भाजपा की हो गयी आनलाइन रैली, क्या बिहार के गरीबों को रोजी-रोटी भी मिलेगी वर्चुअली
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बीजेपी ने रविवार 7 जून को शाम 4 बजे वर्चुअल रैली कर बिहार के कार्यकर्ताओं और लोगों से जनसंवाद किया। रैली कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की कोशिश की गई तो कोरोना संकट के बीच लोगों को शब्दरूपी मरहम लगाने की भी कोशिश हुई। अपनी उपलब्धियों का खूब बखान किया गया तो विपक्ष के आज के थाली पीटो कार्यक्रम पर निशाना भी साधा गया।
भले ही गृहमंत्री अमित शाह ने मंच से इस वर्चुअल रैली को चुनावी रैली कहने पर आपत्ति जताई हो, पर बिहार के विपक्षी दल इसे चुनावी रैली ही नाम दे रहे हैं। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस रैली को चुनावी रैली बताते हुए मीडिया से कहा कि एक तरफ बिहार के गरीब-मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई, वे भूखे मर रहे हैं और बीजेपी करोड़ों खर्च कर चुनाव की तैयारियों में जुटी है। उन्होंने कहा कि इसी कारण राजद ने आज ही बिहार में थाली पीटकर गरीब अधिकार दिवस मनाया है। गरीबों के लिए वे संघर्ष करेंगे और उनका हक देना ही होगा।
उधर वर्चुअल रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस रैली को जनसंपर्क का माध्यम बताते हुए कहा कि बीजेपी हमेशा लोगों से संवाद में यकीन करती है और यह कार्यक्रम इसी की एक कड़ी है। उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के द्वारा देशभर में ऐसे 75 वर्चुअल रैली कर लोगों से संवाद करने का सराहनीय कदम उठाया गया है। अमित शाह ने राजद के थाली पीटो कार्यक्रम पर भी चुटकी ली।
बिहार बीजेपी के नेताओं ने भी केंद्र एवं बिहार सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और विपक्ष पर निशाना साधा। संबोधनों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर भी निशाना साधा गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना लाल बहादुर शास्त्री से की गई। दोनों कार्यक्रमों में पक्ष-विपक्ष के दोनों दलों ने समस्याओं के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने पर ही विशेष फोकस दिखाया।
इन सबके बीच बिहार में वापस आए 20 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों के रोजगार को लेकर न तो कोई विस्तृत कार्ययोजना लेकर सामने आया, न ही उनकी समस्याओं के तात्कालिक समाधान का कोई उपाय ही सुझाया। प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से वापस तो जरूर आ गए हैं, पर रोजी-रोटी का संकट मुंह बाए खड़ा है। न तो रोजगार मिल पा रहा है, न पेट भरने की कोई और व्यवस्था। लिहाजा अब मजदूरों का फिर से दूसरे प्रदेशों में पलायन शुरू हो गया है।
इस बीच सारण जिले के मढौरा से राजद विधायक जितेंद कुमार राय ने बीजेपी की वर्चुअल रैली को प्रवासी मजदूरों के जले पर नमक छिड़कने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा कि वे और उनकी पार्टी अपने स्तर से इन मजदूरों की यथासंभव मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, पर सरकार सोई हुई है।
भाजपा के इतिहास की इस पहली वर्चुअल रैली में अमित शाह ने उन सभी मुद्दों को छुआ, जो आगामी विधानसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करने वाले हैं। हालांकि मजदूरों को ये आश्वासन नहीं दे पाये कि उन्हें उन्हीं के राज्य में रोजगार कैसे मिलेगा, वो अपनी रोटी—रोटी को कैसे सुनिश्चित होंगे।
अमित शाह ने बगैर नाम लिए लालू यादव-राबड़ी के मुख्यमंत्रित्व काल वाली राजद सरकारों पर बिहार की बदहाली का ठीकरा भी फोड़ा। उन्होंने 1995 से 2005 तक के शासनकाल को बिहार की बदहाली का कसूरवार ठहराया।
अमित शाह ने कहा, "बिहार में हम लालटेन युग से एलईडी युग तक आए हैं। लूट एंड ऑर्डर से लॉ एंड ऑर्डर तक की यात्रा हमने की है। जंगल राज से जनता राज तक हम आए हैं। बाहुबल से विकास बल तक आए हैं और चारा घोटाले से डीबीटी तक की यात्रा मोदी जी के नेतृत्व में सफलतापूर्वक तय की है।"
बिहार के हर विधानसभा चुनाव में लालू यादव और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल(राजद) की घेराबंदी करने के लिए भाजपा चारा घोटाला और जंगल राज जैसे मुद्दों को हमेशा उठाती आई है। ऐसे में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर उपलब्धियों को बताने के लिए आयोजित इस वर्चुअल रैली में जब अमित शाह ने लालू-राबड़ी यादव के शासनकाल को कटघरे में खड़ा करने वाले मुद्दों को उठाना शुरू किया तो मामला विधानसभा चुनाव से जुड़ता दिखा।
अमित शाह ने जहां कहा कि यह समय राजनीति का नहीं है, लेकिन यह भी कहने से नहीं चूके कि आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश सरकार फिर बहुमत से सरकार में आने वाली है। अमित शाह ने बगैर नाम लिए लालू परिवार पर निशाना साधते हुए कहा, "मैं परिवारवादी लोगों को आज कहता हूं कि अपना चेहरा आईना मैं देख लीजिए, 1990-2005 इनके शासन में बिहार की विकास दर 3.19 प्रतिशत थी, आज नीतीश के नेतृत्व में ये 11.3 प्रतिशत तक विकास दर पहुंचाने का काम एनडीए की सरकार ने किया है।"
लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों की समस्या बिहार चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकती है। इससे वाकिफ गृहमंत्री अमित शाह ने प्रवासी मजदूरों के जख्मों पर भी मरहम लगाने की कोशिश की। बिहार के मजदूरों के पसीने का महत्व बताते हुए अमित शाह ने उनसे जुड़ने की कोशिश की। अमित शाह ने कहा, "देश का कोई भी हिस्सा चाहे मुंबई, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु हो, जो विकसित है इसकी नींव में जाएंगे तो मेरे बिहार के प्रवासी मजदूर के पसीने की महक आती है। बिहार के व्यक्ति का पसीना इस देश के विकास की नींव में है। देश का कोई भी कोना हो, उसके विकास की नींव में बिहार के व्यक्ति के पसीने की महक है, जो लोग उन्हें अपमानित करते हैं वो प्रवासी मजदूरों के जज्बे को नहीं समझते हैं।"
गृहमंत्री अमित शाह ने इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से बिहार के लिए किए गए कार्य भी गिनाए। बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की चर्चा करते हुए कहा कि इसे मोदी सरकार ने वास्तविकता में बदला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए अमित शाह ने कहा, " नीतीश जी और सुशील जी दोनों प्रसिद्धि करने में थोड़े से कच्चे हैं। वो रोड पर खड़े होकर थाली नहीं बजाते हैं, वो चुपचाप सहायता के लिए काम करने वाले लोग हैं। उनके नेतृत्व में बिहार सरकार ने बहुत अच्छे से ये लड़ाई लड़ी है।"
अमित शाह यह बताने से नहीं चूके कि मोदी सरकार की योजनाओं से सबसे ज्यादा लाभ पूर्वी भारत के हिस्से में शामिल बिहार जैसे राज्यों को हुआ है। अमित शाह ने कोरोना काल में इस वर्चुअल रैली को लेकर विपक्ष के सवालों का भी जवाब दिया। अमित शाह ने विपक्ष नेताओं से कहा, "मैं कहता हूं कि किसने उन्हें रोका है, दिल्ली में बैठकर मौज करने की जगह, दिल्ली से लेकर पटना और दरभंगा की जनता को जोड़ने के लिए एक वर्चुअल रैली ही कर लेते।"