मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से विकराल हुई बेरोजगारी, युवा बोले विश्वविद्यालयों में भी हो रहा छात्रों के अधिकारों का हनन
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से विकराल हुई है बेरोजगारी, युवा चलायेंगे रोजगार अधिकार अभियान
लखनऊ। कॉर्पोरेट घरानों व सुपर रिच की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाने, शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार की गारंटी करने, देश में खाली पड़े सरकारी पदों को तत्काल भरने और हर व्यक्ति के सम्मानजनक जीवन की गारंटी करने के सवालों पर लखनऊ में विभिन्न छात्र युवा संगठनों, युवा व छात्र नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठक में रोजगार अधिकार अभियान चलाने का निर्णय हुआ।
विधानसभा के सामने स्थित एसएफआई के राज्य कार्यालय पर आयोजित बैठक में इन मुद्दों को व्यापक स्तर पर छात्र-युवाओं, अधिवक्ता, व्यापारी समेत समाज के सभी तबकों के बीच ले जाने और इस पर सबके सुझाव लेने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई। इस अभियान के संचालन के लिए 13 सदस्यीय संयोजक मंडल का गठन किया गया और भविष्य में इसे और विस्तारित करने का फैसला लिया गया। बैठक का संचालन एसएफआई के अब्दुल वहाब ने किया।
बैठक में युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने रोजगार और उसकी राजनीतिक अर्थनीति पर बात रखते हुए कहा कि बेरोज़गारी के सवाल को हल किया जा सकता है, बशर्ते आर्थिक नीतियों में बदलाव हो। कहा कि प्रबुद्ध अर्थशास्त्रियों के एक समूह का बराबर मत रहा है कि सुपर रिच तबकों पर महज 2 फीसद संपत्ति कर और समुचित उत्तराधिकार कर लगाकर शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के सवाल को हल करने के लिए पर्याप्त संसाधनों को जुटाया जा सकता है। कहा कि सरकारी विभागों में खाली करीब एक करोड़ पदों को भरने को लेकर भी सरकारें कतई गंभीर नहीं हैं। केंद्र सरकार के 10 लाख पदों को मिशन मोड में भरने के पीएम मोदी के वायदे को आज तक पूरा नहीं किया गया।
बैठक में डीवाईएफआई के प्रदेश सचिव गुलाब चंद ने इस पहल को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों से बेरोज़गारी की समस्या विकराल हुई है। शिक्षा-स्वास्थ्य व रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसे मदों में बजट शेयर लगातार घटता जा रहा है। मनरेगा की तरह शहरी लोगों के लिए रोजगार गारंटी कानून की जरूरत है।
एसएफआई के अब्दुल वहाब व डीवाईएफआई के दीप डे ने बताया कि विश्वविद्यालयों व कालेजों में छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के दुष्प्रभावों को भी रोजगार अधिकार अभियान में प्रमुखता से उठाया जाना चाहिए।
भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की आकांक्षा आजाद ने कहा कि पेपर लीक और रोजगार के संकट के कारण नौजवानों की आत्महत्या की दरों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। शिक्षा के निजीकरण का सर्वाधिक बुरा प्रभाव गरीबों व महिलाओं पर पड़ा है। मंहगी होती शिक्षा के चलते बड़े पैमाने पर छात्राएं शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर हो रही है।
नौजवान भारत सभा के लालचंद ने कहा कि सरकार बेरोजगारी का कारण लोगों पर ही थोप रही है और कह रही है कि स्किल्ड लोग भारत में हैं ही नहीं जबकी देश में योग्य लोगों की कमी नहीं है।
एनएसयूआई के प्रदेश सचिव अहमद राजा खान चिश्ती ने कहा कि केंद्र सरकार युवाओं की एकजुटता को कमजोर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन अब इसमें कामयाब नही होगी। लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र नेता इमरान राजा ने कहा कि रोजगार अधिकार अभियान को लखनऊ में जमीनी स्तर पर फैलाने की जरूरत है। युवा अधिवक्ता ज्योति राय ने सुझाव दिया कि राजधानी के हर यूनिवर्सिटी व कालेज में छात्रों से जनसंपर्क किया जाए। इसके अलावा समाज के सभी तबकों से भी बड़े पैमाने पर संवाद किया जाए।
ऑल इंडिया यूथ लीग के महासचिव डॉक्टर अवधेश चौधरी ने मुद्दों से सहमति जताते हुए कहा कि उनका संगठन पूरी ताकत से इस अभियान में रहेगा। डॉक्टर आरती ने आशा, आंगनबाड़ी जैसी मानदेय कर्मचारियों के सम्मान जनक वेतनमान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बेरोज़गारी का दंश महिलाओं को कहीं ज्यादा झेलना पड़ता है।
मजदूर नेता प्रमोद पटेल ने प्रदेश में सरकारी नौकरियों में बढ़ रही संविदा प्रथा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे समाप्त करने की मांग उठाई। मृत्युंजय ने कहा कि देश में रोजगार को संवैधानिक अधिकार बनाना वक्त की जरूरत है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की शैली ने कहा ट्रांसजेंडर कम्युनिटी उपेक्षा का शिकार है। उनके लिए शिक्षा व रोजगार को लेकर सरकार विशेष उपाय करे। आदित्य प्रकाश मिश्रा ने इस अभियान को वक्त की जरूरत बताया।