देश के जानेमाने 36 बुद्धिजीवियों ने उठाई उमर खालिद की तत्काल रिहाई की मांग
Delhi Riots 2020 : उमर खालिद का दिल्ली हाईकोर्ट से सवाल - क्या सीएए का विरोध करना अपराध है?
जनज्वार। अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय देश के 36 प्रमुख बुद्धिजीवियों ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद की दिल्ली दंगा मामले में गिरफ्तारी का विरोध जताते हुए रिहाई की मांग की है। इसके लिए इन 36 लोगों के नाम से एक संयुक्त बयान जारी किया गया है।
गुजरात से विधायक व एक्टिविस्ट जिग्नेश मेवाणी ने इस बयान की काॅपी को अपने ट्विटर एकाउंट पर मंगलवार को ट्वीट किया। इस बयान में उमर खालिद की गिरफ्तारी की निंदा की गई है और उमर खालिद को देश साहसी युवा आवाज बताया गया है जो देश के संवैधानिक मूल्यों के लिए बोलता है। बयान में यह यह मांग की गई है कि उमर खालिद को तुरंत रिहा किया जाए और इस दिल्ली पुलिस द्वारा विच हंटिंग रोका जाए।
#IStandWithUmarKhalid #ReleaseAllPoliticalprisoners pic.twitter.com/m5uzT3KWsP
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) September 15, 2020
उमर खालिद को रविवार, 13 सितंबर की रात को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने लंबी पूछताछ के बाद यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया था और उनका मोबाइल फोन जब्त कर लिया। खालिद पर दिल्ली दंगों की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
फिल्ममेकर सईद मिर्जा, लेखिका अरुंधति राय, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, वकील प्रशांत भूषण, पत्रकार पी साईंनाथ, प्रोफेसर जयती घोष सहित अन्य के नाम से जारी इस बयान में कहा गया है कि सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान उमर खालिद देश के उन सैकड़ों आवाजों में एक थे जिन्होंने संविधान के पक्ष में आवाज उठायी और इस बात को सबसे अधिक महत्व दिया कि विरोध प्रदर्शन के लिए शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक व अहिंसक तरीके जरूरी हैं।। उमर खालिद संविधान और लोकतंत्र के लिए देश में उभरे एक मजबूत युवा आवाज हैं।
बयान में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस लगातार यह साजिश रच रही है कि उमर खालिद को दिल्ली दंगा की साजिश रचने के झूठे मामले में फंसाया जाए। बयान में यह भी कहा गया है कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए 20 लोगों में 19 31 साल से कम उम्र के हैं। उनमें 17 को यूएपीए के तहत जेल में डाल दिया गया है जो दिल्ली हिंसा में शामिल ही नहीं रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस लगातार यह साजिश रच रही है कि उमर खालिद को दिल्ली दंगा की साजिश रचने के झूठे मामले में फंसाया जाए। बयान में यह भी कहा गया है कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए 20 लोगों में 19 31 साल से कम उम्र के हैं। उनमें 17 को यूएपीए के तहत जेल में डाल दिया गया है जो दिल्ली हिंसा में शामिल ही नहीं रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि जीवन का अधिकार सिर्फ खाना खाने, सांस लेने और जिंदा रहने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिना भय के, सम्मान के साथ, असहमति सहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ जीेने का आधिकार है। बयान में कहा गया है कि जांच का तरीका लोकतांत्रिक आवाज को दबाने व भयभीत करने वाला है। कन्हैया कुमार व उमर खालिद पर में हुए हमलो का हवाला देते हुए उनकी सुरक्षा की भी मांग की गई है। इस मामले में मीडिया ट्रायल और न्याय को प्रभावित करने के लिए सलेक्टेड सूचनाएं व झूठी सूचना प्रसारित करने के कोर्ट के पूर्व आब्जर्वेशन का उल्लेख करते हुए कानून के द्वारा अपना काम करने और याय की उम्मीद जतायी गई है।