Ankita Murder Case : हैवानों ने पिता का सहारा बनने से पहले अंकिता को हमेशा के लिए कर दिया उनसे दूर
Ankita Murder Case : हैवानों ने पिता का सहारा बनने से पहले अंकिता को हमेशा के लिए कर दिया उनसे दूर
Ankita Murder Case : उत्तराखंड के श्रीकोट गांव की रहने वाली अंकिता भंडारी ( Ankita Bhandari ) मेधावी छात्रा थी। उसने होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर घर की माली हालात सुधारने और पिता का सहारा बनने का सपना देखा था, लेकिन सियासी हैवानों ने उसके इस सपने को पूरा नहीं होने दिया। आज अंकिता हम सबके बीच नहीं है, लेकिन उसकी रूहें कह रही हैं, पुलकित आर्य ( Pulkit Arya ) और उसके खानदान को छोड़ना मत। यही वजह है कि अंकिता की हत्या के बाद उत्तराखंड ( Uttarakhand ) के लोगों में उबाल चरम पर है। वहां के लोग अंकिता के शैतानों के खिलाफ सड़क पड़ उतर आये हैं। लोग तत्काल सख्त से सख्त सजा चाहते हैं।
भाजपा नेता लगा रहे बेटी बचाओ योजना को पलीता, पीएम कब तक रहेंगे चुप
इस बीच अहम सवाल ये है कि अंकिता ( Ankita Bhandari ) के हत्यारों को सजा मिल भी जाए तो क्या वो वापस इस दुनिया में आ जाएगी। उनके पिता को बेटी का सहारा मिल जाएगा। समाज को एक जिम्मेदार और मेधावी बेटी मिल जाएगी। अफसोस की बात ये है कि इस तरह की घटनाएं पीएम मोदी के कार्यकाल में वहां हो रहा है, जहां उनकी ही पार्टी शासन में है। चिंता की बात ये है कि पीएम के पार्टी के नेताओं ने ही इस अमानीय घटना को अंजाम दिया है। यह न केवल अंकिता की निर्मम हत्या है, बल्कि एक बाप के उस सहारे का खात्मा भी है जिसके लिए लोग अपने बच्चे को बेहतर से बेहतर शिक्षा देना चाहते हैं। इतना ही नहीं भाजपा नेता ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को चूना लगा रहे हैं। सीएम ने पुलकित के रिसॉर्ट को तो आदेश देकर बुलडोज्ड कर दिया है, लेकिन पीएम मोदी इस तरह की घटनाओं पर अपना मुंह कब खोलेंगे।
पिता का सहारा बनने के लिए चुनी थी नैकरी राह
यहां पर मूल बात ये है कि तहसील यमकेश्वर के गंगा भोगपुर स्थित एक रिजॉर्ट में सेवारत पौड़ी ब्लाक के श्रीकोट गांव की अंकिता ने पारिवारिक परिस्थितियों को बदलने के लिए नौकरी की राह चुनी थी। उसके सपने साकार रूप ले पाते उससे पहले ही उसकी हत्या कर दी गई।
88% अंकों के साथ पास की थी 12वीं की परीक्षा
अंकिता भंडारी पढ़ाई में मेहनती, अनुशासित और प्रतिभावान छात्रा थी। इंटरमीडिएट यानि 12वीं की परीक्षा उसने 88 फीसदी अंकों से उत्तीर्ण कर देहरादून से एक वर्षीय होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया था। वह नौकरी मिलने के बाद बहुत खुश थी। उसे लगने लगा था कि वो अब अपने पिता का सहारा बन पाएगी। ज्वाइनिंग के दिन वह अपने पिता के साथ गंगा भोगपुर के वनतारा रिजॉर्ट भी गई थी। ग्राम पंचायत श्रीकोट में राजस्व गांव धूरों स्थित हैं। यहां के निवासी बीरेंद्र सिंह भंडारी व सोनी भंडारी की बेटी थी 19 वर्षीय अंकिता भंडारी।
बेटियों की सुरक्षा के लिए सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम
Ankita Murder Case : गांव के सामाजिक कार्यकर्ता भुवन डोभाल ने बताया कि अंकिता के पिता पहले एक गैर सरकारी संगठन में कार्य करते थे लेकिन कोविड-19 के बाद से वह गांव में ही रह रहे थे। वह खेती और पशुपालन करने लगे थे। अंकिता की माता आंगनबाड़ी में सेवारत हैं। उन्होंने बताया कि पारिवारिक परिस्थितियों को बदलने के लिए अंकिता ने नौकरी की राह चुनी। डोभाल ने कहा कि पीड़ित परिवार की हरसंभव मदद की जाएगी। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर पौड़ी के प्रधानाचार्य राकेश नौडियाल ने कहा कि बेटियों की सुरक्षा के लिए सरकार को और ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।