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Saffron Agenda : UP के बाद गुजरात और कर्नाटक में भी भगवा एजेंडे पर होगा विधानसभा चुनाव!

Janjwar Desk
20 March 2022 7:31 AM IST
यूपी के बाद गुजरात और कर्नाटक में भी होगा भगवा एजेंडे पर चुनाव
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गुजरात के बाद कर्नाटक के स्कूलों में गीता पढ़ाने की चर्चा। 

पिछले कुछ दिनों से सिलसिलेवार तरीके से गीता और भारतीय शिक्षा की आड़ में भगवा शिक्षा को देश भर में फैलाने के संकेत मिल रहे हैं।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) में बहुत हद तक 80-20 के मुद्दे पर चुनाव कराने और कांग्रेस को पंजाब से बेदखल करने में बहुत हद तक सफल रही भाजपा ( BJP ) की तैयारी गुजरात ( Gujrat ) और कर्नाटक ( Karnataka ) में भी भगवा एजेंडे (Saffron Agenda ) पर चुनाव लड़ने की हो सकती है। पिछले कुछ दिनों गीता को स्कूलों में पढ़ाने के राग को जिस तरह से सियासी मुद्दा बनाने के संकेत मिले उससे तो कम से कम यही लगता है। ऐसा इसलिए कि पिछले कुछ दिनों से सिलसिलेवार तरीके से गीता ( Geeta )और भारतीय शिक्षा ( India Education ) की आड़ में भगवा शिक्षा को देश भर में फैलाने के संकेत मिल रहे हैं।

शनिवार को गुजरात के स्कूलों में गीता को पढ़ाने का मुद्दा गरमाया रहा तो शाम ढलते ही खबर ये आई गई है कि भाजपा शासित राज्य कर्नाटक में भी भगवद्गीता को स्कूलों पाठ्यक्रमों में शामिल किया जा सकता है। खास बात यह है कि देश के उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर बैठे वेंकैया नायडू से इस पहल का खुलकर स्वागत किया है। उन्होंने लोगों से मैकाले की शिक्षा को भूलने की नसीहत भी दी है। फिलहाल, भाजपा शासित गुजरात ने दो दिन पहले घोषणा की थी कि वर्ष 2022-23 से कक्षा 6 से 12वीं के लिए भगवदगीता स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी।

गुजरात के बाद कर्नाटक के स्कूलों में भी भगवदगीता ( Bhagavad Gita) को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला लिया जा सकता है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को ऐसे ही संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि भगवदगीता हमारे अंदर नैतिक मूल्य पैदा करती है। इसे स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम (school curriculum) में शामिल करने का फैसला चर्चा के बाद किया जाएगा। ध्यान देने की बात यह है कि कर्नाटक में ही हिजाब विवाद को तूल दिया गया। यह काम उस समय में किया गया जब यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रचार चरम पर था।

स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद गीता को शामिल करने से जुड़े सवाल पर बोम्मई ने कहा कि यह गुजरात में किया गया है। हमारे मंत्री का कहना है कि वह इस पर चर्चा करेंगे। देखते हैं कि शिक्षा विभाग क्या ब्योरा लेकर सामने आता है।

सीएम बोम्मई का कहना है कि उनका इरादा बच्चों को शिक्षा और नैतिक मूल्य प्रदान करना है। अधिक विवरण का खुलासा चर्चा के बाद ही किया जा सकता है। कर्नाटक के माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने शुक्रवार को कहा था कि ऐसा कोई भी फैसला करने से पहले सरकार शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगी। बच्चों के बीच सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण हुआ है। उनका कहना था कि बहुत सारे लोगों ने मांग की है कि नैतिक विज्ञान की पढ़ाई शुरू की जाए। नागेश के मुताबिक पहले सप्ताह में एक कक्षा नैतिक विज्ञान की होती थी, जिसमें रामायण और महाभारत से संबंधित अंश पढ़ाए जाते थे।

नागेश ने कहा कि इससे पहले रामायण और महाभारत को सप्ताह में एक बार मोरल साइंस के तौर पर पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाया जाता रहा है।

वेंकैया नायडू भगवा शिक्षा के पक्ष में

इससे पहले केंद्र सरकार पर देश के शैक्षिक ढांचे का भगवाकरण किये जाने के आरोपों पर भारत के उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ( M. Venkaiah Naidu) ने शिक्षा के भगवाकरण का समर्थन करते हुए कहा कि हम पर शिक्षा का भगवाकरण ( Saffronisation ) करने का आरोप है, लेकिन भगवा में क्या गलत है? सर्वे भवन्तु सुखिनः और वसुधैव कुटुम्बकम जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में निहित दर्शन है, उसमें क्या गलत है? उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू आज शनिवार को तीर्थनगरी हरिद्वार (Haridwari) में गायत्री तीर्थ शांतिकुंज (Gayatri Teerth Shantikunj) में दक्षिण एशियाई देश शांति एवं सुलह संस्थान के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। एम वेंकैया नायडू ने देश के लोगों से कहा कि वे अपनी औपनिवेशिक मानसिकता (Colonial Mindset) को त्यागें और अपनी पहचान पर गर्व करना सीखें। नायडू ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में शिक्षा की मैकाले प्रणाली को पूरी तरह से खारिज करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसने देश में शिक्षा के माध्यम के रूप में एक विदेशी भाषा को भारत पर थोपते हुए शिक्षा को अभिजात्य वर्ग तक सीमित कर दिया। सदियों के औपनिवेशिक शासन ने हमें खुद को एक निम्न जाति के रूप में देखना सिखाया। हमें अपनी संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान का तिरस्कार करना सिखाया गया। इस सोच ने एक राष्ट्र के रूप में हमारे विकास को धीमा कर दिया।

कर्नाटक कांग्रेस ने सरकार के फैसले का किया विरोध

दूसरी तरफ कर्नाटक कांग्रेस ने भाजपा सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। पार्टी ने कहा कि यह शिक्षा नीति के तहत हिन्दुत्व की नीति को लाने की है। कांग्रेस नेता के रहमान खान ने कहा कि कर्नाटक सरकार गुजरात की भाजपा सरकार की लाइन पर चलने का प्रयास कर रही है। किसी सिलेबस में धार्मिक पुस्तक पढ़ाने को मैं गलत नहीं समझता, लेकिन फिर सभी धर्मों की पुस्तकों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए। हर धार्मिक पुस्तक हमें धर्म का पाठ पढ़ाती है, लेकिन भाजपा निहित स्वार्थों को आगे रखकर ऐसा कर रही है।

खट्टर सरकार 2015 से ही इस दिशा में कर रही है काम

दरअसल, भाजपा की सफलता दिखा रही है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण अब उत्तर भारत की रगों तक फैल गया है, जिसे अन्य राज्यों में फैलाने की मुहिम जारी है। हरियाणा में गीता विवाद पहले से ही जारी है। गीता को पढ़ाने को लेकर मनोहर लाल खट्टर सरकार कई कार्यक्रमों का भी आयोजन कर चुकी है। हरियाणा सरकार इसकी शुरुआत 2015 में ही कर दी थी। यानि भाजपा एक सुनियोजित तरीके से विकास के साथ भगवा एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। यूपी में इस जेंडे को 80:20 के तहत योगी के जरिए अप्लाई किया। नवंबर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव है। उसके बाद 2023 में कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव होगा।

SDMC : इस्कॉन ने गीता पाठ पढ़ाने में दिखाई रुचि

इंडियन एक्सप्रेस ने 20 दिसंबर 2021 को प्रकाशित खबर के मुताबिक साउथ एमसीडी के स्कूलों में भी बच्चों को भगवद गीता का पाठ पढ़ाने की तैयारी है। दक्षिण एमसीडी के स्कूलों में जल्द ही शिक्षा समिति द्वारा इसे शुरू किया जाएगा। समिति ने अपने एक स्कूल का नाम दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के नाम पर रखने का भी फैसला किया है। शिक्षा समिति के अध्यक्ष ने कहा कि स्कूल दोबारा खुलने तक ये कक्षाएं ऑनलाइन रहेंगी। इस्कॉन मंदिर ने भी "गीता का पाठ पढ़ाने" में रुचि दिखाई है। छात्रों को भगवद गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा।

भगवा शिक्षा : विपक्ष के सामने बड़ी चुनौती

भाजपा की यह रणनीति विपक्ष के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। अगर विपक्ष को इससे पार पाना है तो उसे राजग जैसी सत्ता पाने की नहीं, सत्ता के एक बेहतर स्वरूप को बनाने की दिशा में कदम उठाने होंगे।

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