Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Big Expose: असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा पर पीपीई किट घोटाले का आरोप, आरटीआई में मिले यह सबूत

Janjwar Desk
1 Jun 2022 4:23 PM GMT
Big Expose: असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा पर पीपीई किट घोटाले का आरोप, आरटीआई में मिले यह सबूत
x

Big Expose: असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा पर पीपीई किट घोटाले का आरोप, आरटीआई में मिले यह सबूत

Big Expose: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर कोविड लॉकडाउन से पहले अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के तीन फर्मों को 25 हजार पीपीई किट सप्लाई का ऑर्डर देने का आरोप लगा है।

Big Expose: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर कोविड लॉकडाउन से पहले अपनी पत्नी और रिश्तेदारों के तीन फर्मों को 25 हजार पीपीई किट सप्लाई का ऑर्डर देने का आरोप लगा है। आरटीआई से मिली जानकारी में पता चला है कि हिमंता ने अपनी पत्नी रिनिकी भुइयां सरमा की फर्म जेबीसी इंडस्ट्रीज को तुरंत पीपीई किट उपलब्ध कराने का ठेका दिया था, जबकि यह कंपनी उस समय केवल सैनिटरी नैपकिन ही बनाती थी। हिमंता उस समय असम के स्वास्थ्य मंत्री थे।


यह ठेका 24 मार्च 2020 को देशव्यापी लॉकडाउन लगने के कुछ ही दिन पहले दिया गया। तब भी असम में भाजपा नीत सरकार थी। हिमंता बिस्वा सरमा फिलहाल राज्य के मुख्यमंत्री हैं। ठेके हिमंता की पत्नी की फर्म के अलावा दो और कंपनियों को दिए गए थे। ये हैं जीआरडी फार्मास्युटिकल्स और मेडिटाइम हेल्थकेयर, जिनके मालिक भी तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान सीएम हिमंता के पारिवारिक सहायक घनश्याम धानुका हैं। द वायर और असम के अखबार द क्रॉस करेंट की एक खोजी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। दोनों पारिवारिक फर्म पहले भी राज्य के स्वास्थ्य विभाग को सप्लाई करते रहे हैं। लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला कि हिमंता की पत्नी की फर्म के साथ ही बाकी दोनों कंपनियां भी 25 हजार पीपीई किट की आपूर्ति करने में नाकाम रहीं। इसके बाद भी धानुका की फर्मों को राज्य सरकार से तय कीमतों से ज्यादा दर पर पीपीई किट की आपूर्ति का ऑर्डर मिला।

चार वर्क ऑर्डर निकाले गए थे

असम के स्वास्थ्य विभाग से 18 से 23 मार्च 2020 के दौरान आपात स्थितियों में आपूर्ति के लिए पीपीई किट और हैंड सैनेटाइजर की सप्लाई के लिए चार वर्क ऑर्डर निकाले थे। राज्य स्वास्थ्य मिशन ने इमरजेंसी सप्लाई के नाम पर फौरन मंजूरी दे दी। जेसीबी इंडस्ट्रीज को 5 हजार, मेडिटाइम को 10 हजार और फिर इसी कंपनी को 10 हजार और पीपीई किट की सप्लाई के ऑर्डर जारी किए गए। चौथे वर्क ऑर्डर में हैंड सैनिटाइजर की 10 हजार बोतलों की आपूर्ति का ऑर्डर था। जब चारों वर्क ऑर्डर को तीनों में से किसी भी कंपनी ने समय से पूरा नहीं किया तो फिर स्वास्थ्य विभाग ने वर्क ऑर्डर में उल्लिखित सामानों की कीमतें बढ़ा दीं, जो कि बाजार में प्रचलित कीमतों से ज्यादा थीं। 14 अप्रैल को हिमंता की पत्नी की फर्म का ऑर्डर रद्द कर दिया गया। वजह बताई गई कि कंपनी समय पर पूरे 5000 पीपीई किट सप्लाई करने में नाकाम रही। कंपनी ने केवल 1485 किट ही स्वास्थ्य विभाग को दिए।

घोटाला यहां हुआ

इन 1485 किट को प्राप्त करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक कारनामा यह किया कि राज्य सरकार से इस डिलीवरी को कंपनी के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर में दिखा दिया गया। उधर, धानुका मेडिटाइम ने 23 मार्च से 11 अप्रैल 2020 के बीच सरकार को 1680 रुपए प्रति किट की दर से 66035 किट मुहैया कराईं। इसका कुल खर्च 10.84 करोड़ से अधिक का रहा। आरटीआई से हुए इस पूरे खुलासे से दो बातें बहुत साफतौर पर उभरती हैं कि एक तो स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए नियमों के विरुद्ध जाकर अपनी पत्नी की कंपनी को कोविड काल में पीपीई किट की सप्लाई का ऑर्डर दिया। साथ ही ऑर्डर की पूर्ति न कर पाने पर सप्लाई को कंपनी के सीएसआर में दर्शा दिया। इसके अलावा अपनी ही पारिवारिक कंपनी के जरिए पीपीई किट और सैनेटाइजर की आपूर्ति के लिए निर्धारित दरों से ज्यादा का भुगतान कर सरकारी खजाने को चूना लगाया है।

Janjwar Desk

Janjwar Desk

    Next Story

    विविध