अब केंद्र और SC के बीच पुराने नोट पर तकरार, क्या एक बार फिर बदले जा सकते हैं 500 और 1000 के नोट!
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ( Centrtal government ) और सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) के बीच अलग-अलग मुद्दों पर मतभेद के दायरे बढ़ते जा रहे हैं। चुनाव आयुक्त ( Election commissioner ) की नियुक्ति के बाद अब नोटबंदी ( Notebandi ) दौर के पुराने नोटों ( Old Notes ) पर भी केंद्र सरकार की दलील सुप्रीम कोर्ट की राय से अलग है। यानि इस पर भी दोनों के बीच तकरार की पूरी संभावना है। हालांकि, एजी वेंकटरमणि ने कहा कि विशेष स्थिति में 500 और 1000 के नोट बदले जा सकते हैं। यह स्थिति सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी ( demonetization ) की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को संविधान पीठ के सामने सुनवाई के दौरान उभरकर सामने आई।
जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने संकेत दिया कि पुराने नोटों को बदलने के लिए एक व्यवस्था पर विचार किया जाएगा। अदालत से ये भी स्पष्ट किया कि कुछ विशेष मामलों में ही ये अनुमति दी जाएगी।
कोर्ट को इस तरह का आदेश देने का अधिकार नहीं
बता दें कि चाचिकाकर्ता ने नोटबंदी की अधिसूचना को अवैध बताते हुए चुनौती दी थी। छह साल बाद उस याचिका पर अब सुनवाई हो रही है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने कहा कि कोर्ट इस तरह का आदेश नहीं दे सकता। नोटबंदी के नोट बदले जाने के लिए विंडो को काफी आगे बढ़ाया गया था लेकिन लोगों ने इसका फायदा नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ विशेष मामलों में सरकार नोट बदलने जाने पर विचार कर सकती है।
आरबीआई के कानूनों के तहत हुई थी नोटबंदी
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने नोटंबदी की अधिसूचना का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह जाली नोट की समस्या और आतंकवाद की फंडिंग रोकने के लिए उठाया गया कदम था। नोटबंदी रिजर्व बैंक कानून 1934 के प्रावधानों के तहत की गई थी। इसमें कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। इन याचिकाओं पर अब विचार करना शैक्षणिक कवायद है जिसका अब कोई मतलब नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि हम एक तंत्र बनाने पर विचार करेंगे, जिसमें विशेष मामलों में पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बदलने के विकल्प देखेंगे। रिजर्व बैंक यह 2017 के कानून की धारा 4(2)(3) के तहत कर सकता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि मेरे पास एक करोड़ रुपये से ज्यादा के पुराने नोट हैं। कोर्ट ने कहा - आप इन्हें संभाल कर रखिये। मेरी जब्त की गई लाखों रुपये की रकम अदालत में जमा है, लेकिन नोटबंदी के बाद वह बेकार हो गई। हम विदेश में थे। विंडो मार्च से पहले बंद हो चुकी थी। कहा गया था कि मार्च के अंत तक खुली रहेगी।