गुजरात में चहेते उद्योगपतियों को रेवड़ियां बांटती BJP, जमीन कब्जाने के मामले में जांच के आदेश के बाद भी नहीं कार्रवाई!
(अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और आईनॉक्स इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड कब्जा रही जमीन, मजिस्ट्रेटी आदेश के बावजूद नहीं हो रही कोई कार्रवाई)
दत्तेश भावसार की रिपोर्ट
जनज्वार। गुजरात में लैंड ग्रैबिंग एक्ट सिर्फ जनता के लिये है, यह भाजपा सरकार के चहेते उद्योगपतियों के लिए नहीं है। भाजपा के प्रिय उद्योगपतियों में शुमार अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और आईनॉक्स इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड के खिलाफ जमीन कब्जाने केसीधे आरोपों के बावजूद गुजरात की भाजपा सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।
रमेश बलिया और हरीश आहिर ने इन कंपनियों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की हैं और कंपनियों को दंडित भी करवाया है। बावजूद इसके सरकारों की तरफ से कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होना यह बताता है कि सारे कायदे और कानून सिर्फ सामान्य जनता के लिए हैं, परंतु अपने चहेते उद्योगपतियों के लिए कोई नियम या कानून नहीं हैं। उम्मीद है कि इस मामले को आने वाले दिनों में अदालतों में भी उठाया जाएगा।
इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट और एडवोकेट हरीश आहिर बताते हैं, 'देश में जिस तरह की फिलहाल परिस्थितियां हैं, उसमें दिख रहा है कि पूरे देश में सिर्फ गिनती के उद्योगपतियों को भाजपा सरकार फायदा पहुंचा रही है। भाजपा शासित गुजरात में तो पिछले 20 साल से अडानी ग्रुप को सरकार सीधे तौर पर और पिछले दरवाजे से मदद कर रही है, इसके लिए कई नियम कायदों पर ताक पर रख दिया गया है। ऐसे कई घोटाले बाहर आ चुके हैं, जिसमें अडानी ग्रुप को मदद पहुंचा कर सरकारों ने अरबों-खरबों रुपए का फायदा अपने यही के उद्योगपतियों को दिलाया है।
हरीश आहिर आगे कहते हैं, 'बात गुजरात के कच्छ जिले की करें तो पवन ऊर्जा (विंड एनर्जी) के लिए यहां पर बहुत सी सरकारी जमीन हड़प कर ली गई है, मुख्य तौर पर अडानी ग्रीन एनर्जी और आईनॉक्स इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस लिमिटेड ने जमीनों पर कब्जा किया है। अन्य कई सरकारी कायदे नियम तोड़े हैं, जिसके खिलाफ तहसीलदार ने अवैध कब्जा हटाने के लिए 10 माह पहले आदेश जारी किया था। उसके ऊपर अपील दायर कर दी गई, लेकिन अपील में भी उद्योगपति के खिलाफ आदेश होने के बाद भी अभी तक उनका अवैध कब्जा नहीं हट पाया।'
इस मामले में जन प्रतिनिधि रमेश बलिया खुलासा करते हैं, 'कच्छ जिले के कई गांव में सरकारी जमीन और गोचर जमीन के ऊपर अवैध कब्जा कर लिया गया है, वहां से कई वायर और खंभे भी लगाए गए हैं। इसके खिलाफ कई स्वयंसेवी संगठन और लोग अनेकों बार फरियाद कर चुके हैं, लेकिन सरकारी बाबू रसूखदार उद्योगपति होने के कारण या फिर मलाई मिलने के कारण कोई कार्यवाही नहीं कर रहे।'
हरीश आहिर कहते हैं, 'कई जगह तो नियमों को ताक पर रखकर नदियों और नालों की भी दिशाएं बदल दी गई हैं, बावजूद इसके सरकारों के चहेते लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही या नहीं हो रही। ऐसी ही शिकायतों के बाद 31/8/2020 को 01/2020 केस नंबर में तहसीलदार ने 10 दिन में अवैध कब्जा हटाने का आदेश जारी किया था, किंतु 10 माह बीत जाने के बाद भी एक कंकड़ भी वहां से नहीं हटाया गया है। कई जगहों पर किसी गांव में जमीन पास हुई है और पन्नचकी दूसरे गांव में लगा दी गई है। जूनाचाय गांव में अतिरिक्त 1.5 करोड़ भरने का आदेश भी सरकार की तरफ से दिया गया था, लेकिन वह पैसे भी कंपनियों की तरफ से नहीं भरे गए। 80 लाख के करीब खनिज चोरी के भी नोटिस दिए गए, लेकिन वह भी कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई।'
यह तो भ्रष्टाचार के पहलू हैं, लेकिन इन कंपनियों द्वारा कुदरत को जो नुकसान पहुंचाया गया है उसकी क्षतिपूर्ति शायद ही हम आने वाले कई वर्षों में कर पायें। कच्छ विस्तार की बात करें तो रेगिस्तानी विस्तार में बहुत मात्रा में हरे भरे पेड़ मिलना मुश्किल है, इसलिए वहां पर जंगली जानवर और राष्ट्रीय पक्षी मोर छोटी बड़ी झाड़ियों में रहते हैं। इन कंपनियों की तरफ से 100-100 साल पुरानी झाड़ियां खत्म कर दी गई हैं, जिसके कारण अति संरक्षित प्रजाति के इंडियन बस्टर्ड पक्षी का कच्छ में विनाश हो चुका है।
पिछले 1 या 2 साल में 400 के करीब राष्ट्रीय पक्षी की भी मृत्यु हो चुकी है। वन विभाग को कई शिकायतें करने के बावजूद भी रसूखदार उद्योग ग्रुप अडानी होने के कारण सारे अधिकारी या तो चुप करा दिए जाते हैं या मोटी मलाई पा लेते हैं। इन कंपनियों द्वारा किसानों पर होने वाले अत्याचारों की खबर हमने पिछले दिनों दिखाई थी, ऐसे हालात में पर्यावरण बचाने वाले कार्यकर्ता और भ्रष्टाचार से लड़ने वाले एक्टिविस्ट ने सरकारी ऑफिस की सीढ़ियां किस दी, लेकिन मजिस्ट्रेट के द्वारा आदेश किए जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही।
ऐसे में सवाल उठता है कि सारे कायदे सिर्फ सामान्य जनता के लिए है और उनको परेशान करने के लिए हैं, लेकिन चहेते उद्योगपति अडानी को मोटी रेवड़ी बांटी जा रही है।