आरक्षण को लेकर प्रदर्शन: 'NEET में ओबीसी की हकमारी कर किसको फायदा पहुंचा रही है मोदी सरकार?'
(प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 4 साल में 11 हजार ओबीसी को डॉक्टर बनने से वंचित कर दिया)
जनज्वार। मेडिकल कॉलेजों में नीट के जरिए दाखिले में ओबीसी आरक्षण पर हमले और सामाजिक न्याय की जारी हत्या के साथ ही देश की 52 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी के ओबीसी समाज को जीवन के हर क्षेत्र में हाशिए पर धकेलने की चल रही साजिश के खिलाफ डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष भागलपुर स्टेशन चौक पर जोरदार प्रतिवाद-प्रदर्शन और सभा आयोजित किया गया।
इस मौके पर सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के गौतम कुमार प्रीतम और अंजनी ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 4 साल में 11 हजार ओबीसी को डॉक्टर बनने से वंचित कर दिया और एक बार फिर नीट के जरिए राज्य व केन्द्र शासित प्रदेशों के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले में ओबीसी को आरक्षण देने से इंकार कर दिया है। मोदी सरकार ओबीसी के संवैधानिक हक पर डाका डाल रही है।
दोनों नेताओं ने कहा कि आज भी 52 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले ओबीसी वर्ग की जीवन के हर क्षेत्र में बदतर स्थिति है। इस वर्ग के पास आज भी ग्रुप-ए के सिर्फ 13.1 प्रतिशत के आस-पास पद हैं यानी आबादी का सिर्फ एक तिहाई, जबकि सवर्णों के पास आबादी से ढाई गुना पद हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी विश्वविद्यालयों के कुलपति से लेकर प्रोफेसर तक में 52 प्रतिशत ओबीसी की हिस्सेदारी न्यून है।
''न्यायपालिका (हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट) में 90 प्रतिशत से अधिक जज सवर्ण हैं, ओबीसी की हिस्सेदारी कितनी होगी,स्पष्ट हो जाता है। मीडिया पर सवर्णों के कब्जे के तथ्य से सभी परिचित हैं। इस परिदृश्य में सवर्णों को आरक्षण देने के साथ ही ओबीसी को मिले केवल 27 प्रतिशत आरक्षण को भी लगातार लूटा जा रहा है.इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।''
नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन के सोनम राव और अनुपम आशीष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सवर्ण आरक्षण के खिलाफ भी मुकदमा चल रहा है.सवर्ण आरक्षण लागू हो रहा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे के बहाने नीट में ओबीसी आरक्षण पर हमला किया जा रहा है। मोदी सरकार का ओबीसी विरोधी चरित्र स्पष्ट है।
दोनों नेताओं ने कहा कि नीट में केंद्र सरकार के संस्थानों तक सीमित ओबीसी आरक्षण को राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों में भी अविलंब लागू करे,केन्द्र सरकार.अन्यथा आंदोलन तेज होगा।
इस मौके पर सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के रिंकु यादव और रामानंद पासवान ने कहा कि मोदी सरकार ओबीसी की हकमारी कर किसको फायदा पहुंचा रही है, साफ है यह सरकार घोर मनुवादी है और देश को संविधान के बजाय मनुविधान के आधार पर चला रही है।
दोनों नेताओं ने कहा कि कुल भूसंपदा का 41 प्रतिशत सवर्णों के पास है, ओबीसी का हिस्सा आज भी 35 प्रतिशत के लगभग है और एससी के पास 7 प्रतिशत है.तीनों कृषि कानूनों की मार भी देश के असली किसान आबादी ओबीसी पर ही होगी। जो कुछ भी जमीन इस समुदाय के पास है, वह अंबानी-अडानी के हवाले होगा। कृषि और जमीन पर द्विज कॉरपोरेटों का कब्जा होगा। ओबीसी के पैर के नीचे की जमीन छीनकर उसे भयानक गुलामी की तरफ धकेला जाएगा। श्रम कानूनों में कॉरपोरेट पक्षधर बदलाव की मार भी इस बड़ी आबादी पर होगी।
सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) के जयमल यादव और बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन के उपाध्यक्ष अभिषेक आनंद ने कहा कि शाहू जी महाराज ने अपने राज में 26 जुलाई 1902 को पहली बार सामाजिक न्याय के लिए पहल करते हुए आरक्षण लागू किया था। 26 जुलाई के ऐतिहासिक अवसर को इस बार सामाजिक न्याय के लिए प्रतिरोध के दिन में बदल देने के लिए ओबीसी और संपूर्ण बहुजन समाज को सड़क पर उतरने की जरूरत है।
प्रदर्शन में प्रकाश पासवान, रत्नाकर कुमार रत्न, चंद्रहास यादव, डीपी मोदी, महेश अंबेडकर, मुकेश कुमार, पप्पू कुमार, रंजीत कुमार, कुंदन पासवान, नीरज, अमरेंद्र कुमार, मंजर आलम, उमेश यादव, अर्जुन शर्मा, रमेश, लालू, गौतम कुमार, साजन कुमार, ऋषि राज, सुशील कुमार, गौतम यादव, सूरज कुमार, बबलू कुमार, राजीव कुमार, सिंटू कुमार, अभिषेक कुमार, गोलू कुमार, राजेश रौशन, प्रभाकर कुमार, श्याम कुमार, नंदकिशोर कुमार, अखिलेश कुमार, अपेंद्र, प्रीतम, विपिन बिहारी चौरसिया सहित दर्जनों मौजूद थे।