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राष्ट्रीय

15 साल के अखिलेश यादव को जब मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता ने मार दिया था थप्पड़...

Janjwar Desk
21 Jan 2022 11:20 AM IST
upchunav2022
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(अखिलेश की सौतेली मां ने जब मारा था उन्हें थप्पड़)

Mulayam Singh Yadav Family: गोल-मटोल स्वीट सी दिखने वाली लड़की कुछ राजनीतिक कार्यक्रमों में आई। उसी दरमियान मुलायम की आंखें उससे टकराईं। उस लड़की का नाम है- साधना गुप्ता...

Mulayam Singh Yadav Family: कहानी शुरू होती है 40 साल पहले, यानी 1982 से...देश में कांग्रेस टूट रही थी। UP में पिछड़ा वर्ग, खासकर के यादवों का दबदबा बढ़ रहा था। उन्हें उनके नेताजी जो मिल गए थे। जनता, पार्टी और नई उम्र की लड़कियां तक उस हंसमुख चेहरे पर फिदा थीं। नाम है- मुलायम सिंह यादव। तब उनकी मूंछें काली थीं। और उम्र थी 43 वर्ष।

तब समाजवादी पार्टी का उदय नहीं हुआ था। राष्ट्रीय लोकदल था। औरैया जिले के बिधूना के रहने वाले कमलापति की 23 साल की बेटी नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रही थी। लेकिन वो राजनीति में कुछ करना चाहती थी। वो गोल-मटोल स्वीट सी दिखने वाली लड़की कुछ राजनीतिक कार्यक्रमों में आई। उसी दरमियान मुलायम की आंखें उससे टकराईं। उस लड़की का नाम है- साधना गुप्ता। तब क्या हुआ और क्या नहीं, सिर्फ एक ही शख्स जानता था। उनका नाम था- अमर सिंह। अब वह नहीं रहे।

राइटर सुनीता एरोन ने लिखी अखिलेश की जीवनी

एक राइटर हैं, सुनीता ऐरोन। इन्होंने अखिलेश यादव की बायोग्राफी 'बदलाव की लहर' लिखी थी। इसमें कुछ पन्ने उन्होंने मुलायम की लव स्टोरी पर खर्च किए थे। सुनीता एरोन के मुताबिक, 'शुरुआत में साधना और मुलायम की आम मुलाकातें हुईं। मुलायम की मां की वजह से दोनों करीब आए। मुलायम की मां मूर्ती देवी बीमार रहती थीं। साधना ने लखनऊ के एक नर्सिंग होम और बाद में सैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मूर्ति देवी की देखभाल की।'

साधना ने मारा अखिलेश को थप्पड़

'कारवां' मैगजीन में नेहा दीक्षित ने इस कहानी पर लिखा था। उन्होंने बिना नाम छापे परिवार के खास लोगों के हवाले से लिखा, 'साल 1988 में पहली बार मुलायम ने ही, अखिलेश को साधना गुप्ता से मिलवाया। तब वो 15 साल के थे। उसी वक्त अखिलेश को साधना अच्छी नहीं लगीं। एक बार तो साधना ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। कुछ समय बाद उन्हें पढ़ाई के लिए पहले इटावा, फिर धौलपुर राजस्‍थान भेज दिया।

मुलायम पर जांच की आंच

विश्वनाथ चतुर्वेदी कहानी में अजीब किस्म के कैरेक्टर हैं। इन्होंने कुछ ज्यादा नहीं किया। बस मुलायम की जिंदगी के जितने पन्ने दबे थे, उन्हें उखड़वा डाले। इन्होंने मुलायम के खिलाफ 2 जुलाई 2005 को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया। पूछा कि 1979 में 79 हजार रुपए की संपत्ति वाला समाजवादी करोड़ों का मालिक कैसे बन गया? सुप्रीम कोर्ट ने कहा, CBI, मुलायम की जांच करो।

जांच रिपोर्ट में ये सब लिखा गया

मुलायम की एक और बीवी और एक और बच्चा भी है। आज से नहीं 1994 से। 1994 में प्रतीक गुप्ता ने स्कूल के फॉर्म में अपने परमानेंट रेसिडेंस में मुलायम सिंह का ऑफिशियल एड्रेस लिखा था। मां का नाम साधना गुप्ता और पिता का एमएस यादव लिखा था। 2000 में प्रतीक के गार्जियन के तौर पर मुलायम का नाम दर्ज हुआ था। 23 मई 2003 को मुलायम ने साधना को अपनी पत्नी का दर्जा दिया था।

सच तो ये है कि सही तरीके से साधना मुलायम की जिंदगी में आईं 1988 में और 1989 में मुलायम UP के CM बन गए। तब से वह साधना को लकी मानने लगे। पूरे पर‌िवार को बात पता थी। कहता कोई नहीं था। अब जब सब कुछ सामने आ ही रहा था तब 2007 में मुलायम ने अपने खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति वाले केस में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया। इसमें लिखा था-

मैं स्वीकार करता हूं कि साधना गुप्ता मेरी पत्नी और प्रतीक मेरा बेटा है। अब डर जगा कि समाजवादी पार्टी का एक और उत्तराधिकारी पैदा हो गया, लेकिन कहानी यहां भी खत्म नहीं होती-

अखिलेश अपने पिता से काफी नाराज थे। मुलायम ने अकेले लड़ाई करके विधानसभा चुनाव 2012 जीता और गद्दी दे दी- अखिलेश यादव को। बोले, 'ले बेटा संभाल।' 19 जनवरी को जब उसी साधना की बहू अपर्णा यादव ने BJP का झंडा थामा तो लोगों ने पूछा, 'क्या अखिलेश, संभाल नहीं पा रहे हैं।' फिलहाल वह इतना कहकर निकल गए कि उन्हें शुभकामनाएं।

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