Bhagat Singh Koshyari के बयान से मचा बवाल, बोले समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा?, दिलीप मंडल ने ऐसे किया पलटवार
Bhagat Singh Koshyari : महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी एक बयान के बाद विवादों में आ गए हैं। दरअसल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने कहा है कि समर्थ दास के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? उनका यह बयान अब तूल पकड़ रहा है। महाराष्ट्र के कई नेता इसे छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji) का अपमान बता रहे हैं। वहीं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने इस बयान को लेकर उनपर पलटवार किया है।
इंडिया टुडे हिंदी के पूर्व मैनेजिंग एडिटर दिलीप मंडल ने अपने एक ट्वीट में लिखा- समर्थ रामदास छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु नहीं थे। उन्होंने अपनी माता जीजाबाई को गुरु माना है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ग़लतबयानी कर रहे हैं। उनका ये कहना अपमानजनक है कि "समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा." उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए।
समर्थ रामदास छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु नहीं थे। उन्होंने अपनी माता जीजाबाई को गुरु माना है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ग़लतबयानी कर रहे हैं। उनका ये कहना अपमानजनक है कि "समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा." उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए। @narendramodi @OfficeofUT pic.twitter.com/AMs5IexXkf
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) February 28, 2022
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- ये राज्यपाल अनपढ़ है क्या? RSS के भगत सिंह कोश्यारी का ये कहना अपमानजनक है कि "समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा?" उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए। समर्थ रामदास के शिवाजी के गुरु होने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। ये झूठ RSS द्वारा फैलाया गया है।
ये राज्यपाल अनपढ़ है क्या? RSS के भगत सिंह कोश्यारी का ये कहना अपमानजनक है कि "समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा?" उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए। समर्थ रामदास के शिवाजी के गुरु होने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। ये झूठ RSS द्वारा फैलाया गया है। @narendramodi @OfficeofUT https://t.co/aa4s1f91H5
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) February 28, 2022
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता प्रशांत सुदामराव जगदाप ने उनके बयान के खिलाफ विरोध जाहिर किया और उनके इस बयान के खिलाफ निषे आंदोलन चलाने की बात कही।
अखंड हिंदुस्थानचे आराध्यदैवत छत्रपती शिवाजी महाराज यांच्याबद्दल राज्यपाल भगतसिंग कोष्यारी यांनी केलेल्या वक्तव्याचा निषेध करण्यासाठी उद्या दिनांक २८/०२/२०२२ रोजी सकाळी १०.३० वा. पुणे महानगरपालिकेच्या प्रवेशद्वारावर राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टीच्या वतीने जाहीर निषेध आंदोलन.#निषेध pic.twitter.com/qUuiDaNrM1
— Prashant Sudamrao Jagtap (@JagtapSpeaks) February 27, 2022
वहीं नाशिक जिला में एनसीपी ने राज्यपाल हटाओ मुहिम की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति को पत्र भेजना शुरू किया है। अब इस विवाद में छत्रपति उदयनराजे भोसले भी उतर गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सभी शिवप्रेमियों की भावना को ठेस पहुंचाई हैं। उन्हें मांग की है कि गवर्नर तत्काल अपना बयान वापस लें।
सुप्रिया सुले ने राज्यपाल के बयान पर विरोध जताते हुए कहा कि 16 जुलाई 2018 को बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने एक फैसला दिया था। जिसके अनुसार जांच अधिकारियों, इतिहास के जानकारों और अन्य गणमान्य लोगों से जांच पड़ताल के बाद यह पता चला कि छत्रपति शिवाजी महाराज और रामदास स्वामी समर्थ रामदास के बीच में कभी कोई मुलाकात नहीं हुई थी। और ना ही उन दोनों के बीच में शिष्य और गुरु के रिश्ते का ही कोई भी प्रमाण मिलता है।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने ऱाज्य के औरंगाबाद जिले के तापड़िया नाट्य मंदिर एक दिवसीय श्री समर्थ साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसी कार्यक्रम के दौरान महामहिम राज्यपाल ने यह बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अपने समाज और राष्ट्र को बलशाली करने के लिए संत विचारों का प्रवाह जरूरी है। उन्होंने कहा कि अपने देश में समृद्ध गुरु परंपरा चली आ रही है है। मानव जीवन में सदगुरू की प्राप्ति होना बड़ी बात होती है। चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त को कौन पूछेगा? समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा।