Subramanian Swamy ने खोला मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा, पूछा - चीन ने कब्जाई इंडिया की जमीन, क्या मोदी वापस दिलाएंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले देशवासियों को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया और एमएसपी एवं दूसरे मसलों पर एक कमेटी बनाने का भी किसानों को भरोसा दिया है। पीएम के इस ऐलान के तत्काल बाद बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने पीएम से पूछा है कि क्या वो चीन के द्वारा कब्जाई गई जमीन वापस लेने की मांग की है। भाजपा सांसद ने कहा कि चीन ने हमारी जमीन कब्जाई है, क्या मोदी इसे भी कबूलेंगे और हर इंच छुड़ाएंगे।
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्विट जरिए लिखा है कि क्या मोदी अब यह भी कबूलेंगे कि चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है और क्या मोदी एवं उनकी सरकार चीन के कब्जे से एक-एक इंच वापस लेने का प्रयास करेगी। दरअसल, बीजेपी सांसद की ये मांग वाली खबर तीनों कृषि कानूनों की वापसी वाली खबर सुर्खियों में होने की वजह से दब गई थी।
सरकार सदन में पेश करे प्रस्ताव
सुब्रमण्यम स्वामी के इस ट्वीट पर कई यूजर्स ने प्रतिक्रिया भी दी। बीके भारद्वाज नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि संसद में पास हुआ कानून क्या टीवी पर निरस्त किया जा सकता है तो इसके जवाब में भाजपा सांसद ने भी लिखा कि मोदी ने कहा कि वह इसे वापस लेंगे न कि वापस लिया। संसदीय कार्य मंत्री दोनों सदनों में इसको लेकर प्रस्ताव पेश करेंगे।
उत्तराखंड में मंदिरों से भी हटाएं सरकारी कब्जा
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तराखंड के मंदिरों से सरकारी कब्जा हटाने की भी मांग की है। भाजपा सांसद ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अब समय आ गया है कि मोदी उत्तराखंड की भाजपा सरकार से कहे कि वह हिंदू मंदिरों पर बनाए गए अपने घटिया पकड़ से पीछे हटें। मंदिरों का अधिग्रहण पूरी तरह से अवैध और भाजपा के लिए शर्मनाक था।
कृषि कानूनों की वापसी पर जताई खुशी
हालांकि, भाजपा सांसद ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया है। भाजपा सांसद ने एक ट्वीट में लिखा कि मोदी के पीछे हटने के बाद गर्मी और कड़ाके की ठंड की परवाह न करते हुए करीब एक साल से शांतिपूर्ण तरीके से बैठे किसानों की समस्या का समाधान होते देखकर मुझे ख़ुशी हो रही है। लेकिन भाजपा को इस बात के लिए प्रायश्चित करने की जरूरत है कि प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में प्रस्ताव लाने की मांग के बावजूद उन्होंने लोगों की बात नहीं सुनी।