छपरा में भाजपा नेता अपने ही जनप्रतिनिधियों के खिलाफ क्यों कर रहे नारेबाजी, ये है कारण
छपरा, जनज्वार। सांसद भाजपा के हों, विधायक भी भाजपा के और बीजेपी के ही दिग्गज नेता के नेतृत्व में लोग इनके लिए मुर्दाबाद के नारे लगाने लगें तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। पर पिछले 2-3 दिनों से शहर से सटे प्रभुनाथ नगर मुहल्ले में कुछ ऐसा ही चल रहा है। यहां के लोग महीनों के जलजमाव से परेशान हैं, हर जगह गुहार लगाकर थक चुके हैं। अब घरों के बाहर लगे इसी गंदे पानी के बीचोंबीच बैठकर नारेबाजी कर रहे हैं।
जनज्वार ने विगत 28 जून को इस समस्या को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जनज्वार ने लिखा था 'संसद की सफाई कर फोटो चमकाने वाले रूडी कभी छपरा के मुहल्लों में भी एक पोज दे देते' हमने अपनी इस रिपोर्ट में प्रभुनाथ नगर समेत छपरा के कई मुहल्लों में काफी समय से हुए जलजमाव की समस्या और इससे लोगों को हो रही परेशानी की बात लिखी थी। समस्या के मूल कारणों और इसे दूर करने के लिए अबतक किए गए प्रयासों को भी बताया था।
बीजेपी नेता जयप्रकाश वर्मा के नेतृत्व में प्रभुनाथ नगर मुहल्ले के लोग इस गंदे पानी के बीचोंबीच बैठ कर 'छपरा के जनप्रतिनिधि मुर्दाबाद' और 'जलनिकासी नहीं तो वोट नहीं' जैसे नारे लगा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मुहल्ले के लोग बैठे हैं।
सारण संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के दिग्गज नेता व राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी सांसद हैं। विधायक भी बीजेपी के ही डॉ सीएन गुप्ता हैं। जाहिर है कि मुहल्ले के लोग जब मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं तो उनके निशाने पर कौन है। जिला बीजेपी के बड़े नेता जयप्रकाश वर्मा का घर भी इसी मुहल्ले में है। यह सब उन्हीं के नेतृत्व में हो रहा है।
वे कहते हैं 'मुहल्ले के लोग हर जगह गुहार लगाकर अब थक चुके हैं। वर्षों पुरानी इस समस्या का अबतक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। नेतागणों ने कई बार वादे किए कि जलजमाव की समस्या का समधन कर दिया जाएगा। थोड़ा-बहुत कार्य होता भी है, पर उससे कोई लाभ नहीं होता। हम इस समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं, ताकि सुकून का जीवन जी सकें।'
स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रभुनाथ नगर मुहल्ला छपरा से बिल्कुल ही सटा हुआ है, पर यह छपरा नगर निगम का हिस्सा नहीं है, बल्कि सांढा पंचायत का हिस्सा है। लिहाजा नगर निगम अपने हाथ खड़े कर देता है। यह मुहल्ला लगभग डेढ़-दो दशक पहले बसा था। उससे पहले यहां खेत थे। इन्हीं खेतों से होकर शहर से निकला पानी भी खनुआ नाला में जाता था। अब सब जगह घर बन चुके हैं, पर कोई ड्रेनेज सिस्टम डेवलप नहीं हो पाया।
वहीं खनुआ नाला भी अतिक्रमण का शिकार है। हालांकि अब इसे अतिक्रमण मुक्त और इसका जीर्णोद्धार करने का काम शुरू किया गया है। सरकार ने इसके लिए 30 करोड़ रुपये की राशि भी आबंटित कर दी है। पर लोगों का आरोप है कि काम बहुत धीमी गति से हो रहा है। जगह-जगह गड्ढे खोद दिए जाने के कारण लोगों की परेशानी और बढ़ गई है।
धरना पर बैठे पंकज सिंह, हरिशंकर शर्मा, राकेश सिंह, अशोक सिंह, संजीव कुमार, तेरस राय आदि कहते हैं कि समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को कई बार आवेदन दिया गया, पर इसका अबतक समाधान नहीं हो सका है। लिहाजा अब वे पानी के बीचोंबीच बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं।