अरबों के गुस्से के बाद मोदी-शाह के उड़े होश? BJP ने बनाई 38 जहरीले नेताओं की लिस्ट, BJP ने योगी, हिमंता और शिवराज को क्यों बख्श दिया ?
अरबों के गुस्से के बाद मोदी-शाह के उड़े होश? BJP ने बनाई 38 जहरीले नेताओं की लिस्ट, BJP ने PM मोदी, योगी, हिमंता और शिवराज को क्यों बख्श दिया ?
Hate Speech: सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए भाजपा के नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषंगिक संगठनों के पदाधिकारियों के लिए हेट स्पीच कोई नई बात नहीं है। अगर जिम्मेदारों की लिस्ट निकाली जाए तो उसमें प्रधानमंत्री से लेकर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री तक के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने चुनावी मौसम में खासतौर पर एक संप्रदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने वाले बयान दिए हैं।
इनमें उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का 80 बनाम 20 का वह बयान भी शामिल है, जो उन्होंने इस साल राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान दिया था। इसी तरह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा भी कुछ मौकों पर धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मकसद से बयान दे चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के विवादित बयान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हालांकि पीएम बनने के बाद सांप्रदायिक मुद्दों पर काफी संभलकर बोलते हैं, लेकिन गुजरात के सीएम रहते हुए उन्होंने कई बार हेट स्पीच वाले बयान दिए। 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्होंने मुस्लिम विस्थापितों के कैंप को 'बच्चे पैदा करने का केंद्र' कहा था। उसी बयान में 'हम पांच, हमारे पच्चीस' भी एक हिस्सा था। मोदी का वह बयान भी चर्चित है , जिसमें यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें 2002 में गुजरात हिंसा पर दुख है, मोदी ने जवाब दिया था- यहां तक कि एक कुत्ता भी गाड़ी के नीचे आ जाए तो दुख होता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी ने कहा था कि 'अगर एक खास समुदाय के लिए आरक्षण के कोटे को कम किया जाता है तो मैं अपनी जान दे दूंगा'। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के टिकट पर राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने पर उन्होंने कहा था- 'वे वहां से चुनाव इसलिए लड़ रहे हैं, क्योंकि हिंदू अल्पसंख्यक हैं।' प्रधानमंत्री का दावा बेबुनियाद था, क्योंकि वायनाड सीट पर 50% हिंदू मतदाता हैं।
लेकिन, अरब देशों के विरोध और सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बयान के बाद मंगलवार को भाजपा ने पार्टी के उन 38 नेताओं की लिस्ट बनाई है, जिन्होंने पार्टी के मुताबिक नफरती बयान दिया है। भाजपा ने इन नेताओं के करीब 2700 बयानों को छांटकर उन्हें संयम बरतने और विवादित बयानों से बाज आने को कहा है।
भाजपा ने इनमें से 27 नेताओं को सोच-समझकर बयान देने और कोई भी धार्मिक बयान देने से पहले पार्टी से अनुमति लेने की हिदायत भी दी है। हालांकि, इसका कोई खास असर नहीं होने वाला है, क्योंकि आने वाले समय में विधानसभा और दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के नेता एक बार फिर भड़काऊ बयानबाजी करने में जुट जाएंगे। जब तक सांप्रदायिकता को राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता रहेगा, एक समुदाय विशेष को अहत करने वाले बयान शायद ही रुक पाएं।