Salman Rushdie पर हमले के बाद कांग्रेस पर बरसे आरिफ मोहम्मद खान, अल्पसंख्यकों को खुश रखने के लिए सैटेनिक वर्सेज पर लगे थे ' Ban '
आपे से बाहर क्यों हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, दो चैनलों के पत्रकारों का नाम लेकर कहा - गेट आउट
नई दिल्ली। अमेरिका के न्यूयॉर्क में चर्चित और प्रतिबंधित किताब सैटेनिक वर्सेज के लेखक सलमान रुश्दी पर दो दिन पहले जानलेवा हमला हुआ था। सूचना है कि दो दिन बाद सलमान रुश्दी ( Salman Rushdie ) होश में आ गए हैं। डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद अब वो बात करने लगे हैं। इस बीच नये सिरे से उनकी पुस्तक सैटेनिक वर्सेज पर बहस छिड़ गई है। सैटेनिक वर्सेज ( Satanic Verses ) से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं या नहीं, ये तो अब भी डिबेट का विषय है, लेकिन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ( Arif Mohammad Khan ) ने इसमें दखल देते हुए कहा कि 1988 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने रूश्दी की किताब पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे वह वोट बैंक के लिए लिया गया फैसला बताते हैं। उनका कहना है कि यह वही सरकार थी जिसने शाह बानो के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया था, जिसके विरोध में मैंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
भारत में बैन लगने के बाद आया ईरान फतवा
द इंडियन एक्सप्रेस से एक बातचीत में आरिफ मोहम्मद खान ( Arif Mohammad Khan ) ने कहा कि 1980 के दशक में घटी ये घटनाएं आपस में एक-दूसरे से जुड़ी हैं। राजीव गांधी सरकार का शाह बानो ( Shah bano ) मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में कानून लाकर पलटने का फैसला और रुश्दी ( Salman Rushdie ) की किताब द सैटेनिक वर्सेज ( Satanic Verses ) पर बैन के लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए कहा कि आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत दुनिया का पहला देश था जिसने इस किताब पर बैन लगाया था। इसके बाद अगले दिन पाकिस्तान में मार्च निकाला गया और इस आधार पर विरोध किया गया कि भारत ने कार्रवाई की, लेकिन पाकिस्तान की मुस्लिम सरकार ने इस किताब पर प्रतिबंध नहीं लगाया था। बाद में कई देशों ने इस पर कार्यवाई की और ईरान का फतवा आ गया।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ( Arif Mohammad Khan ) ने उस समय के घटनाक्रम पर जिक्र करते हुए कहा कि करीब तीन महीने बाद संसद में मेरे सवाल के जवाब में सरकार ने जवाब दिया कि बैन के बाद किताब की एक भी कॉपी जब्त नहीं हुई। दरअसल, बैन के बाद किताब ( Satanic Verses ) की रिकॉर्ड बिक्री हुई थी। उन्होंने बताया कि सैयद शहाबुद्दीन जिन्होंने शाह बानो के फैसले को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी वही व्यक्ति थे जिन्होंने बैन की मांग करते हुए राजीव गांधी को पत्र लिखा था और उन्होंने इस बात को माना भी। जबकि शहाबुद्दीन ने खुद सैटेनिक वर्सेज ( Satanic Verses ) नहीं पढ़ी थी। हां, उन्होंने कुछ समाचार रिपोर्टों के आधार पर बैन की मांग की थी।
पी चिदंबरम ने कहा था - किताब पर बैन का फैसला गलत था
चौंकाने वाली बात यह है कि 2015 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम जो सैटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध के समय गृह राज्य मंत्री थे ने कहा था कि बैन का फैसला गलत था। ऐसे में राजीव गांधी को यह निर्णय लेने के लिए किस बात ने प्रेरित किया?
देश के लिए घातक साबित हुए ये फैसले
इसके जवाब में आरिफ मोहम्मद खान ( Arif Mohammad Khan ) ने कहा कि 2015 के आसपास कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने शाह बानो पर फैसले को भी गलत पाया था, लेकिन 2017 में यह कांग्रेस के नेता थे जो फिर से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन कर रहे थे और राज्यसभा में ट्रिपल तलाक पर बैन लगाने वाले कानून को पास नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि ये सभी फैसले पूरी तरह से वोट बैंक के लिए किए गए थे और इसके परिणाम देश के लिए घातक साबित हुए।
बैन का फैसला सही, कानून व्यवस्था को ध्यान में रखकर लिया गया था फैसला : Natwar Singh
वहीं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे के नटवर सिंह ने सलमान रूश्दी की विवादित किताब को बैन करने के तत्कालीन सरकार के फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। नटवर सिंह ने शनिवार को कहा कि जब भारत ने 1988 में सलमान रुश्दी की किताब द सैटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध लगाया था तो यह प्रतिबंध पूरी तरह से जायज था और वह भी इस फैसले का हिस्सा थे। राजीव गांधी को बैन लगाने की सलाह दी थी। मैंने भी कहा था कि इस किताब पर जरूर बैन लगाना चाहिए क्योंकि इससे कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है।