Begin typing your search above and press return to search.
बिहार

Bihar News : विधवा के​ लिए दूसरी शादी करना साबित हुई सजा, 25 जुलाई तक गांव छोड़ने का पंचों ने दिया फरमान

Janjwar Desk
22 July 2022 7:15 AM GMT
Bihar News : विधवा के​ लिए दूसरी शादी करना साबित हुई सजा, 25 जुलाई तक गांव छोड़ने का पंचों ने दिया फरमान
x

file photo

Bihar News : गंडक नदी दियारा की चांदकेवारी पंचायत के धरफरी गांव में पंचों ने यह फैसला सुनाते हुए कहा है कि दंपति 25 जुलाई तक गांव छोड़ दे, नहीं तो अंजाम भुगतने को तैयार रहे।

जनज्वार। बिहार ( Bihar ) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाजिक कुरीतियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाते रहे हैं, वहीं उनके ही सूबे में खाप पंचायत जैसे एक ऐसे फैसले से उनके अभियान को चुनौती दी है। इस घटना की चर्चा जोरों पर है, जो सभ्य समाज के माथे पर एक बड़ा कलंक के समान है।

हम बात कर रहे हैं बिहार के मुजफ्फरपुर ( Muzaffarpur News ) जिले की। यहां की एक विधवा ( Widow ) ने शादी की ( Second marriage ) तो गांव के पंचों ने दंपति को गांव से तड़ीपार की धमकी दे दी। गंडक नदी दियारा की चांदकेवारी पंचायत के धरफरी गांव में पंचों ने यह फैसला ( Panchayat farman ) सुनाते हुए कहा है कि दंपति 25 जुलाई तक गांव छोड़ दे, नहीं तो अंजाम भुगतने को तैयार रहे। इस आदेश के बाद दंपति के बीच जहां दहशत का माहौल है,वहीं प्रशासन पूरे मामले में टालमटोल रवैया अपना रहा है।

इस घटना के बाद से महिला अनुराधा कुमारी अब ऐसे मानसिक यातना से गुजर रही है कि वे अवसाद का शिकार हो चुकी है। पीड़िता आंगनबाड़ी सेविका के रूप में काम करती है। अनुराधा के संबंध में बताया जाता है कि उसका पहले पति से तीन बच्चे हैं। अनुराधा के पति सुनील साह की एक साल पहले मौत हो गई थी, जिसके बाद से वह अपने सास ससुर और तीनों बच्चों के साथ रह रही थी।

इस दौरान पड़ोस में रहने वाले धर्मेंद्र कुमार नाम के युवक से उसकी मुलाकात हुई। बाद में दोनों का प्यार परवान चढ़ा और उन्होंने शादी ( second marriage ) करने का फैसला किया। हालांकि, इस फैसले का खबर मिलते ही गांव के कुछ लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। विरोध के बावजूद प्यार के बंधन में बंधे जोड़ों ने इस रिश्ते को नाम देने का फैसला किया।

अनुराधा-धर्मेंद्र ने 16 जून को मंदिर में की थी शादी

इसी साल 16 जून को अनुराधा कुमारी ने धर्मेंद्र कुमार से मंदिर में शादी कर ली और बाद में कानूनी मान्यता के लिए मुजफ्फरपुर कोर्ट में शादी का रजिस्ट्रेशन भी कराया। जिसके बाद से दोनों साथ रहने लगे। जब अनुराधा और ध्रमेंद्र की शादी की जानकारी पड़ोसियों को पता चली तो वह गुस्सा हो गए। बाद में मामला गांव के पंचों तक पहुंच गया, जिसके बाद 17 जुलाई को गांव में पंचायत बुलाई गई। पंचायत में पंचों ने आपस में फैसला करके दंपति को 25 जुलाई तक गांव छोड़ने का फरमान सुना दिया। इस फैसले के बाद गांव में तनाव व्याप्त है। गांव के कुछ लोग इस निर्णय को लेकर आक्रोशित हैैं। इसके बाद भी पंचायत के फैसले का विरोध करने का किसी में हिम्मत नहीं दिखाई पड़ रहा है।

विधवा का प्रेम विवाह सामाजिक कुरीतियां - पंच

पीड़ित दंपति ने बताया कि स्थानीय जयराम साह के नेतृत्व में यह पंचायत ( Panchayat ) बुलाई गई थी, जिसमें हम दोनों को पंचों ने 25 जुलाई तक गांव छोड़ने का आदेश दिया। हमने अब एसएसपी और जिलाधिकारी से न्याय और सुरक्षा देने की गुहार लगाई है। पंचों में शामिल जयराम साह से जब इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विधवा और प्रेम विवाह सामाजिक कुरीतियां हैं। दोनों ने अपराध किया है और दोनों को सबक मिलना जरूरी है।

पंचों के खिलाफ की जाएगी कार्रवाई

इस संबंध में पूछे जाने पर थानाध्यक्ष उदय कुमार सिंह ने कहा कि दोनों बालिग हैं। इनके स्वयं के फैसले पर पंचायत कोई दबाव नहीं बना सकता। पंचों के खिलाफ मिली शिकायत की जांच कराई जा रही है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री के संकल्प को पंचायत ने दी चुनौती

Bihar News : बिहार सरकार के एजेंडे में विकास के साथ ही समाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान पर भी लगातार जोर रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि सामाजिक कुरीतियों को खत्म किए बिना असली विकास संभव नहीं है। इस बीच विधवा विवाह के पक्ष में पिछले छह दशक से अभियान चलाने के बाद भी स्थिति यह है कि समाजिक कुपमंडुकता के शिकार सामाजिक कुरीतियों से उबर नहीं पा रहे हैं। इसी क्रम में मुजफफरपुर ( Muzaffarpur News ) की यह घटना भी प्रकाश में आई है। खाप पंचायत के तर्ज पर पंचो के इस फैेसले को सभ्य समाज में कहीं जगह नहीं मिल सकती। इसके बाद भी ग्रामीणों के बीच पंचों ने दंपति को गांव छोड़ने का फरमान सुनाकर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ चल रहे अभियान को चुनौती दी है। इसके बाद भी इस प्रकरण में प्रशासनिक लापरवाही बरकरार है।

Next Story

विविध