Banswara News: 30 गांवों के लोगों ने वन व सार्वजनिक भूमि में बोए 80 हजार बीज, उगे तो हरा भरा हो जाएगा जंगल
लाडेला गांव में सीड बॉल फैंकती महिलाएं
Banswara News: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ व सज्जगढ़ ब्लॉक के झामरी, अंधेश्वर, लाडेला, दुर्जनियां, डूंगरीपाड़ा, सीमेला, चरकली, बोरखड़ी व वरलीपाड़ा सहित 30 गांवों के लोग नए तरीके से पेड़ उगाकर वनीकरण की कवायद कर रहे है। इनके द्वारा मिट्टी व गोबर के मिश्रण में बीज मिलाकर गेंदे बनाई गई, जिन्हें सीड बॉल कहा जा रहा है। बारिस के सीजन शुरू होने से ठीक पहले सीड बॉल्स जंगल व गांव की सार्वजनिक जमीनों में फैंकी गई। प्रत्येक गांव के लोगों ने एक-एक हजार सीड बॉल फैंकी है, जिनमें करीब 80 हजार बीज थे। बारिस हो जाने के बाद गेदों से बीज अंकुरित हुए और अब पौधों का रूप ले लिया है। जहां सीड बॉल फैंकी गई, वहां की निगरानी का काम भी समिति के लोग कर रहे है।
महुड़ी गांव की सविता ने बताया कि वन व सार्वजनिक भूमि में बांस, पलाश, आंवला, हरड़, अश्वगंधा, तुलसी, कालमेघ, जंगलजलेबी व अरताश के बीज फैंके गए, जो अब अंकुरित हो चुके है।
उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में कार्य कर रही कासा संस्था द्वारा इन गांवों के लोगों को सीड बॉल बनाने का प्रशिक्षण दिया गया और निःशुल्क बीज उपलब्ध कराए गए। संस्था के कुलदीप टेलर ने बताया कि सीड बॉल से पेड़ उगाने का काम छतीसगढ़ के रतनपुर क्षेत्र में किया जा रहा था। चूंकि कुशलगढ़ व सज्जनगढ़ क्षेत्र में जंगल कम हो गए है। पहाड़ हरियाली विहीन नजर आते है। हरियाली बढ़ाने के लिए गांवों के लोगों के साथ बैठकें की। अंततः 30 गांवों के लोग सीड बॉल से पेड़ उगाने के लिए तैयार हुए। इसकी प्रक्रिया को सीखने के लिए इन गांवों के यूथ को तैयार किया गया। अप्रेल माह में मध्यप्रदेश के बैतुल में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्हें ले जाया गया। वहां कासा संस्था के रूरल रिसोर्स सेंट पर सभी ने सीड़ बॉल बनाना सीखा। इस काम को पूरा करने के लिए समिति बनाई गई। समिति से जुड़े लोगों ने जमीन का चयन किया और बीजों की गेंदें बनाकर चयनित जमीन में फैंकी। गेंदे जमीन पर बिखरी और बारिस के पानी से गिले होने के कारण बीज अंकुरित होने लगे।
इस प्रकार बनाई सीड बॉल और जंगल में किया थ्रो
कासा संस्था के वालेंटियर, गांव के युवा और ग्रामीणों ने मिलकर सीड़ बॉल बनाई। सार्वजनिक स्थल पर निर्धारित समय पर सभी एकत्र हुए। वहां ग्रामीणों द्वारा ही 10 किलो मिट्टी, 10 किलो गाय का गोबर और पानी लाया गया। उन्होंने मिट्टी और गोबर का मिश्रण तैयार किया और उसमें पानी मिलाकर पेस्ट बना लिया। इस पेस्ट की गोल-गोल गेंदे बनाई गई और प्रत्येक में 2-3 बीज डाल दिए गए। इस प्रकार 30 गांवों के लोगों ने मिलकर एक-एक हजार सीड बॉल तैयार की। सीड़ बॉल बनाने के बाद उन्हें 14-15 दिन तक छाया में सूखाया गया। हर गांव की समिति ने बैठक कर गांव की सार्वजनिक जमीनों का नजरी नक्सा बनाकर उस जमीन को चिन्हित कर लिया था, जहां सीड़ बॉल फैकनी थी, यानि जहां वन विकसित करना था। बारिस होने के बाद सभी अपने-अपने अनुसार दिन निर्धारित कर एकत्र हुए और एक साथ सभी गेदों को चिन्हित जमीन में फैंक दिया।
''हम वन क्षेत्रों में सीड़ बॉल की गतिविधि को बढ़ावा देकर वनों को संरक्षित व सुरक्षित कर सकते हैं। हम ऐसा मंच बनाने की सोच रहे है, जिससे हर वर्ग के लोग जुड़े, स्कूल-कॉलेज के बच्चे जुड़े और जंगल व सार्वजनिक जमीनों में सीड़ बॉड फैक कर पर्यावरण को बचाने में योगदान दे।'' अनिता कुकरेती - प्रोग्राम मैनेजर, कासा