बाप के कंधे पर ऑक्सीजन सिलेंडर, मां के हाथ में नवजात, फिर भी न बच पाई जान
तसवीर में देखिए किस तरह अपने बच्चे को लेकर माता-पिता अस्पताल में भटक रहे हैं।
जनज्वार। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र बक्सर से एक भयावत तसवीर सामने आई है। इस तसवीर में एक माता-पिता सांस लेने में तकलीफ से गुजर रहे अपने नवजात के लिए मोबाइल आइसीयू बने हुए दिख रहे हैं। पिता ने अपने कंधे पर अपने मासूम को बचाने के लिए आक्सीजन सिलिंडर टांग रखा है और मां बच्चो को ट्रे में लिए हैं। यह दंपती सदर अस्पताल में इधर से उधर भटक रहा है कि उनके मासूम को जल्द एडमिट कर बचा लिया जाए, लेकिन अस्पताल प्रबंधन के कागजी प्रक्रिया इतनी लंबी चली कि मासूम ने दम तोड़ दिया।
यह दृश्य केंद्र के साथ बिहार की स्वास्थ्य सेवा के बदइंतजामी को भी उजागर करती है, जिसके लिए 15 साल शासन करने के बावजूद मौजूदा सरकार लालू-राबड़ी के शासन को जिम्मेवार ठहराती है। जिले के राजपुर के सखुआना गांव के निवासी सुमन कुमार की पत्नी को जब प्रसव पीड़ा हुई तो उन्होंने उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन, ऐन वक्त पर सदर अस्पताल कर्मियों ने उन्हें डिलीवरी कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद एक निजी अस्पताल गए जहां बच्चे का जन्म तो हुआ लेकिन सांस लेने में तकलीफ के कारण निजी अस्पताल वाले ने फिर सदर अस्पताल जाने को कहा।
18 किमी की दूरी तय कर अपने मासूम को लेकर दंपती सदर अस्पताल पहुंचा, लेकिन कागजी प्रक्रिया डेढ घंटे तक चलती रही है, जिससे मासूम की मौत हो गई। यह वाकया 23 जुलाई का है। सदर अस्पताल में मौजूद एक व्यक्ति ने इसे कैमरे में कैद कर लिया और इसे मीडिया को भी उपलब्ध कराया। अब यह तसवीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। बच्चे की मौत के बाद अस्पताल की ओर से दंपती को घर भेजने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किया गया।
इस तसवीर से बिहार में स्वास्थ्य सेवा के हालात की भयावहता समझी जा सकती है। दंपती अस्पताल में एक छोर से दूसरे छोर पर भागता रहा, लेकिन उनके मासूम को नहीं बचाया जा सका।
पीड़ित पिता ने अपनी व्यथा बतायी है कि कैसे इलाज में देर करने और कागजी प्रक्रिया लंबी खींचने से बच्चे की जान चली गई। उधर, इस मामले के मीडिया में आने के बाद जिलाधिकारी ने उप विकास आयुक्त को जांच का निर्देश दिया है। वहीं, सिविल सर्जन ने भी डीएस को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।