लालू की रिहाई व 'लालूवाद' पर बहस तेज, बिहार इकलौता प्रांत जहां RSS के सिर पटकने पर भी नहीं बना BJP का CM
जनज्वार। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष व 90 के दशक में सामाजिक न्याय के बड़े चेहरे के रूप में उभरे लालू प्रसाद यादव लंबे समय से बीमार है और पिछले पांच दिनों में उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई है। लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव की आग्रह पर उन्हें शनिवार रात दिल्ली के कार्डियक विभाग के आइसीयू में भर्ती कराया गया। इस बीच 70 साल की उम्र पार कर चुके लालू प्रसाद को जेल से रिहा करने को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है। इसमें राजनीतिक कार्यकर्ताओं के अलावा कई पत्रकार भी शामिल हैं।
इसके लिए लोग अंग्रेजी में रिलीज लालू यादव हैशटैग पर ट्वीट कर रहे हैं। इसके साथ ही हिंदी में लालू प्रसाद शब्द भी ट्रेंड कर रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अरफा खानम शेरवानी ने लालू की रिहाई की मांग उठायी है। उन्होंने शनिवार रात ट्विटर पर लिखा - सांप्रदायिक दंगों और आतंकवाद के आरोपी संसद में बैठे हैं और दलितों-पिछड़ों के मसीहा लालू यादव जेल में हैं। ये कैसा इंसाफ है? ये कहां का इंसाफ है? अरफा के इस ट्वीट को 2800 से अधिक लोगों रिट्वीट अपना समर्थन दिया है तो विरोध भी जताया है।
सांप्रदायिक दंगों और आतंकवाद के आरोपी संसद में बैठे हैं और दलितों-पिछड़ों के मसीहा लालू यादव जेल में हैं।
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) January 23, 2021
ये कैसा इंसाफ़ है ?
ये कहाँ का इंसाफ़ है ? #Release_Lalu_Yadav
फिल्मकार अशोक पंडित ने अरफा के बातों से असहमति जाहिर करते हुए अधिक तल्ख शब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने अरफा के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा: मोहतरमा जी आतंकवादियों का साथ देकर सांप्रदायिक दंगे तो आप जैसे लोग फैलाते हो। अफजल गुरु, कसाब, याकूब मेमन आपके हीरो हैं। लालू प्रसाद यादव जैसे लूटेरे को मसीहा कह कर आप ने अपना परिचय दे दिया।
मोहतरमा जी आंतंकवादियों का साथ देकर साम्प्रदायिक दंगे तो आप जैसे लोग फ़ैलाते हो ! अफ़ज़ल गुरु , कसाब , याकूब मेमन तो आपके हीरो हैं !
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) January 24, 2021
लालू प्रसाद यादव जैसे लूटेरे को मसीहा कहकर आप ने अपना परिचय दे दिया ! https://t.co/nBysdD44X4
दरअसल, लालू प्रसाद यादव को रिहा करने का अभियान वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने शुरू किया। वे लगातार इसके लिए ट्वीट कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अगर स्वास्थ्य के आधार पर बिहार के एक पूर्व सीएम जगरनाथ मिश्रा को जमानत मिल सकती है तो लालू प्रसाद यादव को भी मिलना चाहिए।
दिलीप मंडल ने शनिवार शाम ट्वीट किया कि लालू प्रसाद यादव को रिहा करने के सोशल मीडिया अभियान को बल मिला और बिना किसी आइटी सेल के एक लाख से अधिक ट्वीट किए गए।
मीडिया ने लालू, मुलायम, शिबू सोरेन, सिद्धारमैया, करुणानिधि, अखिलेश और मायावती से करोड़ों के विज्ञापन, सस्ती ज़मीन, और तमाम ग़लत-सही सुविधाएँ लीं पर इनकी गोदी में कभी नहीं बैठा। मीडिया चुनता है कि किस गोदी में बैठना है। वह किसी की भी गोदी में नहीं बैठ जाएगा।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) January 24, 2021
#Casteist_Media
मंडल ने लिखा कि आजम खान और लालू यादव दोनों के सामने सिर झुका लेने का रास्ता था, लेकिन फिर न तो आजम आजम होते, न लालू लालू। समझौतापरस्ती हर किसी की फितरत में नहीं होती। कुछ लोगों की रीढ की हड्डी मजबूत होती है।
उन्होंने यह भी लिखा कि आरएसएस की आंखों में आंखें डालकर इतनी कड़वी, लेकिन सच्ची बात करने वाले लालू यादव को प्रणाम, सलाम। लालूवाद की ताकत यहे है कि बिहार देश का अकेला हिंदीभाषी राज्य है, जहां आरएसएस सिर पटकर कर रह गया, लेकिन आज तक बीजेपी का मुख्यमंत्री नहीं बना।
लालूवाद की ताक़त ये है बिहार देश का अकेला हिंदीभाषी राज्य है, जहां RSS सिर पटककर रह गया, लेकिन आज तक बीजेपी का मुख्यमंत्री नहीं बना। #Release_Lalu_Yadav
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) January 23, 2021