Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

सफूरा जरगर के समर्थन में आया अमेरिकन बार एसोसिएशन, कहा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नहीं हिरासत, तुरंत करें रिहाई

Janjwar Desk
13 Jun 2020 4:02 PM IST
सफूरा जरगर के समर्थन में आया अमेरिकन बार एसोसिएशन, कहा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नहीं हिरासत, तुरंत करें रिहाई
x
सफूरा जरगर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (UAPA) के तहत दर्ज एक मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया है, उन पर दिल्ली दंगों की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया है।

जनज्वार ब्यूरो। सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स, अमेरिकन बार एसोसिएशन ने सफूरा जरगर की रिहाई की अपील की है। उन्होंने कहाकि सफूरा जरगर का प्री-ट्रायल डिटेंशन अंतरराष्ट्रीय कानून के मानकों के अनुरूप प्रतीत नहीं होता है, अंतर्राष्ट्रीय कानून में वो संधियां भी शामिल है जिनमें भारत स्टेट-पार्टी है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सेंटर फॉर ह्यूम राइट्स ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय कानून जिनमें वो संधियां भी शामिल हैं, भारत जिनमें स्टेट पार्टी है, केवल संकीर्ण परिस्थितियों में प्री-ट्रायल कस्टडी की अनुमति देता है, जरगर का मामला ऐसा नहीं है। इंटरनेशनल कोवनंट ऑफ सिविल एंड पॉलिटिकल राइट (ICCPR) कहता है कि यह सामान्य नियम नहीं होना चाहिए कि ट्रायल का इंतजार कर रहे व्यक्तियों को हिरासत में रखा जाएगा।

बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी की स्कॉलर सफूरा जरगर (27 वर्षीय) 10 अप्रैल से हिरासत में है। वह सीएए विरोधी आंदोलन में सक्रिय रही थीं। जरगर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (UAPA) के तहत दर्ज एक मामले में हिरासत में लिया गया है, उन पर दिल्ली दंगों की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। पिछले हफ्ते पटियाला हाउस की एडिशनल सेशन कोर्ट ने सफूरा को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

अमेरिकन बार एसोसिएशन ने जिक्र किया है कि जरगर दिसंबर 2019 से नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरोध में सबसे आगे रही हैं। उन्हें विरोध प्रदर्शन के तहत कथ‌ित रूप से एक सड़क को ब्लॉक करने के आरोप 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि एक मजिस्ट्रेट ने 'उनकी गर्भावस्था, स्वास्थ्य की स्थिति और COVID-19 के कारण जेलों में भीड़ कम करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश' के मद्देनजर उन्हें उस मामले में जमानत दे दी थी। उन्हें दोबारा यूएपीए के तहत दिल्ली दंगों की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाकर दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया।

अमेरिकन बार एसोसिशन ने कहा कि यूएपीए के तहत हिरासत में ली गई सफूरा को जमानत देने से इनकार करना इंटरनेशनल कोवनंट फॉर सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है, जिनका मानना है कि प्री-ट्रायल ड‌िटेंशन केवल संकीर्ण उद्देश्यों के लिए होना चाहिए जैसे- 'देश छोड़ने से रोकना, सबूत के साथ छेड़खानी से रोकना, या अपराध की पुनरावृत्ति'आदि से रोकना।

सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स, अमेरिकन बार एसोसिएसन ने यह कि कहा कि द यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन आर्बिट्ररी डिटेंशन ने इंटरनेशनल कोवनंट ऑफ सिविल एंड पॉलिटिकल राइट की व्याख्या की है कि किसी भी प्रकार की हिरासत असाधारण और कम अवधि की होना चाहिए और न्यायिक कार्यवाही में प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की व्यवस्‍था के साथ रिहाई हो सकती है।

Next Story

विविध