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दोपहर एक बजे के बाद 'Morbi' से BJP 17000 वोटों से आगे थी अगर पुल ना टूटता तो 17135 वोटों से आगे होती!

Janjwar Desk
9 Dec 2022 8:11 AM GMT
दोपहर एक बजे के बाद मोरबी से BJP 17000 वोटों से आगे थी अगर पुल ना टूटता तो 17135 वोटों से आगे होती!
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दोपहर एक बजे के बाद मोरबी से BJP 17000 वोटों से आगे थी अगर पुल ना टूटता तो 17135 वोटों से आगे होती!

Morbi Case: गुजरात चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की और पिछले कई रिकार्ड भी ध्वस्त कर दिये हैं। ऐसा मीडिया छाप-दिखा रहा है। सही मायनों में यह जीत मीडिया की भी है। यही तो मोदी मैजिक है। और इसी मैजिक की दम पर भाजपा ने 156 सीटें जीती हैं...

Morbi Case: गुजरात चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की और पिछले कई रिकार्ड भी ध्वस्त कर दिये हैं। ऐसा मीडिया छाप-दिखा रहा है। सही मायनों में यह जीत मीडिया की भी है। यही तो मोदी मैजिक है। और इसी मैजिक की दम पर भाजपा ने 156 सीटें जीती हैं। पार्टी ने यहां लगातार सातवी बार जीत हासिल की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक BJP की 1980 चुनावी राजनीती में आने के बाद की ये सबसे बड़ी जीत बताई जा रही है।

इस बार का Gujrat Election इसलिये भी अहम था क्योंकि हाल ही मोरबी (Morbi) ब्रिज की घटना हुई थी। मोरबी घटना के असली मुजरिम बच निकले, हो सकता है मोरबी समेत गुजरात से भाजपा को तोहफे के तौर पर जीत मिली हो। बहरहाल पार्टी जीत गई। भारी मतों से जीती। इसके बाद लोग कमेंट कर रहे हैं कि दोपहर एक बजकर 32 मिनय पर मोरबी से भाजपा 17000 वोचटों से आगे चल रही थी, अगर मोरबी हादसा ना हुआ होता तो यह संख्या 17135 होती। बता दें कि मोरबी हादसे में 135 लोग मारे गये थे।

इनपुट है कि मोरबी की जनता ने भाजपा को एकतरफा वोट दिया है। इस लिहाज से देखा जाए तो मोरबी पुल केस में जो 135 से अधिक जाने चली गईं, अगर जिंदा होते तो वे भी भाजपा को ही वोट देते। तब आंकड़ों में भाजपा और एक दो सीटें अधिक जीत सकती थी। हो ना हो मृतकों की आत्माएं जरूर वोट डालने आई होंगी।

मोदी के मन की बात

8 दिसंबर को सात बजकर 46 मिनट पर मोदी ने देश को संदेश दिया। इस संदेश में उन्हेंने कहा कि 'हमारे पूर्वजों एक कहावत कही है, आमदनी अठन्नी खर्चा रूपैया। अगर यह हिसाब रहेगा तो क्या स्थिति होगी यह हम अपने आस-पास के देशों में देख रहे हैं। आज इसलिए देश सतर्क है। देश के हर राजनीतिक दल को यह याद रखना होगा कि चुनावी हथकंडो से किसी का भला नहीं होता।' हम आपको अक्सर बताते रहे हैं, कि जो मोदी खुद करते हैं, अपने विरोधियों पर वार भी उसी को लेकर करते हैं। यहा असल और सफल राजनीति है।

पूर्व पत्रकार अपूर्व भरद्वाज लिखते हैं, मोरबी की तीनों सीट बीजेपी जीत गई, किसानों पर गाड़ी चलाने वाले के लखीमपुर खीरी की सारी सीट जीत गई। बेरोजगारी और पेपर लीक के चलते गुजरात का युवा आत्महत्या कर रहा था, पेट्रोल, डीजल, राशन सारी चीजे अपने उच्चतम स्तर पर है पर जनता अभी भी मोदी-मोदी कर रही है। गुजरात मे बहुत से लोग बीजेपी से नाराज थे पर इससे पहले भी किसानों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों, व्यापारियों और सरकारी कमर्चारियों ने अलग अलग अवसरों पर खूब बंद और प्रदर्शन किये लेकिन कुछ फर्क पड़ा क्या? कृषि कानून को छोड़कर सरकार की नीतियां और निर्णय बदले क्या? तथाकथित 56 इंची सरकार अपने निर्णय से एक इंची भी पीछे हटी क्या?

इसी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में नोटबन्दी और जीएसटी (गलत अनुकरण) जैसी गलतियां की लेकिन क्या हुआ? जिस सूरत में सबसे ज्यादा विरोध हुआ के वँहा बीजेपी स्वीप कर गई इस अदभुत रिजल्ट के बाद नोटबन्दी के फैल होने पर चौराहे पर आने वाले का वादा करने वाले साहब के अंध भक्त बड़ी बेशर्मी सारे व्यापारीयो को कहते है यह तो होना ही था।

2017 में यूपी और 2019 के चुनावो में छप्पर फाड़ सफलता के बाद साहब को एक बाद अच्छे से समझ आ गई थी भारत की जनता चुनावों के समय आथिर्क मुद्दों पर कभी वोट नही देती है शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे पर कभी सरकार नही बदलेगी वो जानते थे इसलिए विकास के घोर पूंजीवादी गुजरात मॉडल को वो पूरे देश मे लागू कर रहे है वो एक पैरेलल वोटबैंक खड़ा कर रहे है जो अर्थव्यवस्था की असफलता से बिलकुल भी अपना मत नही बदलेगा। साहब के लिए लोकतंत्र का मतलब चुनाव है इसलिए वो सारे काम चुनावो को ध्यान रखते हुए ही करते हैं। क्योकि वो जानते है अंत में कौन जीतता है वो ही मेटर करता है इसलिए उन्होंने अपने नेतृत्व में लड़ा गया एक भी चुनाव नही हारा है। बिकाज ही ऑलवेज नो इंडियन वोटर।

वोट देते समय किसान, छात्र, व्यापारी और बेरोजगार धर्म, जात औऱ वर्ग के हिसाब से वोट करेंगे.भारत के लोगो की मेमोरी बहुत शार्ट है एक भारत पाकिस्तान का मैच होगा औऱ वो सब भूल जायँगे जब बिहार के मजदूर लाकडाऊन के दौरान हुआ पलायन भूल सकते है गुजरात के व्यापारी नोटबन्दी भूल सकते है तो मोरबी क्या चीज है वो भी देर सबेर भूल ही जायगे। बहुत से लोग कहते है वोट देना किसी का निजी मामला है मैं भी यही मानता हूँ जब आपने सरकार की सारी नीतियों के बारे में सबकूछ जानते हुए एक नही अनेको बार साहब को वोट दिया है तो कुछ सोच के ही दिया होगा औऱ आपको उसके परिणाम भी पता होंगे जब सब कुछ जानते हुए भी आप उन्हें अपना मत बार बार दे रहे है।

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