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आंदोलन

मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों की सर्वाधिक मार महिलाओं पर, सांप्रदायिक हिंसा पीड़ित भी सबसे ज्यादा महिलायें

Janjwar Desk
18 Aug 2023 1:46 PM IST
मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों की सर्वाधिक मार महिलाओं पर, सांप्रदायिक हिंसा पीड़ित भी सबसे ज्यादा महिलायें
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नरेंद्र मोदी जिस इंडिया के प्रधानमंत्री हैं क्या उसमें मणिपुर शामिल नहीं है, इसे दूसरा कश्मीर बनने से रोकना होगा

भाजपा शासन आजाद भारत का सबसे खौफनाक शासन है। बिल्किस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी बताकर रिहा करना, लेव जेहाद का झूठा प्रचार, मनुस्मृति को वैधानिकता प्रदान करना आदि के जरिए महिला विरोधी कानूनों को जायज बताने की साजिश चल रही है...

Patna news : अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आगामी 30 सितंबर-1 अक्टूबर 2023 को नई दिल्ली में संगठन का 9वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया गया है।

बैठक की समाप्ति के उपरांत पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रति राव ने कहा कि हमारा सम्मेलन महिलाओं पर बढ़ते फासीवादी शिकंजे के खिलाफ सावित्री बाई फुले व फातिमा शेख की इंकलाबी विरासत को आगे बढ़ाते हुए पूरे देश में न्याय व बराबरी के हक में महिलाओं की व्यापक एकजुटता कायम करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

वहीं, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार की दमनकारी नीतियों की सर्वाधिक मार महिलाओं पर ही पड़ रही है। सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति का वे शिकार भी हो रही हैं और उन्हें मुहरा भी बनाया जा रहा है. मणिपुर में पिछले 100 दिनों से जारी हिंसा में हम सबने देखा है कि किस प्रकार महिलाओं के शरीर का इस्तेमाल सांप्रदायिक राजनीति को बढ़ाने में किया जा रहा है। इसके पहले महिला पहलवानों के आंदोलन के दौरान भी हम सत्ता व भाजपा के असली चरित्र को देख चुके हैं। संवाददाता सम्मेलन में राजस्थान से प्रो. सुधा चौधरी, असम से प्रतिमा इंग्हपी और झारखंड से गीता मंडल भी उपस्थित थे।

ऐपवा नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा सांप्रदायिक उन्माद की लड़ाई में महिलाओं पर होने वाली हिंसा का राजनीतिक संरक्षण बंद होना चाहिए। सभी प्रकार के पर्सनल लॉ और स्पेशल मैरिज एक्ट में महिलाओं के लिए न्याय व बराबरी का सुधार होना चाहिये। महिला आरक्षण बिल पारित हो। वंचित व अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को विशेष प्रतिनिधित्व मिलें इसके अलावा स्नातक तक लड़कियों की शिक्षा मुफ्त हो और सामाजिक सुरक्षा पेंशन का इंतजाम हो।

सम्मेलन में मांग उठी कि स्कीम वर्करों का स्थायीकरण हो। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध हो। रसोई गैस की कीमत 500 रुपये तय की जाये, क्योंकि मोदी राज में रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने लोगों की कमर तोड़ दी है। वहीं प्रवचकों-बाबाओं का राजनीति में हस्तक्षेप बंद किया जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा शासन आजाद भारत का सबसे खौफनाक शासन है। बिल्किस बानो के बलात्कारियों को संस्कारी बताकर रिहा करना, लेव जेहाद का झूठा प्रचार, मनुस्मृति को वैधानिकता प्रदान करना आदि के जरिए महिला विरोधी कानूनों को जायज बताने की साजिश चल रही है।

पिछले दिनों मणिपुर पहुंची एक जांच टीम में ऐपवा की नेता प्रतिमा इंग्हपी, कृष्णा वेणी (तमिलनाडु) और सुचेता डे (दिल्ली) शामिल रहे। यह टीम जल्द ही वहां की रिपोर्ट पेश करेगी। वहीं मोदी राज में महिलाओं पर लगातार बढ़ते हमले, हिंसा, बलात्कार, रसोई गैस के बढ़ते दाम आदि के खिलाफ ऐपवा की ओर से पूरे देश में गांव-गांव बैठकें आयोजित की जा रही हैं। बिहार में राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले 2 लाख सदस्यता का लक्ष्य रखा गया है और झारखंड में एक लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य है।

राष्ट्रीय सम्मेलन में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए चलने वाले आंदोलनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा। मुख्य रूप से शाहीन बाग आंदोलन, महिला पहलवानों, स्कीम वर्कर्स आंदोलन की नेताओं के शामिल होने की संभावना है।

बिहार में आशाकर्मियों ने ऐतिहासिक आंदोलन किया और जीत हासिल की। उस आंदोलन में ऐपवा का लगातार समर्थन बना रहा। बिहार सरकार सभी आशाकर्मियों को मासिक 2500 रुपये मासिक मानदेय को तैयार हुई है। आशा-रसाइेया व अन्य स्कीम वर्कर के चल रहे आंदोलन के प्रति ऐपवा मजबूती से अपनी एकजुटता जाहिर करती है।

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