Aakar Patel : एयरपोर्ट पर अमेरिका जाने से रोके गए Amnesty India के पूर्व चीफ, कभी गुजरात दंगों पर लिखी थी रिपोर्ट, मोदी को बताया था 'लापरवाह'
Akar Patel Issue : आकार पटेल मामले में सीबीआई को बड़ा झटका, कोर्ट ने कहा माफी मांगें
Aakar Patel : गुजरात फाइल्स की लेखिका व पत्रकार राणा अय्यूब (Rana Ayyub) को हाल ही विदेश जाने से रोक दिया गया था। हालांकि बाद में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने उन्हें बाहर जाने की अनुमति दे दी थी। अब खबर है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया (Amnesty International India) के पूर्व प्रमुख आकार पटेल को भी एयरपोर्ट पर विदेश जाने से रोक दिया गया। खबरों के मुताबिक आकार पटेल के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया जिसके बाद उन्हें बेंगलुरु एयरपोर्ट पर रोका गया।
'Immigration authorities at the Bangalore Airport prevented him from leaving the country despite a judicial order permitting him to travel outside India for his speaking engagements' https://t.co/fX7cl2imm5
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) April 6, 2022
उन्होंने अपने एक ट्वीट में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का लेख शेयर करते हुए लिखा- बेंगलुरु एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें एक न्यायिक आदेश के बावजूद भारत से बाहर यात्रा करने की अनुमति के बावजूद देश छोड़ने से रोक दिया।
'Immigration authorities at the Bangalore Airport prevented him from leaving the country despite a judicial order permitting him to travel outside India for his speaking engagements' https://t.co/fX7cl2imm5
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) April 6, 2022
आकार पटेल ने कहा कि मेरे नाम पर लुकआउट नोटिस जारी है क्योंकि मोदी सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के खिलाफ केस दर्ज किया है। एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा- हम लड़ेगा और हम जीतेगा। हम मरने वाली कौम नहीं। हम जिंदा कौम हैं।
am ladega aur am jitega. am marne wali qawm nahin. am zinda qawm h
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) April 6, 2022
आकार टेल ने कभी प्राइस ऑफ द मोदी ईयर्स नाम की किताब भी लिखी थी। अपनी इस किताब पर चर्चा के दौरान एक वेब चैनल से बात करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लापरवाह और जल्दबाज बताया था। साल 2016 की नोटबंदी और कोरोना काल में देशव्यापी लॉकडाउन का उदाहरण देते हुए उन्होंने दावा किया था कि ये दोनों फैसले कैबिनेटच के सहयोगियों के सलाह के बिना लिए गए थे। वह गुजरात दंगों पर राइट्स एंड रॉन्ग नाम की एक रिपोर्ट में सह-लेखक भी रहे हैं।
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा विदेशी विनियमन अधिनियम (FCRA 2010) और आईपीसी के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए दर्ज शिकायत के बाद सीबीआई ने नवंबर 2019 में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और उसके तीन सहयोगी संस्थाओं इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट, एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन के खिलाफ केस दर्ज किया था। आरोप लगाया गया था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके ने कथित तौर पर मंत्रालय की मंजूरी के बिना एमनेस्टी इंडिया की संस्थाओं को एफडीआई के तौर पर दस करोड़ का भुगतान किया था।
इसके बाद मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में अपना काम बंद कर दिया था। संस्था का आरोप था कि भारत सरकार बदले के इरादे से उसके खिलाफ कार्रवाई कर रही है।