तैयारी धरी रह गई, मॉनसून की पहली बारिश में ही डूबने लगा पटना
जनज्वार ब्यूरो, पटना। एक वर्ष में सरकार द्वारा जाने कितने दावे और वादे किए गए पर पहली कसौटी में ही सब फेल हो गए। पिछले वर्ष भी पटना डूबा था और इस वर्ष भी नियति यही लग रही है। मॉनसून की पहली बारिश में ही शहर के कई इलाकों में जलजमाव हो गया है। पिछले वर्ष की विभीषिका झेल चुके लोग सहमे हुए हैं, सरकारी तंत्र भी जागा है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हालात का जायजा लेने सड़कों पर निकलने वाले हैं। सवाल उठता है कि पिछले वर्ष की आपदा से सरकार तथा पटना नगर निगम ने क्या कोई सीख ली थी।
पिछले वर्ष सितंबर माह में लगातार पांच दिनों तक हुई बारिश के बाद पटना में बाढ़ जैसी स्थिति हो गई थी। पटना की प्रमुख इलाकों की सड़कों पर 5 से 6 फीट तक पानी भर गया था। कई इलाकों में अपार्टमेंटों का ग्राउंड फ्लोर डूब गया था। लोग कई दिनों तक घरों में कैद रहे थे। पानी से घिरे लोगों को रेस्क्यू करने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को उतारना पड़ा था। सड़कों पर एक पखवाड़े से ज्यादा समय तक नाव चलाने पड़े थे।
उसके बाद सरकार और पटना नगर निगम चेते थे और आनन-फानन में कई छोटी-बड़ी योजनाओं पर काम शुरू हुआ था। सीवरेज, संप हाउस, नालों की उड़ाही और नए नालों के निर्माण की कई योजनाएं बनीं। सैदपुर में 55 किलोमीटर लंबे सीवरेज सिस्टम का काम पूरा भी हुआ। पिछले वर्ष पटना के डूब जाने के बाद सरकार और नगर निगम के कई इंजीनियरों और छोटे-बड़े अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई हुई थी।
बिहार में मॉनसून का प्रवेश हो चुका है। पटना समेत राज्य के लगभग सभी जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो रही है। पटना में भी पिछले लगभग 36 घँटों से रुक-रुककर बारिश हो रही है। इसी बारिश में पटना के कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, गोला रोड, कदमकुआं, कांग्रेस मैदान रोड, बाकरगंज ठाकुरबाड़ी रोड, अनीसाबाद आदि इलाकों में जलजमाव शुरू हो गया है। कई इलाजों में सड़कों पर जमा पानी निकल नहीं रहा है। कई इलाकों में अभी भी नालों की उड़ाही और सफाई का काम चल ही रहा है। इसी बीच मॉनसून का प्रवेश हो जाने से सरकार और अफसरों के हाथ-पांव भी फूले हुए हैं।
मौसम विभाग ने पटना सहित बिहार के ज्यादातर जिलों में अगले 48 घँटों तक बारिश का एलर्ट जारी किया है। इस एलर्ट के बाद पटना के लोगों का टेंशन और बढ़ गया है। गुरुवार 18 जून को लगभग पूरी रात बारिश होती रही, जो शुक्रवार 19 जून को भी जारी रही। अब लोगों को भय सता रहा है कि स्थिति कहीं पिछले वर्ष की तरह न हो जाए। खासकर कंकड़बाग, राजेन्द्र नगर और रूपसपुर गोला रोड से जुड़े क्षेत्रों के लोग ज्यादा चिंतित हैं। चूंकि पिछले वर्ष यही इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित थे।
पिछले वर्ष की आपदा के बाद सरकार और पटना नगर निगम के बीच खूब खींचतान भी हुई थी। पटना नगर निगम के एक बड़े पदाधिकारी ने इस्तीफा भी दे दिया था। नालों के नक्शों के भी गायब होने की खबरें सुर्खियां बनीं थीं। राज्य के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा ने एक वक्त पर यह भी कह दिया था कि पटना को जलमग्न होने से बचाना असंभव है। जाहिर है कि सरकारी तंत्रों के बीच आपसी समन्वय की जगह खींचतान होने से काम पर असर पड़ना ही है और अंततः इसका खामियाजा जनता को ही भुगतना है।
इस बीच खबर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी स्थिति का जायजा लेने के लिए निकलने वाले हैं। मुख्यमंत्री के साथ पटना नगर निगम, बुडको और जिला प्रशासन के बड़े अफसरों और इंजीनियरों की टीम भी होगी। वे पटना बाईपास, महात्मा गांधी सेतु आदि के इलाकों का जायजा लेने वाले हैं। जलजमाव को रोकने के लिए इन इलाकों में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहे थे। वे इन प्रोजेक्ट्स पर किए गए काम को स्वयं देखने के लिए जाएंगे।