सरकारी पैसे का दुरुपयोग, करोड़ों की लागत से बन गए पंचायत भवन पर अब इसके ताले भी नहीं खुलते
सारण, जनज्वार। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में पंचायत प्रशासन को सरकार का रीढ़ जाता है, जहां से जनता का काम होता है। पंचायत सरकार की व्यवस्था में जनता को शासन की केंद्रीय इकाई मानकर उनकी सुविधा के लिए काम किया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई राशि से संबंधित मुखिया द्वारा प्रत्येक पंचायत में पंचायत सरकार भवन बनवाया जाना है, ताकि जनता को किसी काम के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर न काटना पड़े।
हालांकि ऐसे पंचायत भवनों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कई जगहों पर पंचायत सरकार भवन तो बने, पर वे शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं। जिला के मशरक प्रखंड के गंगौली और कवलपुरा में लाखों रुपए की लागत से भवन बनाए जाने के बाद भी लोगों को काम के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
सारण जिला के मशरक प्रखंड के गंगौली और कवलपुरा में पंचायत सरकार भवन के बने कई वर्ष बीत चुके हैं। बावजूद इसके यहां न तो पंचायत सचिव बैठते हैं न ही राजस्व कर्मचारी। अन्य विभाग के कर्मचारियों का भी बैठना नहीं हो रहा है।
जबकि यहां पंचायत स्तरीय सभी विभाग के पदाधिकारियों को रहकर जनता की समस्या का समाधान करना है।अधिकारियों की उदासीनता के चलते अपने पंचायत में पंचायत सरकार भवन होने के बाद भी ग्रामीण प्रखंड व अंचल कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि पंचायत सरकार भवन का ताला भी कभी- कभार ही खुलता है।
गंगौली निवासी ग्रामीण हरि शंकर पांडेय ने कहा 'पंचायत सरकार भवन में सरकार द्वारा सभी प्रखंड स्तरीय कार्य करने का आदेश दिया गया। इसके बाद यहां काउंटर खुला और कर्मी भी प्रतिनियुक्त किया गया, पर आज की स्थिति में ग्राम कचहरी के कतिपय कर्मी को छोड़कर कोई भी कर्मी नहीं आते हैं।'
विदित हो कि पंचायत सरकार भवन में पंचायत सचिव सहित राजस्व कर्मचारी, आवास सहायक, विकास मित्र, किसान सलाहकार, कार्यपालक पदाधिकारी, रोजगार सेवक आदि के अलावा पंचायत स्तर के सभी अधिकारियों के बैठने की बात कही गयी थी। लोगों का ब्लॉक ऑफिस से जुड़ा हर काम यहीं से होना था।
कवलपुरा गांव के निवासी दिनेश कुमार सिंह ने कहा 'सरकार द्वारा करोड़ों रूपये की लागत से बना पंचायत सरकार भवन अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। लाखों रूपये के फर्नीचर सड़ गल कर नष्ट हो रहें हैं, वहीं भवन मरम्मत और रंग रोगन के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रहा है।'
यहां यह सुविधा भी उपलब्ध कराई गई थी कि पंचायत के लोग अपने प्रमाण पत्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन करा सकते हैं। यहां से आवासीय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र व लोक शिकायत के लिए बिना शुल्क के ऑनलाइन आवेदन कराया जा सकता है।
यहां पंचायत स्तर के सभी अधिकारी को बैठकर लोगों की शिकायत सुनकर निवारण करना है, मगर हालत यह है कि इस पंचायत भवन में अधिकारी कभी नहीं बैठते हैं। इसका ताला तक नहीं खुलता है। करोड़ों रूपये खर्च कर बनाया गया भवन पंचायतों में शोभा की वस्तु बन गया है।