बहुचर्चित सृजन घोटाले में 100 करोड़ की अवैध निकासी को लेकर तीन बैंकों के कर्मियों के विरुद्ध F.I.R
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जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में हुए करोड़ों रुपये के सृजन घोटाले में तीन बैंककर्मियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है। बैंककर्मियों के विरुद्ध यह एफआईआर लगभग 100 करोड़ रुपये के अवैध निकासी मामले में दर्ज कराई गई है। इससे पहले बहुचर्चित सृजन घोटाला मामले में सीबीआई ने मुख्य आरोपित दंपति के घर कुर्की जब्ती की थी। कुर्की-जब्ती की कार्रवाई में सीबीआई ने मुख्य आरोपित अमित कुमार और उसकी पत्नी रजनी प्रिया की 2.62 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी।
भागलपुर डीएम के निर्देश के बाद जिला कल्याण पदाधिकारी श्याम प्रसाद यादव ने स्थानीय कोतवाली थाना में 3 बैंकों के कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। मिली जानकारी के अनुसार, गबन मामले में बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के वैसे तीन कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिनपर करोड़ों रुपये के इस घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
जिला कल्याण पदाधिकारी श्याम प्रसाद यादव ने कहा 'महालेखाकार की रिपोर्ट में इस घोटाला का खुलासा हुआ था। इसके पश्चात संबंधित लोगों पर डीएम ने प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए उन्हें निर्देश किया था।'
उन्होंने कहा 'वहीं 121.71 करोड़ रुपए के गबन में पहले दो प्राथमिकी दर्ज हुई थी। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद महालेखाकार ने वर्ष 2007 से 2017 तक में सरकारी राशि की जांच की थी, जिसमें गबन की राशि 221.60 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका था। इसी क्रम में 100 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में बैंक कर्मियों पर केस दर्ज करवाया गया है।'
बता दें कि सृजन घोटाले के खुलासे के बाद पहली प्राथमिकी लगभग तीन वर्ष पूर्व यानि 7 अगस्त 2017 को जिला नजारत शाखा के तत्कालीन नाजिर ने दर्ज कराई थी। इसके बाद जांच में परत दर परत घोटाले का राज खुलने लगा था। इसी कड़ी में एजी की ऑडिट रिपोर्ट में तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी रामलला सिंह, राम ईश्वर सिंह, ललन कुमार सिंह और अरुण कुमार के कार्यकाल में घोटाले की बात कही गई थी।
इसी क्रम में पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी सुनील कुमार शर्मा ने पत्र भरज सीबीआई से पूर्व के तिलकामांझी थाना में दर्ज कांड संख्या 555/2017 में शेष राशि 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार रुपए को जोडक़र जांच करने का अनुरोध किया था।
बहुत बड़ा है सृजन घोटाला, परत दर परत खुल रहे राज
साल 2017 के अगस्त माह में यह घोटाला उजागर हुआ था, जब भागलपुर के तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे का साइन किया हुआ चेक संबंधित बैंक ने वापस कर दिया था। बैंक ने जानकारी दी थी कि सरकारी खाते में पर्याप्त रकम नहीं है। इसके बाद डीएम ने एक जांच केेमेटी बना दी थी।
कमेटी ने चांज रिपोर्ट सौंपी तो पता चला कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ़ बड़ौदा स्थित सरकारी खातों में पैसे ही नहीं हैं। जांच कमेट की रिपोर्ट के बाद डीएम ने मामले से जुड़ी पूरी जानकारी राज्य सरकार को दी और इसके बाद परत दर परत सृजन घोटाले की सच्चाई सामने आने लगी थी।
बैंक में नहीं, एनजीओ के खाते में जमा होता था सरकारी पैसा
इस बहुचर्चित घोटाले का नाम 'सृजन घोटाला' इसलिए रखा गया क्योंकि कई सरकारी विभागों की रकम विभागीय खातों में नहीं जाती थी या जाती भी थी तो वहां से निकालकर 'सृजन महिला विकास सहयोग समिति' नाम के एनजीओ के छह खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी।
फिर इस एनजीओ के कर्ता-धर्ता जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी पैसे को इधर-उधर कर देते थे। इसके बाद बिहार पुलिस के आर्थिक अपराध इकाई को इस घोटाले के खुलासे की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। बाद में सीबीआई को जांच की जिम्मेदारी दी दी गई थी।
44 आरोपितों के खिलाफ दाखिल हो चुकी है चार्जशीट
सृजन घोटाले के तीन मामलों में सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रजनी प्रिया, संचालिका रहीं मनोरमा देवी और उनके बेटे अमित कुमार समेत 44 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने सितंबर 2019 में पटना सिविल कोर्ट के विशेष न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी। इन तीनों मामलों में जिन 44 लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, डूडा, कल्याण व सहरसा विशेष भू-अर्जन कार्यालय के अफसर व कर्मचारी शामिल हैं।
मुख्य रूप से कौन-कौन हैं आरोपित
सृजन घोटाला के मुख्य।आरोपितों में स्वयंसेवी संस्था 'सृजन' की अध्यक्ष शुभ लक्ष्मी प्रसाद, मैनेजर सरिता झा, संयोजक मनोरमा के पुत्र अमित कुमार, बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य प्रबंधक नैयर आलम, पूर्व मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक दिलीप कुमार ठाकुर, डूडा के कार्यपालक अभियंता नागेंद्र भगत, रंजन कुमार समैयार, मनोज कुमार आदि शामिल हैं।