Air India : मोदी सरकार ने बेच दी सरकारी एयरलाइंस 'एयर इंडिया', अब नए मालिक हो गए 'टाटा संस' !
(निजीकरण के इस दौर में मोदी सरकार ने सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया को बेच दिया है)
Air India : (जनज्वार)। ..तो आखिरकार एयर इंडिया (Air India) बिक ही गई। बड़े लेबल पर निजीकरण के इस दौर में देश की सरकारी एयरलाइंस कंपनी एयर इंडिया सरकार अब सरकार की नहीं रही। यह एयरलाइंस अब सरकार को टाटा बॉय बॉय कर सीधे 'टाटा' यानि टाटा संस (Tata Sons) के पास चली गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक टाटा संस ने सबसे ज्यादा कीमत लगाकर बोली जीत ली है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण (Privatization) के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि बाकी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आधिकारिक घोषणा हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार इसकी घोषणा जल्द कर सकती है। दिसंबर तक टाटा को एयर इंडिया का मालिकाना हक मिल सकता है।
वैसे नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं की है। हालांकि, अगर ऐसा हुआ है तो सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन एयर इंडिया एक बार फिर टाटा ग्रुप (Tata Group) के हाथों में चली जाएगी। दरअसल, एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तिथि 15 सितंबर थी।
इस एयरलाइन के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में टाटा संस भी शामिल थी।यानी टाटा के साथ सरकार का सौदा पक्का होने से विमानन कंपनी की 67 साल बाद 'घर वापसी' होगी।
बता दें कि टाटा समूह ने अक्तूबर 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एयर इंडिया की शुरुआत की थी, जिसे भारत सरकार (Government of India) ने 1953 में अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था।
यह भी बता दें कि एयर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया जनवरी 2020 में ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी (Vividh pandemic) के कारण इसमें लगातार देरी हुई। अप्रैल 2021 में सरकार ने एक बार फिर योग्य कंपनियों से बोली लगाने को कहा। 15 सितंबर बोली लगाने का आखिरी दिन था।
साल 2020 में भी टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया के अधिग्रहण को लेकर रुचि पत्र दिया था। दरअसल सरकार ने 2017 से ही एयर इंडिया की नीलामी के प्रयास शुरू कर दिए थे, लेकिन तब कंपनियों ने रुचि ही नहीं दिखाई थी।
इसके बाद सरकार ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओएल) के नियमों में ढील दी जिसके बाद कर्ज में डूबे एयर इंडिया को खरीदने में कुछ कंपनियों ने रुचि दिखाई। नए नियमों के तहत ही कर्ज के प्रावधानों में नरमी बरती गई ताकि स्वामित्व वाली कंपनी को पूरा कर्ज न वहन करना पड़े।
केंद्र सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती थी, जिसमें एआई एक्सप्रेस लिमिटेड में एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल हैं।
विमानन कंपनी साल 2007 में घरेलू ऑपरेटर इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है। साल 2017 से ही सरकार एयर इंडिया के विनिवेश का प्रयास कर रही है। तब से कई मौके पर प्रयास सफल नहीं हो पाए।