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राष्ट्रीय

वरवर राव को राष्ट्र की धरोहर बताते हुए आंध्र के 800 पत्रकारों ने लगाई जमानत की गुहार

Janjwar Desk
30 July 2020 7:44 AM GMT
वरवर राव को राष्ट्र की धरोहर बताते हुए आंध्र के 800 पत्रकारों ने लगाई जमानत की गुहार
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Photo:social media

वरवर राव को जमानत पर रिहा करने का अनुरोध करते हुए इन पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

जनज्वार। ख्यातिप्राप्त लेखक व कवि वरवर राव को जमानत पर रिहा करने के लिए आंध्रप्रदेश के 765 पत्रकारों ने गुहार लगाई है। इन तेलगु पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वरवर राव को रिहा करने के लिए जरूरी कदम उठाने की अपील की है।

भीमा-कोरेगांव मामले में वरवर राव पिछले 22 महीने से महाराष्ट्र के तलोजा जेल में हैं। इन पत्रकारों द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वरवर राव की उम्र 81 वर्ष की हो गई है। वे कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हैं। जब से वे जेल गए हैं, उनका स्वास्थ्य और ज्यादा बिगड़ गया है और अब वे अपने परिवार के लोगों को भी नहीं पहचान पा रहे हैं। साथ ही वे कोविड-19 पॉजिटिव भी पाए गए हैं।

पत्रकारों ने लिखा है 'जैसा कि कानून में कहा गया है कि जमानत एक नियम है और जेल अपवाद है, उनके केस का इस आधार पर विचार किया जाना चाहिए। यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि उन्हें सुरक्षित रखा जाय। हम प्रो. साईबाबा को भी रिहा करने का अनुरोध करते हैं, जो शारीरिक रूप से 90 फीसदी लाचार हैं और महाराष्ट्र के नागपुर जेल में बंद हैं।'

यह पत्र तेलंगाना मीडिया एकेडमी के चैयरमैन आलम नारायण, इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन के श्रीनिवास रेड्डी, संपादक के श्रीनिवास, वारधेली मुरली, अंकम रवि, एस वेरैया, अली खान, एन वेणुगोपाल, मुत्याला प्रसाद, जहीरुद्दीन अली खान, एस रामालिंगा रेड्डी, चन्ति क्रांति दास आदि के हस्ताक्षर से भेजा गया है।

इन पत्रकारों ने लिखा है 'वरवर राव सुप्रसिद्ध व्यक्ति हैं। वे एक संपादक, पत्रकार, कवि और वक्ता रहे हैं। देश के लोगों को उन्होंने प्रभावित किया है। सामाजिक समस्याओं को लेकर उन्होंने लोगों में जागरूकता पैदा की है। उन्होंने लोगों को अपनी समस्या को लेकर सवाल करने का साहस दिया है। उनकी लिखी बातों को इंग्लिश, फ्रेंच, इतालवी और स्पेनिश आदि कई भाषाओं में अनुवादित किया गया है। जीवन भर वे लोगों के लिए खड़े रहे हैं और न्याय के लिए संबंधित लोगों से सवाल किए हैं। इसे लेकर सरकारों द्वारा कई बार उनके विरुद्ध विवादित केस भी थोपे गए, पर हर बार वे निर्दोष साबित हुए।'

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