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आंदोलन

उत्तराखण्ड : लालकुआं-बिन्दुखत्ता के गांवों में नशे के खिलाफ महिलाओं ने खोला मोर्चा

Janjwar Desk
23 Sep 2020 10:14 AM GMT
उत्तराखण्ड : लालकुआं-बिन्दुखत्ता के गांवों में नशे के खिलाफ महिलाओं ने खोला मोर्चा
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लालकुआं (नैनीताल) उत्तराखंड के बिन्दुखत्ता गांव में पिछले माह के 1 अगस्त से ग्रामीण व जनसंगठन कच्ची शराब, चरस, स्मैक, अफीम, ड्रग आदि अवैध नशों के खिलाफ संघर्षरत हैं। यह आंदोलन एक गांव की सफलता के बाद दूसरे, तीसरे गांव में फैलता चला जा रहा है।

जनज्वार। लालकुआं (नैनीताल) उत्तराखंड के बिन्दुखत्ता गांव में पिछले माह के 1 अगस्त से ग्रामीण व जनसंगठन कच्ची शराब, चरस, स्मैक, अफीम, ड्रग आदि अवैध नशों के खिलाफ संघर्षरत हैं। यह आंदोलन एक गांव की सफलता के बाद दूसरे, तीसरे गांव में फैलता चला जा रहा है।

अवैध नशों का प्रचलन बिन्दुखत्ता के गांवों सहित तमाम जगहों पर पहले से ही मौजूद रहा है। परंतु लॉकडाउन के दौरान इसमें बेतहाशा वृद्धि हुई है। गांवों के अंदर 10-12 साल के छोटे-छोटे बच्चों से लेकर नौजवान, पुरूष तक इन अवैध नशों के आदी होने लगे हैं। इससे गांव के सड़कों, पार्कों, दुकानों में शाम होते ही नशेड़ियों, अवैध नशा कारोबारियों का झुंड लगना शुरू हो जाता है। यह लोग नशा करने के बाद महिलाओं पर छींटाकशी, गाली-गलौज, मारपीट करने लगते हैं। और नशे की लत को पूरा करने के लिए चोरी-लूटपाट पर भी उतारू हो जाते हैं।

इस तरह की तमाम समस्याओं से तंग आकर जागरूक गांववासियों व संगठनों ने कच्ची शराब, अवैध नशों के खिलाफ एक मुहिम की शुरुआत की। बाद में परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास), प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, प्रगतिशील युवा संगठन, सर्व श्रमिक निर्माण कर्मकार संगठन, सर्वोदय शिल्पकार सेवा समिति द्वारा "अवैध नशा विरोधी संयुक्त संघर्ष मोर्चा, बिन्दुखत्ता" का गठन कर इस मोर्चे के तहत यह आंदोलन चलाया जा रहा है।

इस आंदोलन के दौरान एक पर्चा "अवैध शराब के काले धंधे का तुरंत खात्मा करो!" निकालकर घर-घर जाकर अभियान चलाए जा रहे हैं। गांव-गांव मीटिंग की गई। अवैध नशा कारोबारियों व नशेड़ियों को रोकने हेतु रात्रि गश्त टीमों का गठन किया गया। अभियान, सभा, रात्रि गश्त हर जगह महिलाओं की भूमिका अधिक रही। रात्रि गश्त टीमें शाम होते ही टार्च, लाठी-डंडे हाथों में लेकर गस्त दे रहे हैं।

अवैध नशे का कारोबार करने वाले अपने काले धंधे में नुकसान होने से बौखलाए हुए हैं। वह आंदोलनकारियों, रात्रि गस्त टीमों से भिड़ रहे हैं। और गांव में देख लेने व जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं। मोर्चे के लोग भी उनसे संघर्ष कर रहे हैं और कानूनी कार्यवाही भी की जा रही है।

अवैध नशे का कारोबार करने वाले यह फुटकर विक्रेता हमारे सामने हमें उलझते हुए दिखाई दे रहे हैं। परंतु इन काले नशों का अवैध कारोबार करने से मालामाल होने वाले बड़े खिलाड़ी कोई और ही हैं। और वह हमारे बीच के नहीं हैं। नशे के कारोबारियों के मुनाफे के साथ ही नशाखोरी नौजवानों-नागरिकों को असली मुद्दों से भटकाने व अपनी समस्याओं-तनाव-कुंठा आदि से क्षणिक राहत भी देती है। व्यवस्था को चलाने वाले इसे इस्तेमाल भी करते हैं और नशाखोरी को बढ़ावा देते हैं। उनके इस काले धंधे में साथ देने वाले धूर्त राजनेता, पुलिस में बैठे लालची अफसर, जल्दी-जल्दी अमीर बनने की चाहत रखने वाले लोग हैं।

इन सबसे मिलकर बना यह अवैध, काला, गन्दा गठजोड़ हमारे ही लोगों को जहर बांट रहा है। उनकी जिंदगियों को बर्बाद कर रहा है। इन सब को पालने वाली यह पूंजीवादी व्यवस्था है। जो अवैध व काला धंधा करने वालों को पनाह देती है। अपने खिलाफ उठती हर आवाज को रोकने के लिए ऐसे लोगों को पालती-पोसती है और नागरिकों को ठंडी मौत सुलाती रहती है। इसलिए जब भी अवैध नशे के खिलाफ आवाज उठती है तो यह भ्रष्ट गठजोड़ अपराधियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मदद करता है। बिना इनकी शह के यह कारोबार इतना प्रसार नहीं पा सकता है।

अवैध नशों का वास्तविक समाधान पूंजीवाद में नहीं हो सकता है। इसको बदलकर नयी समाजवादी व्यवस्था में ही नशाखोरी का समाधान सम्भव है। जहां हर किसी के पास उसकी योग्यता अनुसार काम होगा और काम के अनुसार वेतन होगा। जहां पर शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार देना सरकार की जिम्मेदारी होगी। जहाँ अमीरी-गरीबी, जाति-धर्म के झगड़े नहीं होंगे। जहाँ शोषण-उत्पीड़न न हो। इन तमाम कुंठाओं-समस्याओं से मुक्ति समाजवाद में ही संभव है। आज इस अवैध, भ्रष्ट, काले व गन्दे गठजोड़ को एकजुट व संगठित होकर ही ध्वस्त किया जा सकता है। इसके लिए हमें संकल्पबद्ध होना पड़ेगा।

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