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बिहार

श्याम रजक राजद में हुए शामिल, बोले - पूरी रात चंद्रशेखर की किताब पढी, जदयू में 10 साल बर्बाद हो गया

Janjwar Desk
17 Aug 2020 7:10 AM GMT
श्याम रजक राजद में हुए शामिल, बोले - पूरी रात चंद्रशेखर की किताब पढी, जदयू में 10 साल बर्बाद हो गया
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श्याम रजक को नीतीश कुमार ने जदयू में काफी अहमियत दी थी, हालांकि अब पार्टी से निकाले जाने के बाद उन्होंने कहा है कि जनता दल यूनाइटेड में उनका 10 साल बर्बाद हो गया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने कार्रवाई से पहले नोटिस क्यों नहीं जारी किया...

जनज्वार ब्यूरो, पटना। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेट से बाहर किए गए श्याम रजक सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए। बिहार मंत्रिमंडल से रविवार को बर्खास्त किए गए श्याम रजक (Shyam Rajak) आज विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे। विधानसभा अध्यक्ष को वे अपना इस्तीफा सौंपेंगे। कैबिनेट से हटाए जाने के बाद पहली बार उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी है। वहीं, दूसरी ओर 16 अगस्त को राजद से निष्कासित किए गए तीन विधायक आज (17 अगस्त) को जदयू की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

श्याम रजक राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए। उन्हें विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राजद में शामिल करवाया। श्याम रजक ने राजद में शामिल होने के बाद बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए नीतीश कुमार पर हमला बोला।

तेजस्वी यादव ने श्याम रजक को पार्टी की सदस्यता दिलाने के बाद कहा कि श्याम रजक अपने पुराने घर में, असली घर में आए। उन्होंने कहा कि हमेशा उनकी धर्मनिरपेक्षता में यकीन रहा है और जिस तरह बिहार में सरकार चल रही है उसमें जनप्रतिनिधियों का कोई महत्व नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि बिहार बेरोजगारी व अपराध का केंद्र बन गया। उन्होंने कहा कि बिहार में मजदूरों की बेइज्जती की गई। कोरोना महामारी से निबटने का सिस्टम ध्वस्त हो गया।

श्याम रजक ने सोमवार को कहा, 'मैं अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने जा रहा हूं। जो दल और सरकार संविधान और समानता के अधिकार की रक्षा नहीं कर पा रही हो, उसके साथ रहने का कोई मतलब नहीं। पूरी रात पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी की जेल यात्रा की डायरी नामक पुस्तक पढ़ी है। संविधान की रक्षा करनी होगी। अगर मुझे हटाना था तो कारणपृच्छा नोटिस क्यों नहीं दी गई। जदयू के साथ मेरे 10 साल बर्बाद हो गए। अब सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ूंगा'।

उधर जदयू अब उनपर निशाना साध रहा है। जदयू नेता प्रगति मेहता ने कहा, उन्हें मंत्री पद दिया गया, संगठन में भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा पद मिला था और उन्हें क्या दिया जाता।

उधर राजद के तीनों निष्कासित विधायक प्रेमा चौधरी, फराज फातमी और महेश्वर प्रसाद यादव सोमवार (17 अगस्त) को जदयू में शामिल होनेवाले हैं। बताया जा रहा है कि जदयू कार्यालय में ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव उन्हें सदस्यता दिलाएंगे, फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी मुलाकात होगी।

बिहार में विधानसभा चुनावों से ऐन पहले राज्य में सियासी गतिविधियां तेज गति से चल रहीं हैं। सभी दलों और गठबंधनों के बीच दांव-पेंच चले जा रहे हैं और शह-मात का खेल जारी है। कल राज्य के उद्योग मंत्री श्याम रजक को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था और उन्हें जदयू से भी बाहर कर दिया गया था। श्याम रजक के राजद में शामिल होने की चर्चाएं चल रहीं थीं। ऐसा हो पाता, उससे पहले ही जदयू ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था।

17 अगस्त रविवार की रात यह कार्रवाई की गई थी। श्याम रजक राज्य के उद्योग मंत्री थे और अभी वे पटना के फुलवारी शरीफ से जदयू के विधायक थे। पहले उन्हें पार्टी से निकाला गया, फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राज्यपाल से उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त करने की सिफारिश की गई, जिसे राज्यपाल ने मंजूर कर लिया था।

पहले वे राजद में ही थे और पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद के काफी करीबी माने जाते थे। उस दौर में वे लालू प्रसाद के कथित किचेन कैबिनेट के भी हिस्सा बताए जाते थे। रामकृपाल यादव और श्याम रजक की जोड़ी उस दौर में राम-श्याम की जोड़ी के तौर पर जानी जाती थी। रामकृपाल यादव अभी बीजेपी के सांसद हैं। वहीं, श्याम रजक वर्ष 2009 में वे जदयू में शामिल हो गए थे और 2010 के विधानसभा चुनावों में जदयू के टिकट पर फुलवारी शरीफ से विधायक चुने गए थे। फिर नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री भी बनाया था। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनावों में भी वे फुलवारी शरीफ से विधायक चुने गए थे।

राजद में शामिल होने के बाद श्याम रजक ने क्या बोला?

श्याम रजक ने राजद में शामिल होने के बाद कहा कि वे वापस अपने घर में आ गए। उन्होंने कहा कि हमारे नेता लालू प्रसाद ने हमें बताया था कि सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते रहना, हमने कभी इससे समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने हमें बताया था कि देश के गरीबों, वंचितों, पिछड़ों, दलितों व अगड़े में दो गरीब हैं उनके लिए न्याय की लड़ाई लड़ते रहना।

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