Begin typing your search above and press return to search.
बिहार

हमारे गांव में इतना विकास हुआ कि नीतीश बाबू के 15 साल में एक पक्की सड़क नहीं बन सकी

Janjwar Desk
23 Aug 2020 4:28 PM IST
हमारे गांव में इतना विकास हुआ कि नीतीश बाबू  के 15 साल में एक पक्की सड़क नहीं बन सकी
x

जहानाबाद के लाखापुर गांव को जानेवाली कच्ची सड़क

मृत्युंजय कुमार कहते हैं 'बरसात के दिनों में जब यह कच्ची सड़क कीचड़-कांदो से भर जाती है और अगर कोई बीमार पड़ जाए तो भारी मुसीबत हो जाती है, कई बार वाहनों के नहीं आ पाने के कारण लोगों को खाट पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है'....

जनज्वार ब्यूरो, पटना। वैसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर ये दावे करते हैं कि बिहार में सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। हर टोला और पंचायत तक पक्की सड़कें पहुंचाई गईं हैं, पर अक्सर ऐसे जमीनी हकीकत सामने आते हैं, जो इन दावों के उलट होते हैं। राज्य के जहानाबाद जिला में एक ऐसा गांव है, जहां के लोगों को आजादी के 74 वर्षों बाद भी पक्की सड़क के दर्शन नहीं हो सके हैं।

जहानाबाद जिला के रतनी-फ़रीदपुर प्रखण्ड क्षेत्र के लाखापुर पंचायत में आज भी एक ऐसा गांव हैं, जहां के लोग सड़क विहीन जीवन जीने को मजबूर हैं। यहां कच्ची सड़क है, पर वह ऐसी है, जिसपर वाहन की बात कौन करे, पैदल चलना भी मुश्किल है। कोई बीमार हो जाए, तो खाट पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है, तो स्कूल जाने वाले बच्चे कीचड़-कांदो में लिपटकर विद्यालय जाते हैं।

स्थानीय ग्रामीण हरदेव यादव कहते हैं 'आजादी का सात दशक बीत गया, परन्तु लाखापुर मठिया से नदपुरा होते हुए अजय बिगहा सम्पर्क पथ पर गाडी क्या, पैदल चलना भी मुश्किल है।

ऐसा नहीं है कि गांव में पक्की सड़क बनवाने के लिए यहां के लोगों ने अबतक कोई कोशिश नहीं की है। ग्रामीण जिले के हाकिमों से लेकर पंचायतों और राज्य के हुक्मरानों से भी गुहार लगाकर अपनी कठिनाई बताते रहे हैं, पर अबतक किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगी है।

ललन सिंह ने कहा 'गांव में पक्की सड़क न होने से खासकर बरसात के दिनों में भारी कठिनाई होती है। बच्चों का स्कूल जाना भी कठिन हो जाता है।'

बारिश होने के बाद गांव की कच्ची सड़क कीचड़-पानी से भर जाती है, जिस कारण बरसात के मौसम में एक तरह से लोग अपने घरों में ही कैद हो जाते हैं। बरसात में यहां के ग्रामीण सिर्फ जरूरी काम होने पर ही मजबूरी में बाहर निकलने का साहस कर पाते हैं।

मृत्युंजय कुमार कहते हैं 'बरसात के दिनों में जब यह कच्ची सड़क कीचड़-कांदो से भर जाती है, तब अगर कोई बीमार पड़ जाए, तो भारी मुसीबत हो जाती है। कई बार वाहनों के नहीं आ पाने के कारण लोगों को खाट पर लादकर अस्पताल ले जाना पड़ता है।'

स्थानीय मुखिया ने कहा 'सड़क पक्कीकरण हेतु कई जगह लिखित अनुरोध किया गया है। जिला प्रशासन से भी गुहार लगाई जा चुकी है, फि़र भी कोई असर होता नही दिखा है।'

ग्रामीणों की मानें तो ख़ासकर उच्च विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने हेतु आने-जाने वाले बच्चों को काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। साथ ही यदि कोई बीमार हो जाता है तो उसे एनएच 110 पर लाने में खाट का सहारा लेना पड़ता है।

Next Story

विविध