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Higher Education : नीतीश को नहीं बिहार के भविष्य की परवाह, JDU दफ्तर पहुंच छात्र रो-रोकर क्यों लगा रहे एग्जाम की गुहार, कौन देगा जवाब?

Janjwar Desk
1 Jun 2022 3:33 AM GMT
Higher Education : नीतीश को नहीं बिहार के भविष्य की परवाह, JDU दफ्तर पहुंच छात्र रो-रोकर क्यों लगा रहे एग्जाम की गुहार, कौन देगा जवाब?
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Higher Education : नीतीश को नहीं बिहार के भविष्य की परवाह, JDU दफ्तर पहुंच छात्र रो-रोकर क्यों लगा रहे एग्जाम की गुहार, कौन देगा जवाब?

Higher Education : शिक्षा की गुणवत्ता व सही शिक्षा की बात तो छोड़िए, बिहार के छात्र अंजाने चिंता यानि भविष्य डंप होने से इतना त्रस्त हैं कि अब उन्हें यूनिवर्सिटी का नहीं बल्कि नीतीश की पार्टी जेडीयू दफ्तर का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

Higher Education : बिहार का नाम लेते ही नालंदा व विक्रमशिला विश्वविद्यालय का जिक्र आता है लेकिन अब ये इतिहास की बातें हैं। नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) उर्फ सुशासन बाबू के राज में बिहार ( Bihar ) में उच्च शिक्षा ( Higher Education ) व्यवस्था की जो दुर्दशा है वैसा बिहार तो इतिहास में शायद ही कभी रहा हो। शिक्षा की गुणवत्ता व सही शिक्षा की बात तो छोड़िए, बिहार ( Bihar ) के छात्र अंजाने चिंता यानि भविष्य डंप होने से इतना त्रस्त हैं कि अब उन्हें यूनिवर्सिटी ( University ) का नहीं बल्कि नीतीश की पार्टी जेडीयू ( JDU ) दफ्तर का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

क्या आपने कभी सुना है कि किसी युनिवर्सिटी के छात्र ( Student ) सालों तक सेशन लेट होने से परेशान होकर केवल एग्जाम कराने के लिए सत्ताधारी पार्टी के दफ्तर पहुंचकर फफकर रोएं और उनकी सुनने वाला कोई नहीं हो। अगर उच्च शिक्षा व्यवस्था के ये हालात हों तो आप क्या सोचेंगे? यही न कि ये तो शर्म की बात है।

कुछ मत बोलो - मेरी जिंदगी बर्बाद मत करो

दरअसल, बिहार ( Bihar) में सबसे बड़े विश्वविद्यालय में शुमार मगध विश्वविद्यालय ( Magadh University ) की छात्र नीतीश सरकार ( Nitish Kumar ) के कुशासन से इतना नाभरोस हो चुके हैं कि उनके पास भविष्य के नाम पर फफककर रोने के सिवा कुछ नहीं बचा है। एक छात्रा कहती हैं - कुछ मत बोले, मेरी जिंदगी बर्बाद मत करो। यह स्थिति किसी भी सरकार को असहज करने के लिए काफी है। छात्रों का कहना है कि इसके बावजूद नीतीश कुमार कभी बेहतर शिक्षा की बात नहीं करते। उन्हें तो केवल अपनी कुर्सी प्यारी है। नीतीश कुमार बिहार के लिए अब सुशासन बाबू नहीं, युवा छात्रों के लिए अभिशाप हैं।

13 में से अधिकांश यूनिवर्सिटी का सेशन लेट

इन छात्रों की चिंता यह है कि बिहार की लगभग सभी यूनिवर्सिटी में सेशल कई साल पीछे है। लिहाजा ये छात्र एक ही क्लास में सालों पढाई करने को लेकर मजबूर हैं। विलंबित सत्र की वजह से लाखों छात्र-छात्राओं को कई अच्छे अवसरों से वंचित होना पड़ रहा है। नौकरी के फार्म तक नहीं भर पा रहे हैं। उनकी उम्र निकली जा रही है। गंभीर चिंता की बात ये है कि छात्र सबकुछ जानते हुए भी कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं।

मानसिंक तनाव और गुस्से में हैं बिहार के छात्र

बिहार मगध यूनिवर्सिटी में छात्रों को कई सालों से एग्जाम न होने और रिजल्ट न आने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। इसी बीच, मगध यूनिवर्सिटी में सेशन लेट (Late Session) होने से नाराज छात्र छात्राएं आज जदयू कार्यालय पहुंचे। मगध यूनिवर्सिटी में सेशन लेट (Late Session) होने से नाराज छात्र छात्राएं जदयू कार्यालय पहुंचे। परेशान छात्रों ने अपने सेशन लेट होने पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रदेश कार्यालय में बिहार सरकार (Bihar Sarkar) के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Vijay Kumar Chaudhary) के सामने मंगलवार को पत्र लिखकर गुहार लगाई है। एजुकेशन सेशन लेट होने के वजह से छात्रों के मन में काफी गुस्सा है और मानसिक तनाव से जूझ रहें है।

नीतीश को जगाने के लिए जगदीप धनखड़ को बिहार क्यों नहीं भेजती मोदी सरकार

विश्वविद्यालय कि तरफ से भी इन्हें अभी तक कोई जानकारी नही दी गई है जिससे ये मालूम हो सके कि इनकी डिग्री कब आएगी और सेशन कब पूरा कराया जाएगा। इससे ज्यादा शर्म की बात यह है कि शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी खुद मानते हैं कि सेशन लेट है, लेकिन वो कुछ करते नहीं। छात्रों ने पत्र लिखकर राज्यपाल को भी गुहार लगाई है लेकिन अभी तक वहां से भी इन छात्रों को कोई आश्वासन नहीं मिला है। बंगाल में ममता को परेशान करने वाले जगदीप धनखड़ जैसे राज्यपाल बिहार में क्यों नहीं हैं। अगर बिहार को धनखड़ जैसे राज्यपाल मिल जाएं तो कम से कम जान बूझकर कुंभकरनी नींद में सोई नीतीश सरकार को जगाना तो संभव होगा।

अधिकांश विश्वविद्यालय लेटलतीफी के शिकार

बता दें कि नीतीश सरकार के सीधे नियंत्रण वाले 13 विश्वविद्यालयों में से अधिकांश विश्वविद्यालय लेटलतीफी के शिकार हैं। सूबे के कई ऐसे विश्वविद्यालय हैं जिनका सत्र पांच माह से 24 महीने पीछे चल रहे हैं। करीब एक साल पहले कुलाधिपति सह राज्यपाल फागू चौहान ने विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों के साथ हुई बैठक में यह फरमान भी जारी किया था और निर्देश दिया था कि पिछले साल 31 मई तक हर हाल में सभी परीक्षाएं और मूल्यांकन कराकर सेशन नियमित कर देना है।

बिहार के सबसे बड़े यूनिवर्सिटी में शुमार होने वाले मगध यूनिवर्सिटी की कहानी ही अलग है। इस यूनिवर्सिटी में यूजी, पीजी की कौन कहे, वोकेशनल व प्रोफेशनल कोर्स भी वक्त पर नहीं पूरे होते हैं। पीजी का सेशन जहां दो साल की देरी से चल रहा है। ग्रेजुएशन में 2018-21, 2019-22 तथा 2020-23 सत्र देरी से चल रहा है। मगध यूनिवर्सिटी का विवादों के साथ गहरा नाता रहा है। सत्र में देरी की एक वजह पूर्णकालिक वीसी का नहीं होना भी है।

पूर्व का ऑक्सफोर्ड पीयू का भी खस्ता हाल

एक दौर में पटना में स्थित पूरब का ऑक्सफोर्ड के नाम से चर्चित पटना यूनिवर्सिटी में भी सेशन लेट है। शिक्षा सत्र को पटरी पर लाने की कवायद जारी है। पटना यूनिवर्सिटी के वीसी गिरीश कुमार चौधरी के मुताबिक सत्र को वक्त पर करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। इस वर्ष हर हाल में सत्र को नियमित कर लिया जायेगा।


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