि की आधी राशि जमा करने पर घटना स्थल पर ही शमन किया जा सकता है।" इस व्याख्या से भी स्पष्ट है कि 250 रुपये का चालान तो घटनास्थल पर यानि हेलंग में किया जा सकता था। जोशीमठ कोतवाली में छह घंटे बैठाए रखने के बाद 250 रुपये का चालान करने स्पष्ट तौर पर उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसलिए महिलाओं को छह घंटे कोतवाली में बैठाने के बाद पुलिस एक्ट का अतिक्रमण करते हुए उक्त महिलाओं का चालान करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध तत्काल कठोर कार्यवाही की जाये तथा यह सुनिश्चित किया जाये कि जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह अपने अधिकारों का अतिक्रमण और मनमाना दुरुपयोग न कर सके।

Next Story

विविध