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British PM India Visit : बोरिस जॉनसन की टिप्पणी क्या मोदी की अंतर्राष्ट्रीय छवि को करेगी और मजबूत?

Janjwar Desk
23 April 2022 5:56 AM GMT
British PM India Visit : बोरिस जॉनसन की टिप्पणी क्या मोदी की अंतर्राष्ट्रीय छवि को करेगी और मजबूत?
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British PM India Visit : बोरिस जॉनसन की टिप्पणी क्या मोदी की अंतर्राष्ट्रीय छवि को करेगी और मजबूत?

British PM India Visit : जब उनसे पूछा गया कि ब्रिटेन में सांसदों सहित कुछ लोगों ने भारत के लोकतंत्र की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है, इसके बारे में उनकी क्या राय है तो जॉनसन ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि दूसरे देश पर टिप्पणी करना एक देश का काम है.....

British PM India Visit : ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने 22 अप्रैल को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से द्विपक्षीय मुलाकात के बाद एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की। इस दौरान उनसे 'भारत में बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद और मानवाधिकारों के उल्लंघन' (Human Rights Violation In India) से जुड़ा सवाल पूछा गया जिस पर उन्होंने कहा कि भारत एक महान लोकतंत्र (Democracy) है और यहां लोगों के पास संवैधानिक सुरक्षा है। जॉनसन की टिप्पणी से पीएम मोदी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को और चमका सकते हैं, भले ही भारत में लोकतंत्र कराह रहा है और हिन्दुत्व का बुलडोजर संविधान पर तेजी से चलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ''हम मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के सवालों पर बेशक बातचीत करते हैं, हमारी दोस्ती का फायदा यह है कि हम ये बातें कर सकते हैं, और हम इस मुद्दे पर बात एक दोस्ताना और निजी तरीके से करते हैं।''

"यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत में सभी समुदायों के लिए संवैधानिक सुरक्षा है, भारत दुनियाभर के कई देशों में चलने वाले निरंकुशता के शासन से बहुत अलग है। भारत यह एक महान लोकतंत्र है, लगभग 1.35 अरब लोग इस लोकतंत्र में रहते हैं और हमें इसका जश्न मनाना चाहिए।"

जब उनसे पूछा गया कि ब्रिटेन में सांसदों सहित कुछ लोगों ने भारत के लोकतंत्र की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है, इसके बारे में उनकी क्या राय है तो जॉनसन ने कहा - "मुझे नहीं लगता कि दूसरे देश पर टिप्पणी करना एक देश का काम है। भारत एक अतुल्य देश है, जिसकी आबादी 1.3 बिलियन है, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। कोई नहीं कह सकता कि भारत एक लोकतंत्र नहीं है, यह एक असाधारण जगह है। और, सबसे बढ़कर, यह उस दुनिया में और भी अधिक महत्वपूर्ण है जहां भविष्य का विकास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में होने वाला है, वहीं यह सब हो रहा है और यही कारण है कि ब्रिटेन हिंद-प्रशांत की ओर झुक रहा है, इसलिए उस क्षेत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षक के रूप में भारत की भूमिका और भी महत्वपूर्ण है। इसलिए हम अपनी दोस्ती और अपनी साझेदारी को विकसित करना चाहते हैं।'

यूक्रेन के मुद्दे पर भारत के स्वतंत्र रुख अपनाने पर जॉनसन ने कहा - "ऐसा इसलिए नहीं है, क्योंकि आप की तरह, मैं इतिहास जानता हूं। और, कोई भी उस के महत्व को और जो संबंध रहा है, उसे कम करके नहीं आंक सकता। लेकिन, दूसरी ओर, जैसा कि मैंने कहा है, भारत ने बाहर आकर कुछ मजबूत बातें कही हैं। मैं इसे फिर से कहूंगा कि व्लादिमीर पुतिन ने जो कुछ भी किया है, उसमें विनाशकारी रूप से गलती की है और यदि कुछ भी हो, तो यह रूस को चीन एक प्रकार का क्षत्रप बनाने जा रहा है और यह लंबा होगा। लेकिन, बड़ी तस्वीर यह है कि एक ऐसी दुनिया में जहां निरंकुशताएं परेशान करने वाली चीजें कर सकती हैं, आपको लोकतंत्रों के बीच अधिक से अधिक सहयोग, साझेदारी और मित्रता की आवश्यकता है और इसलिए यह इतना महत्वपूर्ण था कि पीएम मोदी जी 7 में आमंत्रित थे। और यह साझेदारी और यूके और भारत के लिए हमारे पास जो 2030 रोडमैप है, वह इतना महत्वपूर्ण क्यों है। और हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं, और मुझे आशा है कि आज की मेरी बातचीत और पिछले कुछ हफ्तों और महीनों में हमने जो भी काम किया है, उसके परिणामस्वरूप यह हमारे बीच वास्तव में गंभीर काम की शुरुआत होगी।"

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार ने भारत के आर्थिक भगोड़ों के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है लेकिन कुछ कानूनी पचड़ों ने इस काम को काफी मुश्किल कर दिया है। नीरव मोदी और विजय माल्या को लेकर पूछे गए एक सवाल पर बोरिस जॉनसन ने कहा, ब्रिटिश सरकार चाहती है कि उन्हें मुकदमे के लिए भारत को सौंप दिया जाए क्योंकि वह ऐसे लोगों का स्वागत नहीं करना चाहती, जो ब्रिटेन के कानूनी सिस्टम का इस्तेमाल खुद को यहां भारत में बचाने के लिए करते हैं। जॉनसन ने कहा, 'जिन दो भगोड़ों की आपने बात की, उनके प्रत्यर्पण के मामले में कुछ कानूनी पचड़े हैं, जिनकी वजह से काम बेहद मुश्किल हो गया है। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनके प्रत्यर्पण का आदेश दे दिया है।'

उन्होंने आगे कहा, हम चाहते हैं कि इन लोगों को मुकदमे के लिए भारत को सौंप दिया जाए। हम ऐसे लोगों का स्वागत करते हैं, जो अपने साथ भारत से काबिलियत और बौद्धिकता लेकर आते हैं। हम ऐसे लोग नहीं चाहते, जो ब्रिटेन के कानून का इस्तेमाल खुद को भारत में बचाने के लिए करते हैं।

बता दें कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने सरकारी बैंकों को जमकर चूना लगाया। भारत सरकार ने पिछले महीने संसद को बताया था कि इन लोगों ने अपनी कंपनियों के जरिए 22,585 करोड़ों रुपये का घोटाला किया है।

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