आवाम को फटेहाल कर अंबानी-अडानी की तिजोरियां भरती मोदी सरकार धर्म-जाति के आधार पर बांट रही है मेहनतकशों को
Rohtak news : जन संघर्ष मंच हरियाणा के प्रान्तीय सलाहकार डॉ. सीडी शर्मा के मार्गदर्शन में संगठन के कार्यकर्ताओं ने 1 मई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर गोहाना के रोहतक रोड लेबर चौक, पानीपत चुंगी लेबर चौक और जींद रोड लेबर चौक पर मज़दूरों को 8 घंटे के कार्यदिवस के लिए शहादत देने वाले शिकागो के अमर शहीदों के संघर्ष से अवगत करवाया।
डॉ. सीडी शर्मा ने कहा, मज़दूरों ने आज तक जो भी अधिकार पूँजीपति वर्ग से छीने हैं वे उनके सतत, एकजुट संघर्ष की बदौलत ही सम्भव हुआ है। मई दिवस इस लड़ाई में मज़दूर वर्ग की कुर्बानी का प्रतीक और मील का पत्थर है। 1886 में अमेरिका में व्यापक मज़दूर हड़ताल से ही 8 घंटे काम का अधिकार हासिल हुआ। इससे पहले श्रमिकों को दैनिक 14-16 घंटे काम करना पड़ता था। इस आन्दोलन पर हुए दमन में चार निर्दोष मज़दूर नेताओं को फांसी दे दी गयी, तब से आज तक दुनियाभर में हर जगह मज़दूर इस दिवस को भावी संघर्षों के सम्बल और प्रेरणास्रोत के रूप में मनाते हैं।
वक्ताओं ने कहा ,आज भारत में मज़दूरों की दशा बद से बदतर हो रही है। एक ओर मोदी सरकार आवाम को फटेहाल कर अडानी-अंबानी की तिजोरियां भर रही है तो दूसरी ओर धर्म-जाति और क्षेत्र आदि के आधार पर लोगों में नफरत भड़काकर मेहनतकशों को बांटने और उनके ध्यान को उनके संकट की जड़ पूँजीवादी शोषण व्यवस्था से हटाने का काम कर रही है।
आज स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं घोर मुनाफ़े का साधन बन गए हैं। चार श्रम संहिताओं द्वारा श्रम कानूनों को मालिकों के पक्ष में बदल दिया गया है। मई दिवस का इतिहास हमें दिखाता है कि मज़दूर अपनी एकता से कठिन से कठिन परिस्थिति को भी पलट सकते हैं। कार्यक्रम में सूरजभान चहल, मन्दीप, मदन अत्री, रामनिवास, रामधारी, सतपाल एल टी, सुरेन्द्र खेड़ा, श्याम रैबारी, अशोक कुमार, रघुबीर विरोधिया, रमेश सैनी, अश्विनी कुमार, प्रदीप, विकास आदि मौजूद रहे।
इस दौरान मंच ने मांग रखी कि.
1. सभी बेरोजगारों को स्थायी व सम्मानजनक रोजगार दिया जाए। स्थायी प्रकृति के काम पर स्थायी भर्ती की जाए। सभी बेरोजगारों को 15000 रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
2. न्यूनतम वेतन 26000 रुपये मासिक तथा दैनिक मजदूरी 1000 रुपये की जाए तथा मंहगाई दर के अनुरूप न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की जाए।सभी श्रेणी के कच्चे मजदूर.कर्मचारियों को पक्का किया जाए। आंगनवाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्कर्स को कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
3. ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमला बंद करें और श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए। मजदूर विरोधी चारों लेबर कोड रद्द किए जाएं और मजदूर हित में श्रम कानूनों में सुधार किए जाएं।
4. आठ घंटे के कार्यदिवस को सख्ती से लागू किया जाए।
5. सरकारी संस्थानों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए और सभी बड़े निजी उद्यमों का राष्ट्रीयकरण किया जाए। ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगाते हुए फिक्स टर्म एम्पलायमेंट, नीम, ट्रेनी, कौशल विकास, सक्षम योजना आदि के नाम पर मजदूरों का शोषण बंद किया जाए।