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बिहार चुनाव में पहली बार लागू हुई व्यवस्था, दलों को बताना होगा कि दागियों को टिकट क्यों दिया

Janjwar Desk
30 Jun 2020 12:27 PM GMT
बिहार चुनाव में पहली बार लागू हुई व्यवस्था, दलों को बताना होगा कि दागियों को टिकट क्यों दिया
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सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के आलोक में बिहार विधानसभा चुनावों के लिए पहली बार यह नई व्यवस्था लागू की गई है।

जनज्वार ब्यूरो,पटना। चुनाव आयोग बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटा है। लगातार बैठकें हो रहीं हैं, तैयारियों की समीक्षा हो रही है। राजनैतिक दल भी मैदान में कूद पड़े हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने एक ऐसा पत्र भेजना शुरू कर दिया है, जिससे राजनैतिक दलों की टेंशन बढ़ने वाली है।

चुनाव आयोग ने बिहार के 150 रजिस्टर्ड राजनैतिक दलों को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में राजनैतिक दलों को पहली बार यह निर्देश दिया गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में अगर दागियों को टिकट देते हैं तो इसका कारण बताना होगा। जिन्हें टिकट देंगे,अगर उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित है तो यह बताना होगा कि आखिर उन्हें टिकट क्यों दिया।

चुनावों में खासकर बिहार में दागी और बाहुबलियों को बड़ी संख्या में राजनैतिक दल अपना सिंबल देते रहे हैं। ऐसे लोग बड़ी संख्या में चुने भी जाते रहे हैं। वैसे दलों द्वारा यह सफाई दी जाती रही है कि पॉलिटिकल लोगों के विरुद्ध ज्यादातर मामले राजनैतिक प्रतिद्वंदिता और चुनावी रंजिश के कारण दर्ज कराए जाते हैं और बाद में वे गलत साबित होते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर चुनाव आयोग ने बिहार चुनावों में पहली बार यह व्यवस्था लागू की है। सभी मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के लिए यह प्रावधान लागू कर दिया गया है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी पत्र के अनुसार दलों को बाजाप्ता अखबारों में यह सूचना सार्वजनिक करनी होगी कि उसने ऐसे प्रत्याशी को टिकट क्यों दिया। ऐसे प्रत्याशी के चयनित होने के 48 घँटे के अंदर यह सूचना सार्वजनिक कर देनी होगी। दलों को राज्य की स्थानीय और राष्ट्रीय अखबारों में यह सूचना प्रकाशित करानी होगी।

राजनैतिक दलों को यह सूचना फॉर्मेट 7 में भरकर देनी होगी। अखबारों में सूचना सार्वजनिक होने के बाद 72 घँटे के अंदर इसके सार्वजनिक होने की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। आयोग को यह जानकारी फॉर्मेट 8सी में देनी होगी।

बिहार में हालांकि अभी तिथि की घोषणा नहीं हुई है, पर चुनावी सरगर्मी काफी तेज है। चुनाव आयोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगातार बैठक कर अपनी तरफ से तैयारी कर रहा है। बिहार के सभी राजनैतिक दलों के साथ बैठक कर आयोग उनका मंतव्य ले चुका है। राजनैतिक दल भी तैयारियों में जुटे हैं।

बीजेपी लगातार वर्चुअल रैली और कार्यकर्ताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मीटिंग कर रही है। लोजपा भी कार्यकर्ताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रही है।कोंग्रेस,राजद और जन अधिकार पार्टी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर सड़क पर उतर चुके हैं। नेताओं का एक से दूसरे दलों में आने-जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। एक-दूसरे को घेरने के लिए गड़े मुर्दे भी उखाड़े जा रहे हैं।

निर्वाचन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में 150 रजिस्टर्ड राजनैतिक दलों को यह पत्र उनके निबंधित पते पर भेज दिया गया है। इन सभी दलों का मुख्यालय पटना में है। इनमें से 20 दलों के मुख्यालय के पते पर भेजी गई चिट्ठी वापस हो गई है। चुनाव आयोग इसे लेकर गंभीर है और अब डीएम को इसका तामिला कराने का निर्देश दिया गया है।

माना जा रहा है कि चुनाव आयोग के इस पत्र के बाद राजनैतिक दलों के लिए दागी प्रत्याशियों को टिकट देना काफी मुश्किल हो जाएगा। जानकार बता रहे हैं कि अब दलों के लिए साफ-सुथरी छवि वालों को टिकट देना मजबूरी हो जाएगी। चूंकि दागी को टिकट देने के बाद यह बताना पड़ेगा कि उसे टिकट क्यों दिया गया। बिहार में आगामी अक्टूबर-नवंबर माह में विधानसभा चुनाव संभावित माना जा रहा है। इस ताजा आदेश के बाद बिहार के कई नेताओं की टेंशन भी बढ़ गयी है।

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