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बिहार

व्यापारियों ने की भूख हड़ताल, बोले-कृषि कानून से किसानों के साथ हम भी हो जाएंगे खत्म

Janjwar Desk
17 Dec 2020 4:39 AM GMT
व्यापारियों ने की भूख हड़ताल, बोले-कृषि कानून से किसानों के साथ हम भी हो जाएंगे खत्म
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Photo:social media

धरना पर बैठे व्यवसायियों ने आशंका जताई कि आने वाले समय में सारे मंडी समाप्त हो जायेगे, छोटे कोराबारी, फल - सब्जी बेचने वाले बर्बाद हो सकते हैं, किसान तो जायेगा ही छोटे कारोबारी भी खत्म हो जाएंगे...

जनज्वार ब्यूरो, पटना। राजधानी पटना के बाजार समिति के व्यापारी नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आन्दोलन के समर्थन में उतर गए हैं। कृषि कानून के विरोध में व्यापारियों ने बुधवार को पूरे बाजार को बंद रखा। बाजार समिति में काम करने वाले मजदूर ,छोटे कारोबारी और व्यापारी सबलोग काम बंद कर भूख हड़ताल पर बैठ गए।

कृषि कानून के विरोध और किसानों के समर्थन में बाजार समिति के व्यापारियों की भूख हड़ताल का किसी राजनीतिक दल से वास्ता नहीं है। हालांकि उस बार के किसान आन्दोलन को लेकर बिहार में इससे पहले जो भी विरोध प्रदर्शन हुआ है, उसका जुड़ाव किसी ना किसी राजनैतिक दल से रहा है।

उपवास पर बैठे व्यापारियों का कहना है कि वे लोग बाजार समिति के कारोबारी हैं और किसी राजनैतिक दल से कोई सम्बन्ध नहीं है। भूख हड़ताल पर बैठे इन कारोबारियों का कहना था किसान तो बस बहाना है निशाने पर तो हम छोटे कारोबारी हैं।

व्यापारियों ने कहा कि नए एक्ट का प्रभाव देखना हो तो सामने सेब की मंडी है पहले 25 से 30 ट्रक रोजाना सेब पटना आता था अब चार से पांच गाड़ी सेब आ रहा है, चूंकि बड़े खिलाड़ी मैदान में उतर चुके हैं।

व्यापारियों को आशंका है कि सेव को स्टाक करना शुरु कर दिया गया है, इसलिए निकट भविष्य में सेव की कीमत तीन सौ रुपया किलो तक भी जा सकती है। व्यापारियों ने कहा कि जो स्थिति है, उसमें प्याज और आलू का दाम भी कम होने वाला नहीं है ।

धरना पर बैठे व्यवसायियों ने आशंका जताई कि आने वाले समय में ये सारे मंडी समाप्त हो जायेगे छोटे कोराबारी, फल - सब्जी बेचने वाले बर्बाद हो सकते हैं। किसान तो जायेगा ही छोटे कारोबारी भी समाप्त हो जायेगा।

धरना पर बैठे एक व्यापारी ने कहा 'मेरा नाम मंजीत साह है। मेरे दादा जी के दादा जी इस काम से जुड़े रहे हैं। इसी तरीके से मेरे दादा जी के दादा जी का जिस किसान परिवार से रिश्ता था वह रिश्ता आज भी बना हुआ है। मैं मैनेजमेंट की पढ़ाई करके इस काम में पिछले पांच वर्ष से लगा हुआ हूं। इस बिल के आने से मेरे जैसे लाखों युवकों का काम छिन जायेगा और हम लोग भी किसी कम्पनी का स्टाफ बन कर रह जायेंगे, जबकि आज तीस से चालीस लोगों को रोज़गार दिए हुए हैं।'

एक अन्य व्यापारी ने कहा 'पीएम मोदी कहते हैं कि स्वावलंबी भारत बनायेगे। ये कैसा स्वावलंबी भारत बना रहे हैं, जहां कुछ खास पूंजीपतियों के लिए लाखों कारोबारियों को समाप्त कर रहे हैं।'

व्यापारी संजय साह ने कहा 'जब खेती भी अंबानी और अडानी ही करेंगे तो फिर उपज भी तो वही बेचेंगे। ये लड़ाई किसान और मेरे जैसे कारोबारी का ही नहीं है सच कहिए तो ये लड़ाई इस देश के 130 करोड़ जनता की है, क्योंकि इस कानून के लागू होने से हर किसी के निवाले पर प्रभाव पड़ेगा।'

एक अन्य व्यापारी ने कहा 'बिहार में आम और लीची का फसल होता है। इससे जुड़े किसान को फल लगने से पहले ही हम लोग उसके गांव जाकर पैसा दे देते हैं और फिर जैसे जैसे फसल मंडी में आता है, हम लोग इसको बाहर भेजते हैं।'

उन्होंने आगे कहा 'इस काम में पूरे बिहार में एक लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। इसी तरीके से सब्जी ,प्याज और आलू से जुड़े नेटवर्क का एक बड़ा चैन बना है, जिसमें बोरा उठाने वाले मजदूर से लेकर ठेला चलाने वाले मजदूर भी हैं। अब वो सारा चैन टूट जायेगा ये सरकार को समझ में नहीं आ रहा है।'

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