Agra News : नाबालिग होते हुए भी मिली फांसी की सजा, 13 वर्ष की उम्र से जेल में बंद बंटू को 19 साल बाद मिला न्याय
Agra News : नाबालिग होते हुए भी मिली फांसी की सजा, 13 वर्ष की उम्र से जेल में बंद बंटू को 19 साल बाद मिला न्याय
Agra News : अपनी जिदंगी के कई साल जेल की सलाखों के पीछे गुजार चुके बंटू को अब राहत की उम्मीद मिली है। इतने साल जेल में बिताने का कारण कानून व्यवस्था की नाकामी है। करीब 13 साल की उम्र में बंटू जेल में आया था। उसका बचपन, किशोरावस्था और जवानी के कई खास साल जेल की चारदीवारी में बंद हो गए। वह अपनी नाबालिग उम्र साबित करने के लिए तमाम कोशिशें करता रहा लेकिन हाथ आई सिर्फ नाकामी। जब नाबालिग उम्र साबित करने में वह कामयाब हुआ तो परिवार में किसी के ना होने के दुख ने उसे जेल से बाहर आने नहीं दिया। नाबालिग उम्र साबित होने के बाद भी उसे बेवजह 9 साल और जेल में बंद रहना पड़ा।
सजा ए मौत की सजा बदली उम्र कैद में
आरोपी बंटू साल 2003 में हुए एक मर्डर केस में जेल में बंद हो गया ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी पाते हुए 2 साल बाद 2005 में उसे मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि 2012 में सजा-ए-मौत को उम्र कैद में बदल दिया गया। निचली अदालत के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी बरकरार रखा गया।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को पड़ताल करने का निर्देश
उत्तर प्रदेश की जेलों में कई सारे नाबालिग कैदियों के बंद होने के आरोप पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को इसकी पड़ताल करने का निर्देश दिया। तब कहीं जाकर बंटू को उम्मीद की रोशनी दिखाई पड़ी। उसके पास कोई भी पहचान पत्र नहीं होने की वजह से उसे उम्र साबित करने के लिए मेडिकल परीक्षण से गुजरना पड़ा। रिपोर्ट में जनवरी 2013 में उसकी उम्र 23 साल होना साबित हुआ। इसके अनुसार 2003 में वारदात के समय बंटू उसकी उम्र 13 साल रही होगी। अब तक बंटू पहले ही जेल में अपने कई साल गुजर चूका था।
नाबालिग उम्र साबित होने के बाद भी 9 साल जेल में रहा
नाबालिग उम्र साबित होने के बाद भी बंटू की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुईं। बंटू के परिवार में किसी के भी नहीं होने की वजह से उसे काफी दिक्कत हुई। उम्र को लेकर बेगुनाही साबित करने वाला बंटू के लिए कोई नहीं था। इस वजह से उसे राहत नहीं मिली और अगले 9 साल तक वह आगरा की जेल की चहारदीवारी में ही कैद रहा।
कैदियों की मदद से वकील से हुआ संपर्क
जेल में कैद अन्य बंदियों से बातचीत के दौरान बंटू के दिमाग में घटना के वक्त खुद की नाबालिग उम्र साबित करने के लिए जुवेनाइल याचिका दाखिल करने की बात आई। कैदियों की सहायता से वह रिषी मल्होत्रा नामक वकील के संपर्क कर सका, जिन्होंने आगरा की जेल में ऐसे कैदियों के मामले को डिफेंड किया है।
कोर्ट ने दिया तुरंत रिहा किए जाने का निर्देश
बंटू की तरफ से दाखिल याचिका में यह कहा गया कि फरवरी 2014 में ही उसके नाबालिग होने की पुष्टि हो गई थी लेकिन परिवार में किसी के नहीं होने की वजह से आगे का रास्ता नहीं खुला। कोर्ट ने भी रिहाई का कोई आदेश नहीं जारी किया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और वी. रामासुब्रामण्यम की बेंच ने इस बंटू की याचिका को सुनने पर सहमति जताया, जिसके बाद बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए उसकी तुरंत रिहाई किए जाने का निर्देश दिया है।