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Janjwar Impact: इलाहाबाद के दलित प्रोफेसर मामले में आयोग ने 'जनज्वार' की खबर का लिया संज्ञान, इविवि को भेजा नोटिस

Janjwar Desk
10 Feb 2022 11:20 PM IST
Allahabad University News : इलाहाबाद के दलित प्रोफेसर मामले में आयोग ने
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Janjwar Impact: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विक्रम हरिजन मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने विश्वविद्यालय को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। बता दें कि इस मामले को जनज्वार ने सिलसिलेवार ढंग से उठाया था।

Janjwar Impact: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विक्रम हरिजन मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने विश्वविद्यालय को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। बता दें कि इस मामले को जनज्वार ने सिलसिलेवार ढंग से उठाया था। डॉ विक्रम हरिजन की जनज्वार संपादक अजय प्रकाश से हुई बातचीत के आधार पर खबर और वीडियो दिखाया था, जो काफी वायरल भी हुआ था। वीडियो वायरल होने के बाद आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए नोटिस जारी किया है।

आपको बता दें कि मामले को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने विश्वविद्यालय से सात दिनों के भीतर जवाब मांगा है। साथ ही अब तक हुई कार्रवाई समेत वर्तमान प्रगति सहित जवाब देने को कहा है।

गौरतलब है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक असिस्टेंट प्रोफेसर को महज इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा था क्योंकि वह दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इस मामले को लेकर डॉ. विक्रम हरिजन ने जनज्वार से बातचीत करते हुए बताया था कि, 'यह सभी आरोप जो उन्होंने लगाए हैं वह छात्रों के अनुसार लगाए हैं। उन्होंने बताया था कि, विश्वविद्यालय के तमाम छात्रों का कहना है कि उन्हें जाति के आधार पर नंबर दिए जाते हैं। उन्होने कहा था कि एक सेमिनार के दोरान मेरा और मेरे मेहमानों का खाना तक रूकवा दिया गया तब पुलिस के हस्तक्षेप के बाद खाना मिल सका था। यह लोग तमाम तरह से मुझपर प्रेशर बनाने का प्रयास कर रहे हैं वह इसलिए की मैं छात्रों के हक की कोई बात न उठा सकूं।'

क्या था मामला?

असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विक्रम हरिजन ने 21 अक्टूबर 2019 को एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया था। उनका आरोप था कि यहां जातिगत आधार पर नंबर दिए जाते हैं। इस सहित प्रोफेसर विक्रम ने इविवि प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए विश्वविद्यालय में जातिवाद हावी होने जैसा आरोप भी लगाया था।

असिस्टेंट प्रोफेसर विक्रम का आरोप था कि विश्वविद्यालय में छात्र और शिक्षक जाति के आधार पर बंटे हुए हैं। शोध करने वाले छात्र शोध निदेशक के अलावा किसी अन्य शिक्षक से मिल भी नहीं पाते हैं। सीनियर और जूनियर शिक्षकों में आपसी खींचतान रहता है। जिसके चलते शोध का स्तर भी गिर रहा है। इस बात को लेकर प्रोफेसर विक्रम ने कुलपति व अन्य से बात भी की थी और ऐसे मामलों का समाधान किए जाने को लेकर भी कहा था।

खबर के बाद दोबारा मिला है नोटिस

प्रोफेसर डॉ. विक्रम के इन आरोपों के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने संज्ञान में लेकर इविवि प्रशासन को नोटिस भेजकर पूछा था कि अब तक इसपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जिसके बाद रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ला की तरफ से डॉ. विक्रम को नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस में पूछा गया है कि उन्होने जिस आधार पर यह आरोप लगाए हैं, वह सभी साक्ष्य लोकर इविवि प्रशासन को उससे अवगत कराएं। अब इसी मामले में कोई जवाब न देने और मामले के तूल पकड़ने के बाद आयोग ने दोबारा नोटिस भेजा है।

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